भारतीय रेलवे के लिए  घाटे का सौदा साबित हो रही है समझौता एक्सप्रैस

अमृतसर, 27 जनवरी (सुरिन्दर कोछड़): भारत-पाक के बीच चलने वाली रेलगाड़ी समझौता एक्सप्रैस के कारण भारतीय रेलवे का भारी नुक्सान हो रहा है। इसके बावजूद आरम्भ से विवादों में रहने वाली यह गाड़ी दोनों देशों में हुए अंतर्राष्ट्रीय समझौते के चलते पिछले लगभग 43 वर्षों से पटरी पर दौड़ रही है। लगभग 936 सीटों वाली इस गाड़ी के ज़रिये कई बार केवल कुछ यात्री ही भारत पहुंच सके। पाकिस्तानी यात्रियों के अटारी रेलवे स्टेशन पहुंचने पर कस्टम, इमीग्रेशन व अन्य कार्रवाइयां मुकम्मल होने के पश्चात्  यहां उन्हें अटारी-दिल्ली सुपर फास्ट ट्रेन के ज़रिये दिल्ली रवाना किया जाता है। पाक से आए यात्रियों की सुरक्षा के लिए गाड़ी में 25 के लगभग सुरक्षा कर्मचारी तैनात रहते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत व पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते के अधीन 22 जुलाई 1976 को अटारी-लाहौर के बीच समझौता एक्सप्रैस शुरू की गई। बाद में जुलाई 1991 में भारत व पाकिस्तान के बीच रेल सम्पर्क जारी रखने के लिए एक और समझौता हुआ जिसके बाद मई 1994 से इस गाड़ी को सप्ताह में दो दिन चलाने के लिए समझौता हुआ। पहले एक ही गाड़ी के डिब्बे यात्रियों को वाघा से दिल्ली तक लेकर जाते थे, परंतु बाद में पाकिस्तानी गाड़ी के डिब्बे अटारी में रोककर वहां से यात्रियों को दूसरी गाड़ी में भेजे जाने की व्यवस्था की जाने लगी। 14 अप्रैल 2000 के बाद इसका सफर घटाकर तीन किलोमीटर कर दिया गया। मौजूदा समय यह गाड़ी अटारी-वाघा के बीच केवल तीन किलोमीटर का रास्ता तय करती है और यह विश्व में सबसे कम दूरी तय करने वाली अंतर्राष्ट्रीय गाड़ी बन चुकी है। इस रेल के लिए 6 माह में डिब्बे भारतीय रेल व 6 माह के लिए पाकिस्तान रेलवे उपलब्ध करवाती है।