सावधान...! आशंका से ज्यादा लोग मर सकते हैं कोरोना से          

भारत में पिछले 7 अप्रैल, 2021 से प्रचंड हुई कोरोना की दूसरी लहर, पहली लहर से कहीं ज्यादा खतरनाक है। इसकी पुष्टि भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने भी की है। साथ ही आंकड़े भी हर पल खतरनाक होते जा रहे हैं। पहली बार देश में एक दिन में अढ़ाई लाख से ज्यादा लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं। ऐसे में मेडिकल से संबंधित लोगों के बीच यह आशंकित सवाल सिर उठा रहा है कि आखिर कितने लोग इससे मर सकते हैं? सुनने में डरावना लग सकता है, लेकिन मेडिकल जानकारों के एक समूह को आशंका है कि अगर अगले एक से डेढ़ पखवाड़े के बीच कोरोना की इस दूसरी लहर की रफ्तार नहीं थमी, तो भारत में इससे मरने वाले लोगों की तादाद 1 करोड़ के ऊपर भी जा सकती है।
जी हां, पूरी सोच, समझ और गंभीरता के साथ यह लिखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोरोना की इस दूसरी लहर पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो इसका वही हाल हो जायेगा, जो सौ साल पहले स्पेनिश फ्लू का हुआ था। गौरतलब है कि 1920 में आयी भयानक महामारी स्पेनिश फ्लू ने भारत में एक करोड़ 20 लाख लोगों की जान ले ली थी। यह भी ध्यान रखें कि इतने लोग तब मर गये थे, जब उन दिनों भारत की आबादी महज 30 करोड़ से भी कम थी और देश के तत्कालीन भूगोल में आज का पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल थे। आज अकेले भारत की आबादी 1 अरब 30 करोड़ से भी ज्यादा है। इसलिए अगर मरने वालों की संख्या में 10-20 प्रतिशत और इजाफा हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
इससे यह समझा जा सकता है कि देश में कोरोना की मौजूदा रफ्तार कितनी तेज़ और खतरनाक है। 17 अप्रैल, 2021 को जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, तब तक देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद करीब 1,74,000 पहुंच चुकी है जबकि अभी तक 1.42 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 1.24 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं। अगर दुनिया के परिदृश्य पर नज़र डालें तो ठीक इस समय तक दुनिया में 14 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और करीब 8 करोड़ लोग इसमें ठीक हो चुके हैं, जबकि 30 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब 6 करोड़ से ज्यादा लोग इस समय कोरोना की चपेट में हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं और अचानक ग्लोबल स्तर पर इन्सानी इम्यूनिटी डिप करती है तो कई करोड़ लोग इस भयावह आपदा द्वारा निगल लिये जाएंगे।
सवाल है, क्या कोरोना की इस विश्वव्यापी दूसरी लहर के लिए सिर्फ  लोगों की लापरवाही जिम्मेदार है? जवाब है नहीं। निश्चित रूप से इसमें एक बड़ा हिस्सा लोगों की लापरवाही का है लेकिन वो लापरवाही इन्सान के स्वभाविक स्वभाव की है। जानबूझ कर लापरवाही का कोई योगदान नहीं है। इस साल जनवरी में लग रहा था कि शायद मई-जून तक कोरोना की निर्णायक विदाई होने लगेगी और दुनिया धीरे-धीरे पुरानी फॉर्म में लौटते हुए दिसम्बर 2021 तक कोरोना को इतिहास बना चुकी होगी लेकिन जनवरी में ही इस महामारी ने पलटा मारा और सारे इन्सानी अनुमानों को धता बता दिया। भारत में तो इसने कुछ और ही सफाई से चकमा दिया। मार्च के तीसरे सप्ताह तक लग रहा था कि कोरोना अब देश के कुछ इलाकों में ही रह गया है और वहां भी इसे जल्द से जल्द कॉर्नर कर दिया जायेगा लेकिन अप्रैल का पहला हफ्ता गुजरते गुजरते हाल यह हो गया है कि अब तो लोग एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाने तक के लिए भी यह कहने से हिचकते हैं कि कोरोना बस जाने ही वाला है। 
