अकाली दल द्वारा राज्यपाल को लोकतंत्र व लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा की अपील

चंडीगढ़, 10 मार्च (अ.स.): शिरोमणि अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी ने आज पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर से अपील की कि वह कांग्रेस सरकार को सियासत व बदलाखोरी से प्रेरित जांचों को तुरंत बंद करने का निर्देश देकर लोकतंत्र व लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करने व यह यकीनी बनाएं कि किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि को झूठे केसों में न फंसाया जाए। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्वेत मलिक के नेतृत्व में अकाली-भाजपा के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंधी राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और इस बात से अवगत करवाया कि कांग्रेस की सभी जांचों का राजनीतिकरण कर रही है और चुने हुए प्रतिनिधियों के अपने क्षेत्र निवासियों की मदद करने के अधिकारों तक को कुचल रही है। राज्यपाल को इसकी जानकारी देते हुए सुखबीर  सिंह बादल ने कहा कि कांगे्रस सरकार कोटकपूरा व बहिबल कलां में हुई गोलीबारी की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का राजनीतिकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई 2017 में सत्ता सम्भालते ही सरकार द्वारा शुरू कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि इस संबंधी रणजीत आयोग नामक एक आयोग गठित किया गया था, जिसके पक्षपाती रवैये के कारण अकाली दल ने इसका बहिष्कार कर दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद एक एसआईटी बनाई गई, जिसे इस उम्मीद से हमें सहयोग दिया कि यह इन दोनों घटनाओं के लिए ज़िम्मेवार दोषियों को पकड़ेगी और पीड़ित परिवारों को इन्साफ दिलाएगी। बादल ने कहा कि ऐसी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए एसआईटी ने अकाली नेताओं के खिलाफ एक बदलाखोर अभियान शुरू कर दिया और उन्हें झूठे केसों में फंसाने की साज़िश शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि कोटकपूरा के पूर्व विधायक मनतार सिंह बराड़ को ऐसे एक झूठे केस में दोषी बनाया जा चुका है जबकि जब 2015 में यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी तो वह केवल एक प्रतिनिधि के रूप में अपना फज़र् निभा रहे थे। उन्होंने कहा कि जांच के ज़रिये गलत परिणाम निकाले जा रहे हैं और एसआईटी यह दावा कर रही है कि विधायक अधिकारियों पर दबाव डाल रहे थे और अधिकारियों को अपनी ड्यूटी करने से रोक रहे थे। एसआईटी की यह हरकत बेहद शर्मनाक है। प्रतिनिधिमंडल ने एसआईटी सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह की पक्षपाती भूमिका बारे भी राज्यपाल को अवगत करवाया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्वेत मलिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इसलिए बदलाखोरी की सियासत शुरू की है, क्योंकि यह लोगों के साथ किया एक भी वादा पूरा न करने के कारण लोगों में अपना आधार गंवा चुकी है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला, चरनजीत सिंह अटवाल, तोता सिंह, सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल, डाक्टर दलजीत सिंह चीमा, बिक्रम सिंह मजीठिया, सिकंदर सिंह मलूका, जनमेजा सिंह सेखों, गुलज़ार सिंह रणीके, बलदेव मान, मदन मोहन मित्तल, मनोरंजन कालिया, अश्विनी कुमार, कमल शर्मा, राकेश राठौर व दिनेश बब्बू शामिल थे।