जद (यू) चार राज्यों में अपने बलबूते लड़ेगा चुनाव

नई दिल्ली, 8 जुलाई (वार्ता) : जनता दल (यू) ने चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में समाजवादी आंदोलन से प्रभावित क्षेत्रों में अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जद (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आज यहां हुई बैठक में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम विधानसभा चुनावों में समाजवादी आंदोलन से प्रभावित क्षेत्रों में सीमित सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता पार्टी के प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने की। पार्टी के प्रधान महासचिव के.सी. त्यागी ने संवाददाता सम्मेलन में कार्यकारिणी के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि उनकी पार्टी पहले भी गुजरात, नागालैंड और कर्नाटक में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती रही है। जद (यू) चार राज्यों में चुनाव न तो किसी पार्टी को हराने के लिए और न ही जिताने के लिए लड़ेगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीटों के तालमेल के वास्ते पार्टी के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है और भारतीय जनता पार्टी की ओर से यदि प्रस्ताव आएगा तो उस पर मिल-बैठकर निर्णय कर लिया जाएगा। त्यागी ने बताया कि बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराने को सिद्धांत रूप में स्वीकार किया गया लेकिन वर्तमान परिस्थिति को उसके उपयुक्त नहीं पाया गया। एक साथ चुनाव कराये जाने से काले धन पर कुछ हद तक नियंत्रण हो सकता है और विधानसभा और लोकसभा के अलग-अलग चुनाव होने से इस पर होने वाले खर्च और समय में भी बचत होगी। इसके साथ ही विकास कार्यों पर विपरीत असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसका दूसरा पहलू यह है कि चुनाव आयोग एक साथ दोनों चुनाव कराने में सक्षम है या नहीं और इस तरह के चुनाव के लिए कानून में बदलाव की भी ज़रूरत है। पार्टी ने एक अन्य प्रस्ताव पारित किया है जिसमें असम नागरिकता विधेयक, 2016 का संसद में विरोध करने को मंजूरी दी गई है। श्री त्यागी ने कहा कि यह विधेयक यदि पारित हो जाता है तो इससे असम की अस्मिता संकट में पड़ जायेगी और वहां के मूल निवासियों के समक्ष कई तरह की समस्याएं पैदा होंगी। कुछ समय पहले असम स्टूडेंट यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्री कुमार से मुलाकात की थी और उसने इस विधेयक का विरोध का उनसे अनुरोध किया था।