श्रद्धा का केन्द्र हजूर साहिब, नांदेड़ 

नांदेड़ दक्कन के पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा महाराष्ट्र का एक प्रमुख शहर है। नंदा तट के कारण इस शहर का नाम नांदेड़ पड़ा। सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में नंदा तट मगध साम्राज्य की सीमा थी। प्राचीन काल में यहां सातवाहन, बादामी के चालुक्यों, राष्ट्रकूटों और देवगिरी के यादवों का शासन था। मध्यकाल में बहमनी, निजामशाही, मुगल और मराठों ने यहां शासन किया जबकि आधुनिक काल में यहां हैदराबाद के निजामों का अधिकार था जिसके विरुद्ध स्वामी रामानंद तीर्थ ने सत्याग्रह कर इसे मुक्त करवाया। इस तरह इस स्थान को आजादी 1947 के पश्चात ही मिली।  आज यहां स्वामी रामानंद तीर्थ की स्मृति को समर्पित विश्वविद्यालय भी है। वैसे  प्राचीन काल में यह शहर वेदांत की शिक्षा, शास्त्रीय संगीत, नाटक, साहित्य और कला का प्रमुख केन्द्र था। इस गुरुस्थान में अपार जनसमूह की श्रद्धा देखते ही बनती है। भारी भीड़ लेकिन पूरी तरह अनुशासन। कहीं कोई अफरा-तफरी नहीं। हमने प्रात: प्रसाद वहीं ग्रहण किया। वहां एक समान वर्दी पहने स्थानीय महिलाएं सेवा कर रही थीं। काम मनुष्य ही नहीं, मशीनों से भी हो रहा था। सब यंत्रवत, बहुत सुंदर दृश्य था सचखंड हुजूर गुरुद्वारा साहिब का। एक स्थान पर लगे बोर्ड पर लिखा था- ‘इस स्थान को पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1830 से 1839 के दौरान बनवाया गया था। गुरुजी का आदेश था कि उनके नाम पर कोई स्थान न बनाया जाए। महाराजा रंजीत सिंह ने यह जानकर भी गुरु स्थान बनवाया। धन्य है वह भारत भूमि जहां सर्ववंशदानी गुरु गोविंद सिंह जी ने अवतार लिया और उनके अनुयायी महाराजा रणजीत सिंह भी खुशी से अपना सर्वस्व समर्पित करने को तत्पर थे।
बताया गया कि प्रतिदिन अमृत बेला पर गोदावरी नदी से जल की गागर भरकर सचखंड में लाई जाती है। सुखमणि साहिब जी के पाठ की समाप्ति के पश्चात श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया जाता है। अरदास के पश्चात संपूर्ण दिवस गुरुद्वारा पाठ और कीर्तन से गूंजता रहता है। संध्या में रहिरास साहिब का पाठ और आरती के बाद गुरु गोबिंदसिंह, महाराजा रणजीतसिंह और अकाली फूलासिंह के प्रमुख शस्त्रों के दर्शन करवाए जाते हैं।   नांदेड़ में सचखंड गुरुद्वारे के अलावा सात अन्य  गुरुद्वारे भी हैं जो धार्मिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण हैं- गुरुद्वारा नगीना घाट, गुरुद्वारा बंदा घाट, गुरुद्वारा शिकार घाट, गुरुद्वारा हीरा घाट, गुरुद्वारा माता साहिब, गुरुद्वारा माल टेकडी तथा गुरुद्वारा संगत साहिब। सचखंड गुरुद्वारा के नजदीक ही एक बड़ा ही सुन्दर उद्यान गोबिन्द बाग है जहां प्रतिदिन शाम सात से आठ बजे तक सिखों के दसों गुरुओं का परिचय तथा खालसा का इतिहास लेज़र शो के द्वारा दिखाया जाता है। सचखंड गुरुद्वारा से ही गुरुद्वारा बोर्ड के द्वारा बसें उपलब्ध हैं जो यात्रियों को नांदेड़ के सारे गुरुद्वारे तथा अन्य दर्शनीय स्थानों के दर्शन कराती हैं।

—विनोद बब्बर