शिक्षा विभाग जगराओं के कार्यालय में जांच दौरान 37 लाख के घोटाले का खुलासा 

जगराओं, 5 मार्च (नि.प.प.): शिक्षा विभाग के जगराओं कार्यालय में हुए घोटाले बारे जांच टीम द्वारा भेजी रिपोर्ट में अब तक 37 लाख का घोटाले खुलासा हो गया है। चाहे इस बारे अभी जांच जारी रहेगी, पर पहले आई आडिट द्वारा अकाऊंटैंट जनरल पंजाब (ए.जी.) को दी रिपोर्ट में किए गए खुलासे में जी.पी.एफ. फंड व गलत खातों में अदायगियां होना दिखाया गया है, वहां लाखों रुपयों की सरकारी राशियों बारे रिकार्ड न पेश करने बारे भी ज़िक्र किया गया है। इस मामले में चाहे अब तक सिर्फ विभाग की ओर से घोटाले में सेवादार के खिलाफ ही भांडा फोड़ते, उसकी सिर्फ माछीवाड़ा में बदली करके खानापूर्ती की है, जबकि आने वाले दिनों में इस घोटाले के तार और कहां-कहां जुड़े हैं, इसके खुलासे भी हो सकते है। यह मुद्दा सेवा मुक्त अध्यापकों की फोर्म व भ्रष्टाचार विरोधी कमेटी द्वारा शिक्षा सचिव व डी.पी.आई. (एलीमैंटरी) के नोटिस में लाने उपरांत इस घपले की अक्तूबर 2017 में जांच शुर हुई थी। शिक्षा विभाग की ओर से पहले आई टीम द्वारा इस घोटाले बारे इस बार जांच तीव्रता से शुर करके बाद में इस मामले को बीच में छोड़ दिया गया था। जिस के बाद इस मुद्दे पर भ्रष्टाचार विरोधी कमेटी द्वारा पूर्व अध्यापक जोगिंदर आज़ाद व मलकीत सिंह के नेतृत्व में पुन: उच्चाधिकारी तक पहुंच करने पर जगराओं शिक्षा कार्यालय में पहुंची आडिट टीम ने इस घोटाले बारे नए खुलासे किए हैं। इस दौरान डी.पी.आई. इंद्रजीत सिंह द्वारा भी इस घोटाले की जांच शुरु की हुई है, जिस संबंधी दो बार जगराओं ब्लाक के अधिकारियों व संबंधित नामज़द आरोपियों को चंडीगढ़ तलब किया जा चुका है और इस मामले की अगली तिथि 15 मार्च है, जिस पर ब्लाक की पूर्व शिक्षा अधिकारी जसवंत कौर को भी तलब किया गया है। दूसरी ओर इस घोटाले संबंधी पूर्व लैकचरार कुलदीप कुमार कौड़ा द्वारा कई रिकार्ड मांगे जा रहे हैं, उस संबंधी रिकार्ड न प्रस्तुत करके मौजूदा ब्लाक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी सूचना अधिकारी विने कपूर द्वारा वरंट जारी किए गए हैं, जबकि उक्त अधिकारी देश राज का घोटाले के कार्यकाल के कोई संबंध नहीं है। भ्रष्टाचार विरोधी कमेटी के नेता जोगिंदर आज़ाद के अनुसार अब तक सामने आए घोटाले में जी.पी.एफ. फंड में 4 लाख 56 हज़ार, गलत खातों में अदायगी वाली राशि 2 लाख 73 हाज़ार, और गबन 12 लाख 59 हाज़ार, इसके इलावा 16 लाख की ऐसी अदायगियां है, जिनके कार्यालय द्वारा अभी तक बिल पेश नहीं किए गए। भ्रष्टाचार विरोधी कमेटी द्वारा इस मामले की जांच लंबी लटकने पर चिंता प्रगट करते शिक्षा अधिकारियों से मांग की कि इस मामले की जांच यहां बैक कर मुकम्मल तौर पर की जाए।