गोदाम भरने के कारण शैलरों में लगे चावलों के अंबार

जालन्धर, 15 फरवरी (शिव शर्मा): पिछले वर्ष धान की रिकार्ड तोड़ हुई बम्पर फसल के चावल तैयार करने के काम में देरी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है क्योंकि एफ.सी.आई. के गोदामों में गोदामों की भारी कमी पाई जा रही है, जिससे अब शैलरों में चावलों के अंबार लग गए हैं। पैदा हुई मौजूदा स्थिति से चिंतित शैलर मालिकों ने आगाह कर दिया है कि यदि जगह उपलब्ध नहीं करवाई जाती तो 31 मार्च तक सारे धान के चावल नहीं बनाए जा सकते। पिछले वर्ष मंडियों में 175 लाख मीट्रिक टन के लगभग धान मंडियों में आया था। धान शैलरों में तो पहुंचा दिया गया था तथा खाद्य व आपूर्ति विभाग ने शैलर मालिकों को 31 मार्च तक सारे धान का चावल तैयार कर गोदामों में लगाने का निर्देश दिया था जबकि दूसरी ओर पंजाब राइस वैल्फेयर एसोसिएशन के प्रधान राकेश जैन का कहना था कि उनको अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार तय समय में सारे धान के इसलिए चावल नहीं बनाए जा सकेंगे क्योंकि एफ.सी.आई. के गोदाम भरे हुए हैं। अभी तक राज्य में 60 प्रतिशत धान की मिलिंग (छड़ाई) की गई है। संगठन का कहना था कि यह अहम विभाग मुख्यमंत्री के पास है। इसलिए विभाग के खाद्य सचिव के. सिन्हा के पास यह मसला उठाया गया है। उनके ध्यान में यह मसला लाकर कहा गया है कि वह शीघ्र से शीघ्र शैलर मालिकों को चावल रखने के लिए जगह उपलब्ध करवाए। चावलों की स्पैशल गाड़ियों की दूसरे राज्यों में भेजने के काम में तेज़ी लाने के लिए केन्द्र के पास यह मसला उठाना चाहिए। दूसरी ओर जिन केन्द्रों पर एफ.सी.आई. की पक्की लेबर है वहां भी लेबर गिनती का चावल ही भंडार कर रही है। इस समस्या का हल करवाना चाहिए क्योंकि 31 मार्च के बाद चावल टोटे व डिस्कलर और बढ़ जाती है जिससे शैलर मालिकों को चावलों को देने के समय परेशानी का सामना करना पड़ता है। संगठन ने स्पष्ट कहा है कि खाद्य सचिव व डायरैक्टर खाद्य को भी कह दिया गया है कि जगह की कमी के कारण यदि मिंलिंग के काम में देरी होती है तो शैलर मालिक कोई ब्याज नहीं भरेंगे। यह ज़िम्मेवारी पंजाब सरकार की होगी। उधर 175 लाख मीट्रिक टन धान पिछले सीज़न में मंडियों में आया था तथा इसलिए गोदामों की कमी को दूर न किया गया तो अप्रैल माह में मंडियों में आने वाली गेहूं की सम्भाल के लिए भी एफ.सी.आई. को परेशानी सामने आ सकती है। बताया जाता है कि पंजाब के कई गोदामों में अभी अनाज मौजूद है जिसमें काफी अनाज को अभी दूसरे राज्यों में स्पैशल गाड़ियों द्वारा भेजने के काम की गति काफी धीमी है।ड्ड