श्री दरबार साहिब की परिक्रमा से बुंगा रामगढ़िया को रास्ता देने की तैयारी

अमृतसर, 28 अप्रैल (सुरिन्द्र कोछड़) : श्री दरबार साहिब अमृतसर की परिक्रमा में यात्रियों के ठहरने तथा बाहरी हमलावरों से श्री हरिमंदिर साहिब की रक्षा के लिए बनाए गए ‘रामगढ़िया बुंगा’ का लगभग 3 वर्ष पहले रोका नवनिर्माण का काम आते महीनों दौरान पुन: शुरू किया जाएगा। नवनिर्माण का काम बीच में रोक दिए जाने कारण तथा रख-रखाव की कमी के चलते बुंगे की लाल पत्थरों के साथ बनी दीवारों तथा अन्य भवनों में काई जम चुकी है तथा आस-पास मलबे के ढेर लगे हुए हैं। इस बारे में आज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरंग कमेटी के सदस्य स. राम सिंह के साथ बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि बुंगे का नवनिर्माण जल्द शुरू किया जा रहा है तथा यह काम पुरातत्व विभाग तथा भवन निर्माण के विशेषज्ञों की देखरेख में करवाया जाएगा ताकि बुंगे की इतिहासिक दिख में किसी प्रकार की खराबी न आए। इस नवनिर्माण के चलते बुंगे की निचली मंजिल पर 18वीं सदी का मिसलों का इतिहास बयान करता एक अजायब घर भी निर्मित किए जाने की योजना है। जिसके लिए कार्यकारी कमेटी द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। स. राम सिंह अनुसार गत दिनों बुंगा रामगढ़िया के नवनिर्माण के लिए श्री दरबार साहिब जायदाद सब-कमेटी द्वारा भवन निर्माण विशेषज्ञों के साथ की बैठक के बाद उक्त फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि नवनिर्माण के चलते बुंगा रामगढ़िया में जाने के लिए श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में से रास्ता दिया जाएगा। जिससे बड़ी संख्या में संगत उक्त अनमोल धरोहर के दीदार करने के साथ-साथ अजायब घर की मार्फत मिसल काल के इतिहास से परिचित हो सकेगी। उन्होंने बताया कि पहले भी संगत श्री दरबार साहिब की परिक्रमा द्वारा ही बुंगे में जाया करती थी परन्तु फिर बाद में इसका रास्ता बदलकर श्री गुरु रामदास लंगर घर द्वारा दिया गया। वर्णनीय है कि श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में बने 84 के लगभग बुंगों में से आज केवल बुंगा रामगढ़िया ही एक ऐसा बुंगा बचा है, जो परिक्रमा में किसी समय सिख मिसलों द्वारा बनाए बाकी बुंगों के होने की गवाही भरता है। मिसल काल की भवन कला के इस अद्भुत नमूने का निर्माण स. जस्सा सिंह रामगढ़िया ने सन् 1755 में 2,75,000 रुपए की लागत से करवाया था। बुंगा रामगढ़िया की दो मंजिलें धरती के ऊपर तथा तीन मंजिलें जमीन के नीचे हैं। बुंगे की निचली मंजिल पर स. रामगढ़िया का इतिहासिक कौंसिल हाऊस मौजूद है, जहां नानकशाही इंटों के बने सिंहासन पर बैठकर वह अपना दरबार लगाया करते थे। सिंहासन के पीछे तथा सामने दो शाही काल कोठड़ियां भी मौजूद हैं। बुंगे की ऊपरी मंजिल में दिल्ली के लाल किले के खंभे तथा एक इतिहासिक सिल मौजूद है, जिस को तख्त-ए-ताऊस कहा जाता है तथा इसमें कई कीमती नग-मोती जड़े हुए हैं। दावा किया जा रहा है कि इस सिल पर बिठाकर सभी मुगल बादशाहों की ताजपोशी की जाती थी। वर्ष 1984 में आप्रेशन ब्लू स्टार के दौरान हुई गोलीबारी से उक्त बुंगे की निचली मंजिल में मौजूद कई बड़े कमरे तथा अन्य स्थान बंद हो गए तथा अंदर जगह-जगह मलबे के ढेर लग गए। रामगढ़िया भाईचारे द्वारा बुंगे के मीनारों की सेवा करवाए जाने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 18 अप्रैल 2008 को पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में इसका नवनिर्माण शुरू करवाया।
 

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