सीमेंट, बजरी व सरिया न मिलने से लाखों मज़दूर हुए बेकार

फाजिल्का, 22 अप्रैल (अमरजीत शर्मा) : कोरोना महांमारी के चलते पंजाब के अंदर ऊसारी का के काम पर लगे करीब दो लाख मजदूर बेकार हो गए है। एक माह के करीक र्क्फ्यू लगा होने के कारण निर्माण कार्यों में लगे मजदूर तथा मिस्तरी इस समय पूरी तरह से बेकार हो चुके है। मिस्तरी को हर रोज 500 रुपये दिहाड़ी तथा मजदूर को 300 रुपये दिहाड़ी मिलती थी। जिससे वे अपने परिवार को चलाते थे। अब एक माह से वे बेकार हैं जिससे उनकी आर्थिकता पर बहुत बड़ा बोझ पड़ गया है। मजदूरों का कहना हैं कि देश में शर्तों के चलते मजदूरों को काम की छोट मिल गई हैं, परतुं पंजाब सरकार केन्द्रीय गृह मंत्रालय की एडवाईजरी को नंजरअंदाज कर रही है। लोग काम करवाना चाहते हैं आम तौर पर ऊसारी मजदूर 5-6 लोग मिलकर टोलियों के रूप में काम करते है। जिससे शरीरक दूरी अकसर ही बनी रहती है। पर इसके बावजूद सीमेट, सरीया, बजरी, रेता के लदान पर अभी तक रोक लगी हुई है। सीमेट तथा सरीया कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना हैं कि सीमेट और जीएसटी की दर 28 फीसदी और सरीए पर 18 फीसदी हैं जो कि बाकी वस्तुओं से बहुत ज्यादा है। अगर मोटा मोटा हिसाब लगाया जाए तो 35-40 दिनों में पंजाब के अंदर सकरार को 500 करोड़ का आर्थिक नुकसान जीएसटी के रूप में हुआ है। व्यापरियों का कहना हैं कि लाक डाऊन के चलते कुछ चोर बाजरीए व्यारियों का नाम बदनाम करवा रहे है। क्याेंकि आम तौर पर 350 रुपये में बिकने वाली सीमेट की बोरी अब 500, सरीया 100 रुपये प्रति क्विंटल महगा बिक रहा है। बजरी और रेत का तो अकाल पड़ गया है। अब पंजाब सरकार ने केन्द्र सरकार से  शराब के ठेके खोलने की अनुमति मांगी हैं और शराब से प्रति माह 400 करोड़ की आमदनी होती हैं और जबकि सीमेट सरीए से ज्यादा होती है। जबकि इस काम से लाखों लोग भी जुड़े हुए है। सरकार को चाहिए कि वे इस ओर ध्यान दे यह काम शुरू हो जिससे लोगों को भी कुछ राहत मिलेगी और चोर बाजरियों पर भी नकेल कसी जा सकेगी।