पाक के किला जमरौद, बाला हिसार, शाबकदर व बाड़ा की शोभा बनेंगी शेर-ए-पंजाब व नलवा सरदार की तस्वीरें

अमृतसर, 12 फरवरी (सुरिन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान के सूबा खैबर पख्तूनख्वा के शहर पेशावर की गुरु कलगीधर सिंह सभा गुरुद्वारा भाई जोगा सिंह कमेटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को पत्र लिख कर शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह व स. हरी सिंह नलवा की 5-5 तस्वीरें भेजे जाने की मांग की है। पेशावर से ‘अजीत समाचार’ को यह जानकारी देते हुए मंत्री अल्पसंख्यक अस्थाई यूथ असैंबली स. गुरपाल सिंह ने बताया कि पिछले दिनों उनके नेतृत्व में स. हरमीत सिंह, पपिन्द्र सिंह, तरलोक सिंह, सविन्द्र सिंह व रणजीत सिंह आदि 30 सदस्यीय पेशावरी सिख जत्थे ने पेशावर व फाटा (पाकिस्तान के संघ शासित कबाइली क्षेत्र) के सिख शासन के समय महाराजा रणजीत सिंह व स. हरि सिंह नलवा द्वारा निर्मित किए किलों बाला हिसार (किला सुमेरगढ़), किला जमरौद (लंडी कोतल), किला शाबकदर और किला बाड़ा का दौरा करके उक्त किलों के प्रबन्धकों से किलों में सम्मान सहित महाराजा रणजीत सिंह व स. हरि सिंह नलवा की तस्वीरें प्रदर्शित करने की मांग की थी। जिस संबंधी किले के मौजूदा प्रबन्धक सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा यह तस्वीरें प्रदर्शित करने की मंज़ूरी दे दी गई है। स. गुरपाल सिंह ने बताया कि उक्त तस्वीरें चाहे कि इंटरनैट की मार्फत आसानी से पाकिस्तान में भी उपलब्ध कराई जा सकती हैं, परन्तु पेशावरी सिख संगत तस्वीरों की प्रमाणिकता को लेकर किसी भी तरह का विवाद खड़ा नहीं करना चाहती। इसलिए यह तस्वीरें भेजने के लिए जी.पी.सी. से मांग की गई है।
वर्णनीय है कि 6 मई 1834 को हरि सिंह नलवा ने पेशावर फतेह करके किला बाला हिसार पर सिख शासन का झण्डा लहराया। इसके उपरान्त किले की देख-भाल की तरफ विशेष ध्यान देते हुए युद्धों के दौरान किले में हुई तोड़-फोड़ की मुरम्मत करवाने हेतु किले का नव-निर्माण करवाया गया। जब यह किला तैयार हो गया तो महाराजा रणजीत सिंह के पौत्र और शहज़ादा खड़क सिंह के पुत्र नौनिहाल सिंह ने इसका नाम किला सुमेरगढ़ रखा। यह भी वर्णनीय है कि जब अफगानी लशकर द्वारा किला जमरौद पर हमला किया गया तो उस समय बीमारी की हालत में इसी किले में स. नलवा का इलाज चल रहा था। वर्ष 1990 को पाक सरकार द्वारा किला बाला हिसार को राष्ट्रीय समारक घोषित किया गया है। स. नलवा द्वारा निर्मित किया गया जिला जमरौद इस किले से थोड़ी दूरी पर शहर के बाहरवार स्थित है। उक्त किले में नलवा सरदार की समाधि भी मौजूद है जबकि समाधि के पास ही स्थापित किया गया गुरुद्वारा शहीदगंज अब आलोप हो चुका है। इन किलों के अतिरिक्त पेशावर शहर में किला शाबकदर और किला बाड़ा की अच्छी हालत में मौजूद हैं और पाक सेना के अधिकार में हैं।