शराब ठेकेदारों की नीलामी में बुरी फंसी कैप्टन सरकार

जालन्धर, 23 मई (मेजर सिंह): शराब की नीलामी से बड़ी आय की उम्मीद लगाए बैठी कैप्टन सरकार कोरोना के चलते शराब ठेकों की नीलामी को लेकर बड़े संकट में फंसी नज़र आ रही है। पंजाब सरकार के करीब 200 करोड़ रुपए के राजस्व वाले ठेकों की नीलामी के लिए किसी भी ठेकेदार ने आवेदन नहीं किया। दूसरी ओर सरकार डेढ़ माह ठेके बंद रखने व बिक्री बेहद कम होने के कारण पड़ रहे घाटे का मुआवज़ा देने के लिए तैयार नहीं। इसलिए बड़े घाटे की आशंका महसूस करते हुए कई ठेकेदारों ने पहले लिए ठेकों को भी ताले लगाने शुरू कर दिए हैं। पता चला है कि नीलाम होने से रह गए ठेकों के लिए आवेदन लेने का आज अंतिम दिन था परंतु कोई ग्रुप ठेके लेने के लिए आगे नहीं आया। पता चला है कि सरकार ने ठेकेदारों को 16 फीसदी छूट देने की पेशकश की थी परंतु ठेकेदारों को यह स्वीकार नहीं। उनका कहना है कि इतना हर्जाना तो उन्हें दो महीने ठेके बंद रहने के कारण ही पड़ जाएगा और पिछले साल भी इन ठेकों में से ठेकेदारों को बड़ा घाटा हुआ है। इसलिए वह ठेके लेने के लिए तैयार नहीं। पता चला है कि लुधियाना ज़ोन में 28 ग्रुपों ने ठेकों को ताला लगाकर सरकार को लिखित रूप में कह दिया है कि वह ठेके चलाने के समर्थ नहीं। इसी तरह जालन्धर ज़ोन में होशियारपुर के दो ग्रुप हाथ खड़े कर गए हैं। जालन्धर ज़ोन के उप कर व आबकारी कमिश्नर शालिन वालिया ने बताया कि दो ग्रुपों ने लिखित रूप में दिया है कि वह ठेके नहीं चलाना चाहते। उनहोंने बताया कि इसी तरह बाकी रहते ठेकों की नीलामी के लिए किसी ने भी आवेदन नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने ठेकेदारों को राहत बारे 3 सदस्यीय मंत्री समूह की कमेटी गठित की थी, परंतु वह भी अभी कुछ नहीं कर सकी। ठेकेदार बेहद निराश व हताश हैं। उनका कहना है कि हम 12 फीसदी वृद्धि पर ठेके कोरोना महामारी से पहले लिए थे। इस महामारी के कारण सभी हालात ही बदल गए फिर सरकार अकेले ठेकेदारों पर आपदा से पहले वाले फैसले क्यों डाल रही है। उकना कहना है कि यदि सरकार ने कोई हल न निकाला तो बाकी ठेकेदार भी कारोबार छोड़ जाएंगे।