मोदी के अमरीका दौरे का महत्त्व
फ्रांस की दो दिवसीय सफल यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बार अमरीका का संक्षिप्त दौरा भी कई पक्षों से अर्थपूर्ण कहा जा सकता है। इस बार अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अपना पद सम्भाले हुए मात्र तीन सप्ताह ही हुए हैं परन्तु अपनी बेबाक बयानबाज़ी के कारण वह बड़ी चर्चा में बने रहे हैं। पिछले 4 वर्ष के बाइडन प्रशासन से पहले भी वह राष्ट्रपति बने थे। उस समय भी उनकी ओर से अमरीका में और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई गई नीतियों की व्यापक स्तर पर चर्चा होती रही थी। उन्होंने उस समय कई तरह के विवाद भी छेड़ लिए थे। इसी कारण वह आगामी चुनाव जीत नहीं सके थे। इस बार उनके पुन: राष्ट्रपति चुने जाने पर विश्व भर में आश्चर्य ज़रूर हुआ था। आते ही उन्होंने जहां ‘अमरीका फर्स्ट’ की बात की और अन्य देशों से संबंधों में अमरीकी हितों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं कीं, वहीं उनके द्वारा विश्व की बड़ी ताकतवर शक्ति होते हुए कनाडा, ग्रीनलैंड को भी धमकियां दी गईं और रूस-यूक्रेन के साथ इज़रायल-हमास युद्ध को खत्म करवाने के लिए भी अपनी तत्परता दिखानी शुरू की गई है। क्रियात्मक रूप में ट्रम्प इन घोषणाओं को पूरा करने में कितने सफल होते हैं, इस संबंध तो मौजूदा समय में कुछ नहीं कहा जा सकता, परन्तु उनकी टिप्पणियों से बड़े विवाद ज़रूर पैदा होने शुरू हो गए हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भी उन्होंने टैरिफ (टैक्स) के पक्ष से अन्य देशों से समानता के आधार पर आदान-प्रदान करने को भी प्राथमिकता देने की बात की है। जहां तक भारत का संबंध है, ट्रम्प के मन में इसके लिए विशेष स्थान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी निकटता है। उनके पहली बार राष्ट्रपति बनने पर नरेन्द्र मोदी ही भारत के प्रधानमंत्री थे और अब भी वह तीसरी बार इस कुर्सी पर बैठे हैं। पहली पारी में ट्रम्प के भारत आने पर उनका बेहद भव्य स्वागत किया गया था, जिसे आज भी वह याद करते हैं। अब वाशिंगटन में श्री मोदी के साथ भेंट के दौरान भी उन्होंने ऐसा ही स्नेह दिखाया और आगामी समय में दोनों देशों में प्रत्येक पक्ष से संबंधों को और भी गहन करने की बात की है। तेल, ऊर्जा, रक्षा और परमाणु क्षेत्रों में दोनों देशों ने व्यापारिक भागीदारी करने की बात की है। अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत को अति-आधुनिक सैन्य विमान और अन्य अस्त्र-शस्त्र देने की पेशकश भी की है। उन्होंने एक ऐसे सड़क यातायात मार्ग (कॉरिडोर) को क्रियात्मक रूप देने संबंधी भी कहा है, जो आपसी व्यापार को सम्बल देगा। यह गलियारा भारत से इज़रायल, इटली और उससे आगे अमरीका तक जाएगा। सड़कों और रेलवे के अतिरिक्त समुद्र के नीचे केबलों द्वारा सभी को आपस में जोड़ेगा। भारत का हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और भाईचारा बनाए रखने के लिए पहले ही ‘क्वाड’ देशों के साथ मेल-मिलाप बना हुआ है। इसके अमरीका, आस्ट्रेलिया, जापान और भारत सदस्य हैं। यह संगठन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए यत्नशील है।
इस समय इस दौरे के दौरान भारत की यह बड़ी सफलता कही जा सकती है कि अमरीका ने वर्ष 2008 में मुम्बई में किए गए भयावह आतंकवादी हमले के एक बड़े आरोपी पाकिस्तान मूल के तहव्वुर राणा को भी भारत के हवाले करने की घोषणा की है, जो लम्बी अवधि से अमरीका की एक जेल में बंद था। अमरीका ने आगामी समय में भारत के विरुद्ध लगातार प्रचार में लगे हर तरह के आतंकवादी संगठनों को नकेल डालने में भी भारत के साथ सहयोग करने की बात की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमरीका की संक्षिप्त सफल यात्रा के बाद अब भारत को विशेष रूप से अपनी अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों में और भी सुचेत होकर चलने की ज़रूरत होगी, क्योंकि उसके रूस के साथ भी दशकों से अच्छे संबंध बने रहे हैं। भारत इन संबंधों में किस सीमा तक संतुलन बना कर रख सकता है, यह देखने वाली बात होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द