" कृषि मंडी का निजीकरण " चिंतन और मंथन में अकाली लीडरशिप

जालन्धर, 5 जून (मेजर सिंह): मोदी सरकार द्वारा कृषि जिन्सों की खुली मंडी व मंडीकरण के निजीकरण बारे किए तीन फैसलों को लेकर अकाली लीडरशिप गहरे चिंतन में पड़ी हुई है। कोर कमेटी व अन्य वरिष्ठ सदस्य चंडीगढ़ में दो दिन से लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं। पता चला है कि मोदी सरकार के फैसलों से निजीकरण व राज्यों के हकों को सीमित किए जाने के मुद्दे पर लगभग सारी लीडरशिप ही बेहद चिंतित है, परन्तु इस मसले पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर नेताओं के बीच तीखे मतभेद भी पाए जा रहे हैं। लीडरशिप का बड़ा हिस्सा समझ रहा है कि अंतिम तौर पर चाहे मोदी सरकार द्वारा अख्तियार दिशा केन्द्र की मजबूती व राज्यों के अधिकारों को सीमित करने वाली है, परन्तु जारी किए आर्डीनैसों में अभी न तो कम से कम समर्थन मूल्य को ही छेड़ा है तथा न ही राज्यों के मंडी एक्ट को ही तोड़ा गया है। उनका मानना है कि शीघ्र तौर पर बल्कि किसान जिन्सों से अधिक भाव मिलने की सम्भावना है। इससे कुछ समय  के लिए इस मसले पर शीघ्रता से कोई राजनीतिक कदम उठाने से गुरेज़ ही किया जाना चाहिए। वह समझ रहे हैं कि अभी किसान किसी पक्ष से भी निशाने पर नहीं आए, इससे किसानों में तीखे प्रतिक्रम की बहुत सम्भावना नहीं। उनका मानना है कि यह बड़ी फिसलन हालत है। ऐसी फिसलन हालत में बड़े राजनीतिक पलड़े की जगह स्थिति पर नज़र रखते ऐसे रुझानों को बदलने या रोकने के लिए दबाव बनाना चाहिए। पता चला है कि ऐसा दबाव कायम करने के लिए अकाली लीडरशिप ने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों व क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से सम्पर्क बनाने का काम आरंभ कर दिया है। बीती सायं अकाली नेताओं ने चंडीगढ़ में इस मुद्दे को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात भी की है।
बिजली व दरियाई पानी बिलों बारे फैसले होंगे फैसलापूर्ण : मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे बिजली बिल 2020 बारे मश्वरे देने की अंतिम तारीख 5 जून आज निकल गई है तथा इस बिल को कानून बनाए जाने का आर्डीनैंस किसी समय भी सम्भव है। दरियाई पानियों बारे ट्रिब्यूनल बनाए जाने वाला बिल लोकसभा में पास हो चुका है, परन्तु अकाली लीडरशिप के दखल के कारण यह बिल राज्यसभा में पेश न किए जाने के कारण कानून नहीं था बन सका परन्तु अब चर्चा है कि केन्द्रीय कैबिनेट पुन: इस बिल को आर्डिनैंस द्वारा लागू कर सकती है। उक्त दोनों बिल पास होने का पंजाब पर सीधा असर यह पड़ेगा कि कृषि ट्यूबवैलों के लिए दी जा रही मुफ्त बिजली एकदम समाप्त हो जाएगी। बिल के खर्च में किसी भी वर्ग को मुफ्त बिजली सुविधा देने की कोई मद ही नहीं। बिजली बिल 2020 के कानून बनने से बिजली उत्पादन, बांट, बिजली इकरारनामे व प्रबंधकीय फैसले लेने का सारा अधिकार इस कानून द्वारा केन्द्र में बनने वाली अथारिटी के पास चला जाएगा।