7 अप्रैल, 2021 के बाद देश में ऐसी ऐसी अनहोनी हो रही हैं, जिनकी कुछ पखवाड़ों पहले तक आशंका भी नहीं थी जैसे एक दिन में कोरोना के नये मामलों की संख्या 2 लाख के पार चले जाना और राजधानी दिल्ली में 17,000 के आंकड़े को पार कर जाना। दिल्ली के पहले मुम्बई और महाराष्ट्र भी कोरोना के अचानक बढ़े मरीज़ों से चौंका चुके हैं और अब तो देश का हर इलाका चौंका रहा है। सवाल है, आखिर यह कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक क्यों है? विशेषज्ञों की मानें तो इस दूसरी लहर के ज्यादा खतरनाक होने का कारण कोरोना के डबल म्यूटेशन वाले वैरियंट का सक्रिय होना है। 7 अप्रैल, 2021 के पहले महाराष्ट्र में जो  जांच हुई थीं, उससे पता चला था कि बहुत तेज़ी से देश में कोरोना का डबल म्यूटेशन वैरियंट फैल रहा है। यह इस लिहाज से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह हमला करने में माहिर है। 
बड़ी बात यह है कि यह वैरियंट इतनी जल्दी अपने लक्षण बदलता है, कि जब तक कोरोना से ग्रस्त होने की आशंका होती है, तब तक लोग पूरी तरह से जकड़े जा चुके होते हैं। पहले जिन्हें भी कोरोना हो रहा था, उनमें से 90 फीसदी को साथ में खांसी ज़रूर हो रही थी और खांसी भी सूखी लेकिन अब कोरोना वायरस बहुत स्मार्ट हो चुका है। अब इसके नये नये लक्षण है कि आप कल्पना ही नहीं कर सकते। पेट में रह-रह कर मरोड़ उठना, नींद न आना, बदन में भयानक दर्द होना, सिरदर्द और शरीर में लाल-लाल चकत्ते उभरना जो आमतौर पर भारत के बड़े हिस्से में पहले भी गर्मियों में पड़ते रहे हैं। अब ये सब चीजें कोरोना के आशंकित लक्षणों का हिस्सा हैं। लोगों को लगता है कि उन्हें कुछ नहीं हुआ और ज्यादातर बार यह गफलत इसलिए बनी रहती है, क्योंकि अभी भी करीब 98.89 फीसदी मरीजों की कोरोना से मौत नहीं हो रही लेकिन जिनको कोरोना ने दबोच लिया, वो इससे बच भी नहीं पा रहे।
 इस स्थिति से बचना मुश्किल नहीं है बशर्ते हम सजग रहें। लगातार घर से बाहर रहने पर सर्जिकल मास्क लगाकर रहें और दिन में ज्यादा से ज्यादा बार हाथ साबुन से धोते रहें या सैनीटाइज करते रहें। इससे भी बड़ी बात यह है कि इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फल व सब्जियां खाते रहें। पानी जितना संभव हो, गर्म पीएं। खाना पूरी तरह से ताज़ा खाएं और मानसिक तौर पर मानते रहें कि कोविड-19 एक साधारण वायरस है, जिसे हराना हमारे लिए आसान है। इस सबके साथ जितना जल्दी हो सके, टीके भी लगवा लें क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी बनने के लिए कम से कम 70 फीसदी आबादी को टीके लगे होने चाहिएं। कहने का मतलब साफ  है कि बचना हमारे हाथ में है, पर अगर हमने लापरवाही बरती तो फिर समस्या पैदा हो सकती है, क्योंकि इसकी अभी कोई दवा नहीं है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर