भारत-फ्रांस मित्रता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीका की दो दिवसीय यात्रा से पहले फ्रांस में आयोजित ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रैंस में भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) के लिए वैश्विक ढांचा स्थापित करने के लिए संयुक्त यत्नों का समर्थन किया, जो विश्वसनीय, पारदर्शी और पक्ष-पात से मुक्त हो। हम फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को विश्व के बेहतरीन नेताओं में से एक मानते हैं। भारत के लिए यह भी अच्छा रहा कि मैक्रों के फ्रांस का राष्ट्रपति होते हुए दोनों देशों के संबंध और भी मज़बूत हुए हैं। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री होते 6 बार फ्रांस का दौरा किया है और मैक्रों इस समय के दौरान तीन बार भारत आए हैं। दशकों से दोनों देशों में बने गहन संबंध दोनों देशों के लिए लाभदायक रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी आदान-प्रदान में भी फ्रांस और जापान दोनों ही भारत के साथ जुड़े रहे हैं। तकनीकी पक्ष से अनेक क्षेत्रों में इन दोनों देशों ने भारत के निर्माण में बड़ा योगदान डाला है, जबकि विगत अवधि में चीन के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं और अनेक बार दोनों देशों के मध्य टकराव वाली स्थितियां भी बनती रही हैं।
चीन आज विश्व की दूसरी बड़ी शक्ति के रूप में उभरा है। भारत के लिए यह सन्तोषजनक बात है कि फ्रांस और जापान उसके कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं। हिन्द-प्रशांत सागर में भी चीन ने विश्व भर के लिए बड़ी चुनौती पैदा की है। उसकी विस्तारवादी नीतियों ने भारत सहित दर्जनों ही देशों में चिन्ता पैदा की हुई है। इसी कारण आस्ट्रेलिया, अमरीका, जापान और भारत ने मिलकर समुद्र में चीन के विस्तारवाद का मुकाबला करने के लिए ‘क्वाड’ नामक गठबंधन बनाया है। भारत और फ्रांस के रिश्तों की ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि भी है। 20वीं सदी में हुए दो बड़े युद्धों के समय चाहे भारत के राजनीतिक हालात बिल्कुल अलग थे, परन्तु भारत दोनों ही युद्धों में फ्रांस के साथ खड़ा दिखाई दिया था, चाहे दूसरे विश्व युद्ध में जापान जर्मनी के पक्ष में था, परन्तु भारत की स्वतंत्रता के बाद इन दोनों देशों की मित्रता और सहयोग भारत के साथ लगातार बढ़ता रहा है।
अपने ताज़ा दौरे में भी इमैनुएल मैक्रों और नरेन्द्र मोदी ने नये बने अन्तर्राष्ट्रीय हालात संबंधी लम्बी चर्चा की। विशेष रूप से चीन की विस्तारवादी नीतियों से विश्व को दरपेश चुनौतियां, रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़रायल-हमास युद्ध से पैदा हुए हालात संबंधी विचार-विमर्श हुआ है। जहां तक अमरीका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का संबंध है, उनकी ओर से रूस-यूक्रेन युद्ध संबंधी अपने तौर पर ही नीति बना कर बयानबाज़ी करने के कारण और उनकी ओर से गाज़ा पट्टी को एक पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा के कारण फ्रांस और जापान आदि दोनों देशों में सहमति बनना कठिन प्रतीत होता है। मैक्रों ने तो स्पष्ट रूप में यह कहा है कि गाज़ा-पट्टी के दु:खांत को मानवतावादी दृष्टि से देखते हुए हल करने की ज़रूरत है। उसे रियल एस्टेट (सम्पत्ति) बनाने की ट्रम्प की इच्छा से भारी नुक्सान होगा। हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा ने यहां दोनों देशों के संबंधों और मज़बूत किया है, वहीं दोनों का आपस में बना विश्वास भारत के लिए विशेष रूप से और हौसला बढ़ाने वाला सिद्ध होगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द