विभिन्न देशों में क्रिसमस मनाने की परम्पराएं
क्रिसमस का त्योहार सारे संसार में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे क्रिसमस पश्चिमी देशों में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। पश्चिम देशों में क्रिसमस की तैयारियां बड़े व्यापक रूप से की जाती है। पश्चिमी देशों में क्रिसमस के साथ कई रोचक और दिलचस्प परंपराएं भी जुड़ी है। विभिन्न देशों में क्रिसमस मनाने का अपना अलग-अलग तरीका भी है। आइए आपको बताते हैं क्रिसमस से जुड़ी विभिन्न देशों की रोचक परंपराएं :-
पश्चिमी देशों में क्रिसमस के शुभ अवसर पर चर्च की सड़कों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। जगह-जगह तोरण द्वार बनाए जाते हैं एवं इन द्वारों के ऊपर क्रिसमस वृक्ष की डालियां सजाई जाती है, जिन पर स्वर्ण आभूषण लटके होते हैं।
नीदरलैंड में क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस वृक्ष लगाने की परंपरा है। यहां के छोटे-छोटे बच्चे अपने हाथों में रंग-बिरंगे फूलों का गुलदस्ता लेकर चर्च जाते हैं। वहां इन गुलदस्तों को फादर को भेंट कर क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हैं।
क्रिसमस के त्योहार में यदि सांता क्लॉज की चर्चा न की जाये तो यह काफी अटपटा-सा लगेगा। क्रिसमस के शुभ अवसर पर सांता क्लॉज लंबी-लंबी सफेद दाड़ी और लंबी-लंबी जेबों वाली अजीबों-गरीब पोशाक पहनकर आते हैं और बच्चों को उपहार देते हैं।
क्रिसमस के शुभ अवसर पर इंग्लैंड में देव प्रतिमा लगाने की परंपरा है। इस परंपरा की शुरूआत इंग्लैंड के तत्कालीन राजकुमार एल्बर्ट ने 1841 में की थी। क्रिसमय वृक्ष पर देव प्रतिमा लगाने की शुरूआत बाद में अन्य देशों ने भी अपना लिया।
क्रिसमस का त्योहार हो और पुडिंग की चर्चा न की जाए। क्रिसमस के त्योहार पर पुडिंग का अपना विशेष महत्व है। क्रिसमस के मौके पर पुडिंग बनाने की प्रथा की शुरूआत सन् 1670 में हुआ। पुराने समय में आलू बुखारे से क्रिसमस के शुभ अवसर पर व्यंजन बनाये जाते थे। बाद में इस व्यंजन के तर्ज पर ही पुडिंग बनाने की परम्परा की शुरूआत हो गयी। अब लगभग सभी देशों में क्रिसमस के मौके पर पुडिंग बनाये जाते हैं।
लंदन के कुछ आदिवासी इलाकों में ऐसी मान्यता है कि क्रिसमस के दिन जन्म लेने वाला बच्चा निर्भीक और साहसी होता है और लोगों को भय दूर करने के लिए नसीहतें भी देता है। इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे में एक और विशेषता यह पाई जाती है कि वह बुरी आत्माओं से मुकाबला करने में सक्षम होता है।
क्रिसमस पर आतिशबाजी करने की परंपरा की शुरूआत सर्वप्रथम फ्रांस में हुई। बाद में क्रिसमस के मौके पर आतिशबाजी करने की इस परंपरा को सभी देशों ने अपना लिया। अन्य देशों की तरह फ्रांस के निवासी भी मध्यरात्रि में चर्च में प्रार्थना करते हैं और सुबह संत निकोलस की प्रतिमा की झांकी निकालते हैं।
स्पेन के लोग क्रिसमस का त्योहार बड़े सादगी से मनाते हैं। क्रिसमस के दिन यहां के लोग चर्च नहीं जाते हैं और ये लोग सारा दिन घर में ही रहकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ मनोरंजन करते हैं। ये लोग रात्रि में सोते भी नहीं हैं। जर्मनी के लोगों की मान्यता है कि क्रिसमस के दिन अस्तबल में पुआल बिछाकर सोना चाहिए। अत: वे इस दिन अस्तबल में ही सोते हैं।
आस्ट्रेलिया के लोग क्रिसमस के मौके पर समुद्र के किनारे जाते हैं और वहां बालू से खेलते हैं। मेक्सिको में क्रिसमस के शुभ अवसर पर बच्चों का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। बच्चों की आंखों पर पट्टियां बांध दी जाती है और फिर उन्हें मिट्टी के बर्तन को तोड़ने के लिए कहा जाता है, जो उनसे कुछ दूर रखे होते हैं। इन बर्तनों में मिठाई भरी होती है। बर्तन टूटने के बाद ये मिठाई बच्चों में बांट दी जाती है।
इटली के लोग क्रिसमस की रात दरवाजे खोलकर सोते हैं। इसके पीछे उनकी मान्यता है कि क्रिसमस की रात सांता क्लॉज काफी सारे उपहार लेकर आते हैं। वहीं चीन में क्रिसमस के अवसर पर बच्चे बड़ी-बड़ी पतंगे उड़ाकर खूब खुशियां मानते हैं।
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