कांग्रेस हाईकमान की सक्रियता

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में शानदार जीत प्राप्त करने के बाद कांग्रेस हाईकमान, कांग्रेस की भिन्न-भिन्न प्रदेशों की क्षेत्रीय इकाइयों तथा समूचे रूप में कांग्रेस कार्यकर्ताओं  तथा समर्थकों के हौसले बेहद बुलंद नज़र आते हैं। पार्टी द्वारा इस वर्ष के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ के होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तथा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों हेतु तैयारियां आरम्भ कर दी गई हैं। इसी के साथ ही पार्टी द्वारा भिन्न-भिन्न प्रदेशों में कांग्रेसी नेताओं में पाई जा रही गुटबंदी को समाप्त करके उन्हें एक मंच पर लाने के लिए यत्न तेज़ कर दिये गये हैं। दिल्ली में कांग्रेस के मुख्यालय तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के निवास स्थान पर अब काफी आवाजाही देखी जा रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने विगत दिवस दिल्ली में भिन्न-भिन्न प्रदेशों के विधानसभा चुनावों की तैयारी के संबंध में मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के नेताओं के साथ विशेष रूप से चर्चा की है। राजस्थान तथा मध्य प्रदेश दोनों प्रदेशों में पार्टी की चुनावी सम्भावनाओं तथा इसके संबंध में दरपेश समस्याओं संबंधी भी इन बैठकों में चर्चा हुई है। इसी संबंध में कांग्रेस हाईकमान को एक बड़ी सफलता यह मिली है कि वह पिछले कई मास से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट के गुटों के मध्य चल रहे गृह युद्ध को समाप्त करवाने में सफल हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपरोक्त दोनों नेताओं के साथ पहले अलग-अलग तौर पर तथा फिर उन दोनों के साथ इकट्ठा बैठक करने के बाद यह घोषणा की है कि दोनों नेता अपने मतभेद भुला कर राजस्थान में भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर काम करने के लिए तैयार हो गये हैं। इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठनात्मक सचिव वेणुगोपाल तथा पार्टी के रणनीतिकार सुनील कानूगोलू की भी विशेष भूमिका बताई जा रही है। 
यहां वर्णनीय है कि विगत कई मास से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध तीव्र बयानबाज़ी की जा रही थी। खास तौर पर पायलट द्वारा यह आरोप लगाये जा रहे थे कि अशोक गहलोत भाजपा की पिछली प्रदेश सरकार के समय रही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच नहीं करवा रहे। वह वसुंधरा राजे सिंधिया के प्रति नरम रवैया अपना रहे हैं। उन्होंने इस तथा कुछ अन्य मांगों को लेकर 11 मई से 15 मई तक अजमेर से जयपुर तक पद-यात्रा भी निकाली थी तथा 15 मई को जयपुर में उन्होंने एक रैली के दौरान अशोक गहलोत को इस संबंध में 30 मई तक कार्रवाई करने का अल्टीमेटम भी दिया था। इस अल्टीमेटम के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की सम्भावना बढ़ गई थी कि विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान कांग्रेस दोफाड़ हो सकती है तथा इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है, परन्तु कांग्रेस हाईकमान द्वारा समय पर किये गये हस्तक्षेप से वर्तमान में तो यह समस्या हल हो गई प्रतीत होती है, परन्तु कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट को इस फार्मूले के आधार पर एकजुट होकर काम करने के लिए मना लिया है, इस संबंध में पार्टी द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई तथा न ही अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट ने इस संबंध में मीडिया के साथ कोई बातचीत साझा की है। अशोक गहलोत ने इस संबंध में इतना ही कहा है कि वह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा तीन बार केन्द्र सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस से उन्हें बहुत कुछ मिला है तथा अब उन्हें किसी पद की भूख नहीं। वह कांग्रेस हाईकमान के आदेशानुसार ही पार्टी को मज़बूत करने तथा आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की राजस्थान में पुन: सरकार बनाने के लिए काम करेंगे।
पार्टी हाईकमान द्वारा समय रहते हस्तक्षेप कर राजस्थान कांग्रेस के संकट को हल करने में सफल रहने के बाद पार्टी हाईकमान की कतारों में सन्तोष की भावना पाई जा रही है। आगामी समय में भी यदि पार्टी इसी प्रकार की सक्रियता के साथ काम करना जारी रखती है तो इस वर्ष के अंत में होने वाले भिन्न-भिन्न विधानसभा चुनावों तथा उसके बाद आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी भाजपा को एक बड़ी चुनौती देने में समर्थ हो सकेगी। कांग्रेस के रूप में एक मज़बूत विपक्षी दल के उभार से देश के उन लोगों में भी विश्वास पैदा होगा, जो देश में लोकतांत्रिक, धर्म-निरपेक्षता तथा संघीय ढांचे की मज़बूती चाहते हैं तथा देश में प्रैस की आज़ादी तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी को भी सुरक्षित देखना चाहते हैं।