नायडू ने भी की जातीय जनगणना की वकालत
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगभग 90 प्रतिशत आबादी को सिस्टम से बाहर रखे जाने के खिलाफ पूरे देश में जातीय जनगणना करवाने की वकालत कर रहे हैं। उनका तर्क है कि प्रभावी नीति बनाने के लिए यह जनगणना ज़रूरी है, क्योंकि इससे दलितों, ओ.बी.सी. तथा आदिवासियों सहित अलग-अलग समुदायों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। वह केन्द्र पर देश भर में जातीय सर्वेक्षण करवाने का दबाव बना रहे हैं। अब भाजपा के एक प्रमुख सहयोगी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने भी जातीय जनगणना करवाने हेतु पूरे समर्थन की बात की है। उन्होंने कहा है कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। भाजपा के सहयोगी अजित पवार, चिराग पासवान तथा अनुप्रिया पटेल ने भी पूरे देश में जातीय जनगणना की वकालत की है। उल्लेखनीय है कि जातीय जनगणना का मुद्दा सबसे पहले मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने उठाया था, जिन्होंने बिहार में इसे करवाया था। जातीय जनगणना लोकसभा चुनाव के दौरान प्रमुख मुद्दों में एक बन गई थी।
जीतन मांझी झारखंड में अकेले लड़ेंगे चुनाव
चिराग पासवान के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के एक अन्य सहयोगी तथा हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (सैक्युलर) के प्रमुख केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि उनकी पार्टी झारखंड में अकेले चुनाव लड़ने तथा 10 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी ने झारखंड में 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। सीटों के वितरण को लेकर भाजपा के साथ भी बातचीत जारी है। दूसरी ओर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोषणा की है कि पार्टी हरियाणा में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद झारखंड, महाराष्ट्र तथा दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने इस निराशाजनक परिणाम के लिए जातिवादी राजनीति को ज़िम्मेदार ठहराया। जाट समुदाय की मानसिकता के कारण इनैलो के साथ उनका गठबंधन प्रभावित हुआ। उल्लेखनीय है कि बसपा को इन चुनावों में सिर्फ 1.82 प्रतिशत वोट ही ंिमले।
‘दिल्ली वालो, आओ, दिल्ली चलाओ’ का नारा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की चुनावी सफलता को दोहराने की उम्मीद में कांग्रेस अगले वर्ष के शुरू में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी में ‘न्याय यात्रा’ शुरू करने जा रहा है। दिल्ली न्याय यात्रा जो कि 23 अक्तूबर से शुरू होकर 28 नवम्बर को सम्पन्न होगी, चार चरणों में आयोजित की जाएगी। राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी इस यात्रा में भाग लेंगे। कांग्रेस ने दिल्ली के आम नागरिकों के साथ निकटता बढ़ाने की कोशिश के रूप में जहां ‘दिल्ली वालो, आओ, दिल्ली चलाओ’ का नारा दिया है, जो कि यात्रा का केन्द्र बिन्दू होगा, वहीं इस यात्रा में दिल्ली के मुख्यमंत्री के प्रतीक के तौर पर आम आदमी के लिए एक खाली कुर्सी रखी जाएगी।
कांग्रेस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों तथा निम्न वर्ग के भाइचारों से संबंधित मुद्दों पर विशेष तौर पर ज़ोर देना चाहती है और शराब नीति घोटाला, भ्रष्टाचार तथा विकास विरोधी नीतियों जैसे मुद्दों को उठाना चाहती है, जिसमें दावा किया गया है कि ‘आप’ सरकार राष्ट्रीय राजधानी में विकास में बाधा डाल रही है। कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी की मौजूदा हालत का स्वर्गीय शीला दीक्षित के शासन काल से तुलनात्मक विश्लेषण करने की भी योजना बना रही है, जिनके दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए शहर का उल्लेखनीय विकास हुआ था।
महाराष्ट्र में चुनावी तैयारी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा तथा अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं, जिसका लक्ष्य सत्ता को बरकरार रखना है जबकि शिवसेना (यूबीटी), एसीपी (एस.पी.) तथा कांग्रेस के विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का लक्ष्य बहुमत हासिल करना तथा मौजूदा सरकार को सत्ता से दूर करना है। एक ओर एमवीए ने अब तक अपने सहयोगियों में 208 सीटें वितरित करने पर सहमति जताई है। यह वितरण मुख्य तौर पर मौजूदा विधायकों, चुनाव क्षेत्रों में पार्टी की ताकत तथा उम्मीदवारों के जीतने की कथित समर्था जैसे कारकों पर आधारित है, परन्तु शेष 80 सीटें सभी विवाद की जड़ हैं। इनमें प्रमुख मुम्बई तथा विदर्भ हैं। कांग्रेस विदर्भ में 45 सीटों की मांग कर रही है, जिसे पार्टी प्रदेश में सत्ता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण जंग के रूप में देखती है। मुम्बई में कांग्रेस लगभग 14 सीटों पर लड़ सकती है, जबकि दो सीटें एनसीपी (एस.पी.) को और एक सीट समाजवादी पार्टी को दी जा सकती है। शिवसेना (यूबीटी) कुल 36 सीटों में से लगभग 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
दूसरी ओर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दोहराया कि वह महाराष्ट्र को बचाने के लिए अपने सहयोगियों द्वारा घोषित किसी भी मुख्यमंत्री पद के चेहरे का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि एमवीए को राज्य में विधानसभा चुनाव से बहुत पहले अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस तथा एनसीपी (एस.पी.) को जल्द मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की अपील की।
(आई.पी.ए.)