बारिश का पानी पीने वाला चातक

चातक पक्षी बेहद जिद्दी होता है, वह भले प्यास से मर जाये लेकिन बारिश के अलावा और किसी भी स्रोत का कभी एक बूंद भी पानी नहीं पीता। बारिश में भी माना जाता है कि चातक यानी जैकोबिन कुक्कू सिर्फ स्वाति नक्षत्र का ही पानी पीता है।
यह भी माना जाता है कि चातक बारिश में भी सिर्फ स्वाति नक्षत्र का पानी पीता है। अंतरिक्ष में चंद्रमा की गति और पृथ्वी के चारों ओर घूमने की या परिक्रमा करने की प्रक्रिया अनवरत चलती है। चंद्रमा पृथ्वी की पूरी परिक्रमा 27.3 दिनों में करता है और 360 डिग्री की इस परिक्रमा के दौरान सितारों के 27 समूहों के बीच से गुजरता है। चंद्रमा और सितारों के समूहों के इसी तालमेल और संयोग को नक्षत्र कहा जाता है। जिन 27 सितारों के समूह के बीच से चंद्रमा गुजरता है वही अलग-अलग 27 नक्षत्र के नाम से जाने जाते हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों में एक स्वाति नक्षत्र होता है, जोकि हर महीने अलग-अलग समयावधि के लिए आता है। चातक कहते हैं इसी स्वाति नक्षत्र में आसमान की तरफ चोंच करके रखता है, इसमें जो बारिश की बूंदे गिरती हैं वही वह पीता है। बात अगर इस पक्षी की उपस्थिति की भूगोल का करें तो यह भारत, नेपाल, समूचे दक्षिण एशिया सहित एशिया के दूसरे हिस्सों और अफ्रीका महाद्वीप में पाया जाता है। भारत में ये पक्षी मुख्यत: उत्तराखंड में पाया जाता है। चातक को मारवाड़ी में मघवा और पपिया भी कहा जाता है। जहां तक इस पक्षी के भोजन की बात है तो यह मौसमी फलों विशेषकर बारिश के दिनों में जामुन के अलावा कई तरह कीड़े मकोड़ों को भी चट कर जाता है। चातक पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह चिल्लाता बहुत है। भारत में इस चातक पक्षी की मूलत: दो प्रजातियां पायी जाती हैं- एक दक्षिणी इलाकों में और दूसरी उत्तर और मध्य भारत के इलाके में। यही अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका तक भी जाती हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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