पूरे देश मेंकांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू की मांग,पंजाब से क्यों हैं दूर

चंडीगढ़, 7 माई क्रिकेट की पिच हो या सियासी मैदान, नवजोत सिंह सिद्धू का खास अंदाज हमेशा ही चर्चा में रहा। क्रिकेट से संन्यास लेकर जब कमेंटेटर बने, तो इसी अंदाज से लोकप्रिय हो गए। फिर सियासी मैदान में भी विपक्षियों को मात दी। हालांकि अपने विवादित बयानों के चलते भी सिद्ध् अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। 
वहीं देखा जाए तो पंजाब के फायर ब्रांड नेता व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू लोकसभा चुनाव में पंजाब से दूर हैं। कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू की पूरे देश में मांग है और वह विभिन्न राज्यों में रैलियां कर रहे हैं। यहां तक कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी रैलियां कर रहे हैं, लेकिन अपने ही सूबे पंजाब में उनकी 16 मई तक कोई रैली नहीं है। पंजाब में 17 मई  प्रचार का आखिरी दिन है। ऐसे में साल उठता है कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस ने सिद्धू को चुनाव में पंजाब से दूर रखा हुआ है।
पूरे घटनाक्रम में स्पष्ट है कि पंजाब में कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शीत युद्ध चल रहा है और इससे लगता है कि पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं है। कांग्रेस में सिद्धू की डिमांड पूरे देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन पंजाब में उन्हें प्रचार से दूर रखना कांग्रेस किसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इस रणनीति को सिद्धू को लेकर पिछले दिनों घटनाक्रमों को जोड़ा जा रहा है।
इन सब के बीच नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब प्रभारी आशा कुमारी, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि दोनों सीनियर लीडर्स हैं। दोनों ने खुद कहा है कि वे मिशन-13 (पंजाब में 13 सीटें हैैं) को पूरा करेंगे। मुझे जो रोस्टर अहमद पटेल और प्रियंका गांधी के ऑफिस की ओर से दिया गया है उसमें पंजाब में कोई रैली नहीं है।
वहीं सिद्धू के विवादित बयान और कदम कई बार उनकी ही पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में जाने के बाद वह विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। यही नहीं वहां पाक सेनाध्यक्ष को गले लगाना तो खुद उनकी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को भी पसंद नहीं आया।
कैप्टन अमरिंदर ने खुलकर इसका विरोध किया था । बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक के बाद भी सिद्दू के द्वारा दिए गए बयान को लेकर खासा हल्ला मचा था। इन दिनों वह भाजपा के नेताओं पर जमकर मुखर हैं और पार्टी के दिग्गज नेताओं पर हमला बोल रहे हैं
सियासी सफर 
-2004 में भाजपा टिकट पर अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
-उन पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का भी मुकदमा चला 
-अदालत तीन साल की सजा सुनाई। 
-2007 में लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की
-सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई, दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा 
-कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मंत्री सुरिन्दर सिंगला को 77626 वोटों से हराया
-2009 में भी वह इसी सीट से जीते
-2014 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, राज्यसभा सदस्य बने 
-2016 में आवाज-ए-पंजाब नाम से अलग पार्टी बनाई 
-पंजाब विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस में शामिल हो गए