मोबाइल की लत
कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थान बंद हो गये थे तब बच्चों को घर बैठे मोबाइल पर ऑनलाइन अध्ययन कराया जाने लगा, ताकि उनका अध्ययन सुचारू रूप से जारी रहे। इस ऑनलाईन अध्ययन ने बच्चों को मोबाइल की लत लगा दी।
राजू ऑनलाईन अध्ययन के बाद घंटों बैठा मोबाइल पर कार्टून फिल्में देखने लगा। जब भी उससे मोबाइल जबरन छिना तो वह तोड़-फोड करने लगा। उसकी इस हरकत से व ऑनलाईन अध्ययन से अब तो राजू के माता-पिता भी परेशान रहने लगे कि इस तरह की पढ़ाई ने बच्चों में मोबाइल की गलत लत डाल दी।
राजू ऑनलाईन अध्ययन के बाद भी घंटों मोबाइल से चिपका रहता जिसके कारण उसकी आंखों में जलन होने लगी व धुंधला-धुंधला दिखाई देने लगा। इससे अब वह काफी परेशान रहने लगा। समय रहते उसने अपने मम्मी पापा को यह बात बताई और वे राजू को लेकर डॉक्टर के पास गये।
डॉक्टर ने राजू की आंखों की जांच करते हुए आई ड्रॉप लिखी व मोबाइल से दूर रहने की सलाह दी। नियमित रूप से सुबह शाम आंखों में दवा डालने से राजू की आंखें ठीक हो गई और वह अब ऑनलाईन के स्थान पर ऑफलाइन अध्ययन करने लगा और एक दिन अपने मम्मी पापा से बोला कि यह मोबाइल एक धीमा जहर है। अत: मोबाइल से सभी को दूर रहना चाहिए।
तब मम्मी ने उसे समझाया कि बेटा, मोबाइल ज़रूर देखें, लेकिन एक सीमित समय के लिए ही देखे। इसके लिए समय निर्धारित करें और फिर थोडी देर के लिए देखे तो कोई बुरी बात नहीं। राजू अब समझ गया था कि मोबाइल के जितने फायदे हैं उससे कहीं अधिक नुकसान भी हैं। (सुमन सागर)