सीरिया में तख्ता-पलट रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका 

पहले से ही युद्ध से तबाह पश्चिम एशियाई क्षेत्र अब सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद सरकार के सत्ता से बेदखल होने से भू-राजनीतिक उथल-पुथल के एक नये दौर में प्रवेश कर गया है। राष्ट्रपति गत रविवार को दमिश्क से भाग कर मास्को चले गये हैं और उन्हें रूसी सरकार ने वहां शरण दे दी है। वर्ष 2000 से लेकर पच्चीस वर्षों तक रूसी सहायता से मज़बूती से शासन करने वाले सीरियाई बाथ पार्टी के नेता की हार राष्ट्रपति पुतिन के लिए एक बड़ी व्यक्तिगत हार है और पश्चिम एशिया में उनकी कूटनीति के लिए एक बड़ा झटका।
वास्तव में सत्तारूढ़ शासन को सहारा देने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने के बाद यह एशिया से रूस की दूसरी बड़ी वापसी है। पहली घटना 1990 के दशक में हुई थी जब रूस ने अफगानिस्तान से हटने का फैसला किया था और डॉ. नजबुल्लाह सरकार को अफगान तालिबान के आगे बढ़ने के कारण मुश्किल में डाल दिया था। डॉ. नजबुल्लाह को फांसी पर लटका दिया गया था। इस तरह से असद भाग्यशाली रहे। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को कुछ दिन पहले ही मास्को भेज दिया था और अब मास्को भागकर अपनी जान बचायी।
असद विरोधी विद्रोही कौन हैं और नये सीरिया के लिए उनका कार्यक्रम क्या है, यह एक बहुत ही जटिल प्रश्न है क्योंकि सरकार विरोधी गठबंधन इस्लामवादियों, क्षेत्रीय जनजातीय प्रमुखों के एक वर्ग और यहां तक कि कुछ तथाकथित समाजवादियों का एक मिश्रित संयोजन है। इसका मुख्य घटक हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) है जिसे तुर्की का समर्थन प्राप्त है और इस मुख्य समूह को सीरियाई राष्ट्रीय सेना कहा जाता है।
एचटीएस को मूल रूप से 2013 में सैंट्रल इंटेलीजैंस एजेंसी (सीआईए) के माध्यम से अमरीकी प्रशासन द्वारा रूस समर्थित असद शासन को कमज़ोर करने की अमरीकी रणनीति के रूप में वित्तपोषित किया गया था, ठीक उसी तरह जैसे अफगान युद्ध की शुरुआती अवधि में तालिबान को अमरीकी सहायता दी गयी थी, लेकिन बाद के वर्षों में अमरीका ने अपनी प्रत्यक्ष सहायता वापिस ले ली। हालांकि अन्य तरीकों से अमरीकी एजेंसियों ने विद्रोहियों की मदद की। अमरीका आधिकारिक तौर पर विद्रोहियों की मदद नहीं कर सका क्योंकि उन पर अल-कायदा से जुड़े इस्लामवादी होने का संदेह था। 
जहां तक इज़रायल का सवाल है, असद का पतन उनके लिए बहुत सकारात्मक घटनाक्रम है। पहले ही इज़रायल ने हिज्बुल्लाह को बेअसर कर दिया है और लेबनान युद्ध-विराम के कारण आतंकवादियों की मदद नहीं करने वाला। इस क्षेत्र में इज़रायल का मुख्य मजबूत दुश्मन ईरान है। ईरान को झटका लगा है क्योंकि ईरानी सरकार ने राष्ट्रपति असद को बचाने में भारी मात्रा में धन लगाया है। ईरान का कमज़ोर होना इज़रायल के लिए फायदेमंद है। अगर 20 जनवरी को ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद हमास के साथ पूर्ण युद्धविराम का मुद्दा उठाया जाता है, तो इज़राइल और खास तौर पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ट्रम्प के मुकाबले बेहतर सौदेबाज़ी की स्थिति में होंगे।
फिलहाल, एचटीएस नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी एक मान्यता प्राप्त आतंकवादी है और एचटीएस पर अमरीका और संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रतिबंध लगा रखा है। गोलानी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को इंटरव्यू देकर सुर्खियां बटोरना चाहता है। जब तक उस पर से आतंकवादी का टैग नहीं हटाया जाता, तब तक अमरीका उसके साथ आधिकारिक तौर पर बातचीत नहीं कर सकता। सीरिया में 900 अमरीकी सैनिक हैं। रूस के पास सीरियाई जलक्षेत्र में नौसैनिक अड्डे और कर्मी हैं। अमरीका देखेगा कि रूस उन्हें वापिस लेता है या नहीं। स्थिति इतनी अस्थिर है कि महाशक्तियां अभी कोई अंतिम फैसला नहीं ले सकतीं। वे कुछ दिनों तक इंतज़ार करेंगे और देखेंगे कि नयी सीरियाई सरकार की प्रकृति क्या होगी। (संवाद)

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