बंटवारे के 70 वर्ष बाद अपने भाई से मिलीं बिछुड़ी बहनें

अमृतसर, 26 नवम्बर  : गुरु साहिबान से संबंधित विशेष पर्व सहित वैसाखी मेले और महाराजा रणजीत सिंह की बरसी मौके पाकिस्तान स्थित गुरुधामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु यात्रियों के लिए सिर्फ यह एक धार्मिक यात्रा ही नहीं है, बल्कि यह यात्रा बंटवारे के समय बिछड़े परिवारों को मिलाने का एक अद्भुत जरिया भी बन चुका है।  पिछले सिर्फ कुछ वर्षों में ही इस यात्रा के मारफत देश के बंटवारे के समय पिछले दर्जनों परिवार आपस में मिल चुके हैं। इस बार बाबा गुरु नानक देव जी के 549वें प्रकाश पर्व के अवसर पर ज़िला गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक के गांव पराचा में रहते स. बेअंत सिंह को श्री ननकाना साहिब में देश के बंटवारे के दौरान अपनी पिछुड़ी बहनों से मिलना नसीब प्राप्त हुआ। बेअंत सिंह की बहनों में से उल्फ्त बीबी इस समय पाकिस्तान के ज़िला शेखूपुरा और मैराज़ बीबी ज़िला लाहौर की आबादी शाहदरा में रह रही है। उल्फत बीबी और मैराज़ बीबी ने अपने बिछड़े भाई को मिलने पर गुरु नानक देव जी का धन्यवाद करते हुए कहा कि गुरु साहिब की बख्शीश सदका ही उनका अपने भाई से मिलना संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि बंटवारे के दौरान उनका उक्त भाई व एक बहन भारत में ही रह गए थे। जिनके बारे जानकारी प्राप्त कर उनको अपने पास लेकर आने के लिए उनकी माता अल्ला रखी ने कई कोशिशें कीं। उल्फत बीबी के अनुसार पहले तो उनकी माता यही समझती रही कि बंटवारे के समय फिरकू दंगों में उनके पुत्र व बेटी को किसी ने कत्ल कर दिया होगा, परंतु फिर उन्होंने गांव पराचा में बंटवारे से पहले अपने पड़ोसी मक्खन सिंह से संपर्क किया, जिससे उनको अपने पुत्र के जीवित होने के बारे जानकारी मिली। उलफत और मैराज़ बीबी के अनुसार उन्होंने अपने भाई के साथ पत्र व फोन द्वारा संपर्क किया और अब उनके अपने भाई से मिलना संभव हो सका। उक्त दोनों बहनों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर मांग की है कि उनके भाई को पाकिस्तान की नागरिकता दी जाए ताकि वह अपने ज़िंदगी के अंतिम वर्ष अपने भाई के साथ बिता सकें या फिर उनके भाई का वीज़ा लम्बे समय के लिए बढ़ाया जाए।