लाहौर हाईकोर्ट ने मां-बोली पंजाबी के पक्ष में सुनाया फैसला

अमृतसर, 21 फरवरी (सुरिन्द्र कोछड़) : लाहौर हाईकोर्ट ने पंजाबी लहर तथा पंजाबी अदबी बोर्ड द्वारा मातृ भाषा पंजाबी को उसका बनता अधिकार दिलाने के लिए वकील ताहिर संधू तथा मुहम्मद बी. भट्टी की मार्फत दायर की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में स्कूली स्तर पर पंजाबी को अनिवार्य करने का जो फैसला सुनाया था, हाईकोर्ट द्वारा उसको लागू करने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश जारी किए गए हैं। इस बारे लाहौर से ‘अजीत समाचार’ के साथ जानकारी साझी करते हुए पंजाबी प्रचार संस्था के सदर अहमद रज़ा खान तथा महासचिव बाबर जालन्धरी ने बताया कि अदालत द्वारा मां-बोली पंजाबी के पक्ष में यह फैसला आने के बाद अब पश्चिमी पंजाब के पंजाबी भाषा संदेशी संयुक्त तौर पर इन आदेशों को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार के पास मांग करेंगे। अहमद रज़ा ने कहा कि मां-बोली पंजाबी को राष्ट्रीय ज़ुबान का दर्जा मिलने पर प्रदेश सरकार के सरकारी तथा गैर-सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षा से पांचवीं की पढ़ाई तक पंजाबी को विषय के तौर पर लागू किया जा सकेगा तथा पंजाब विधानसभा में पंजाबी बोलने पर लगाई गई पाबंदी भी खत्म कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि विश्व मां बोली दिवस पर आज लाहौर की शिमला पहाड़ी स्थित प्रैस क्लब के आगे पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रही संस्थाओं द्वारा मां-बोली पंजाबी को अदालती आदेशों के बाद प्रदेश सरकार के पास उसका बनता अधिकार, सम्मान तथा इंसाफ दिलवाने के लिए विशाल स्तर पर प्रदर्शन किया गया। लाहौर प्रैस क्लब के समक्ष प्रदर्शन करने के बाद वहां से प्रदर्शनकारी पंजाब विधानसभा के लिए पैदल रवाना हुए। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रदेश के लोगों के समक्ष पंजाबी के प्रचार-प्रसार के लिए निर्मित भूमिका निभाने की भी अपील की तथा कहा कि पंजाबी भाषा के साथ हीन भावना जोड़ दी गई है, जिस कारण नई पीढ़ी पंजाबी भाषा से अपनी दूरी बना रही है। इस मौके पर उपस्थित पंजाबी भाषा के कार्यकर्ताओं तथा साहित्य संगठनों ने पंजाबी भाषा को उसका बनता अधिकार तथा मान-सम्मान दिलाने के लिए भी बात कही।