हरियाणा-भाजपा की शानदार जीत कांग्रेस पुन: हाशिये पर

हरियाणा में नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिका के हुए ताज़ा चुनावों में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने जहां जीत के ध्वज लहरा दिए हैं, वहीं प्रदेश में लम्बे समय से स्थापित कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर इन स्थानीय निकाय चुनावों में नमोशीजनक हार का मुंह देखना पड़ा है। पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में जहां भाजपा ने लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाई थी, वहीं उससे पहले हुए लोकसभा चुनावों में भी इसने बड़ी जीत प्राप्त की थी। अब स्थानीय निकाय चुनावों में जीत प्राप्त करने के उपरांत प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि हरियाणा वासियों के मिले भारी समर्थन और आशीर्वाद से हरियाणा में भाजपा की ट्रिपल इंजन सरकार बन गई है। परिणामों ने यह सिद्ध कर दिया है कि हरियाणा की जनता विकास, पारदर्शिता और अच्छे प्रशासन के साथ है।
प्रदेश के बड़े शहरों हिसार, सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर, फरीदाबाद, अम्बाला, करनाल, रोहतक और गुरुग्राम में भाजपा के उम्मीदवार ही जीते हैं। इसी तरह 10 नगर निगम चुनावों में यह 9 पर काबिज़ हो गई है। सिर्फ मानेसर में ही आज़ाद उम्मीदवार डा. इंद्रजीत यादव ने सफलता प्राप्त की है। प्रदेश पर न केवल भगवा रंग चढ़ गया है, अपितु 38 में से 22 शहरों में तो यह और भी गहरा हो गया है। भाजपा ने दावा किया है कि उसके 90 प्रतिशत से अधिक पार्षदों ने जीत प्राप्त की है। कांग्रेस के लिए बड़ी नमोशीजनक बात यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के गढ़ रहे रोहतक से भाजपा के मेयर जीत गए हैं। हुड्डा के अपने वार्ड में भाजपा को जीत प्राप्त हुई है। इसी तरह विगत दिवस राजनीति में प्रसिद्ध हुईं पहलवान विनेश फोगाट जो विधानसभा चुनाव में विधायक चुनी गई थीं, के क्षेत्र जुलाना में भी नगर पालिका के चेयरमैन की कुर्सी पर भाजपा ने कब्ज़ा कर लिया है। एक और नमोशी यह है कि कांग्रेस की प्रसिद्ध सांसद कुमारी शैलजा के क्षेत्र सिरसा की नगर परिषद् में भी भाजपा ने चेयरमैन की कुर्सी हासिल कर ली है। दोनों पार्टियों की जीत और हार पर यदि चर्चा की जाए तो भाजपा ने इन चुनावों में ट्रिपल इंजन (तीन इंजनों) वाली सरकार स्थापित की है, वहीं पार्टी के संगठन को उसने बूथ स्तर पर भी मज़बूत बना लिया है और प्रत्येक वार्ड में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जाकर लोगों से सम्पर्क बनाए रखा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी इन स्थानीय निकाय चुनावों में अपने मंत्री साथियों के साथ मिल कर कड़ी मेहनत की है। दूसरी तरफ कांग्रेस एकजुट नहीं हो सकी और न ही विधानसभा में उसकी ओर से किसी को अभी तक विपक्ष का नेता ही बनाया गया है। प्रदेश की बड़ी कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, रणबीर सिंह सुरजेवाला भी इन चुनावों में प्रचार करते ज्यादा नज़र नहीं आए। अन्य कांग्रेस नेता भी एक तरह से गायब ही दिखाई दिए हैं।
नि:संदेह इन स्थानीय निकाय चुनावों ने एक बार फिर भाजपा में नया जोश पैदा किया है, उसका प्रभाव प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी राज्यों पर पड़ने की भी सम्भावनाएं बनती दिखाई देती हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है परन्तु वहां साफ छवि वाले मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सुक्खू हैं, परन्तु इसके बावजूद प्रदेश के भीतर पार्टी की अपनी गुटबाजी ने सरकार के प्रभाव को भारी सीमा तक कम किया है। उसे अनेक चुनौतियां दरपेश हैं। इनका मुकाबला करने के लिए वह बेबस दिखाई देती है और बेवजह ही हाथ-पांव मारती दिखाई दे रही है। पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस स्वयं को पूरी तरह तैयार करने का यत्न कर रही है। इसका मुकाबला सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और उत्साह में दिखाई दे रही भाजपा से होगा। इसलिए कांग्रेस को अपनी आंतरिक गुटबाज़ी से ऊपर उठ कर एक समर्पित भावना के साथ चुनावों में उतरना पड़ेगा। जहां तक अकालियों का संबंध है, इनमें आपसी विरोध अब इस सीमा तक दुश्मनी में बदलता दिखाई दे रहा है कि इस कारण यह पार्टी लोगों में अपनी छवि अभी भी निरन्तर गंवा रही है और एक तरह से निरुत्साहित हुई दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ हरियाणा में भाजपा की प्रत्येक स्तर पर बड़ी जीत ने पंजाब में भी अपनी राजनीतिक उम्मीदें और बढ़ा ली हैं, जिसका प्रभाव आगामी समय में महसूस भी किया जा सकेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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