भारत-कनाडा में बढ़ता तनाव
भारत और कनाडा के साथ संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसने लाखों ही भारतीयों को बड़ी परेशानी में डाल दिया है। खास तौर पर भारतीय विद्यार्थी जिन्होंने अपनी अगली पढ़ाई के लिए कनाडा जाने का चुनाव किया हुआ है, बहुत चिंतित हैं। इस वर्ष जुलाई मास में सवा लाख के लगभग विद्यार्थियों को यह वीज़ा मिला था। अगस्त-सितम्बर में भी कनाडा एम्बैसी द्वारा लगभग 20,000 स्टडी वीज़ा दिए गए थे। इसके अलावा परिवारों, बच्चों और अभिभावकों आदि के लिए वीज़ा जारी किये गये हैं। ़खालिस्तान टाइगर फोर्स के नेता भाई हरदीप सिंह निज्जर की जून मास में कुछ व्यक्तियों द्वारा हत्या किये जाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा अपनी संसद में यह बयान दिया गया था कि इस हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ प्रतीत हो रहा है। जस्टिन ट्रूडो ने यह भी कहा था कि निज्जर कनाडियन नागरिक था। उस पर हमला कनाडा की प्रभुसत्ता पर हमला है। इसके साथ ही कनाडा से एक बड़े भारतीय राजनयिक को भारत वापिस जाने के आदेश दे दिये गये थे। इसकी प्रतिक्रिया-स्वरूप भारत ने भी एक कनाडियन राजनयिक को देश छोड़ने के लिए कह दिया तथा साथ ही कनाडियन नागरिकों के लिए वीज़े बंद कर दिये। इसके बाद भारत ने एक और आगे बढ़ाते हुए 41 कनाडियन राजनयिकों को दिल्ली से जाने के लिए कह दिया है। यह सही है कि कनाडा की धरती पर आज भारत से गये अनेक ही ऐसे व्यक्तियों ने शरण ली हुई है जो लगातार ़खालिस्तान का प्रचार करते हैं तथा भारत के विरुद्ध किसी भी तरह की गतिविधि करने से नहीं हिचकिचाते। इसके साथ-साथ वे भारतीय राजदूतों या एम्बैसी के कर्मचारियों के विरुद्ध भी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। जहां तक दोनों देशों के संबंधों की बात है, ये देश अनेक प्रकार से आपस में जुड़े हुये हैं। अधिकतर अन्तर्राष्ट्रीय संधियां ऐसी हैं जिनके दोनों देश सदस्य हैं। आज लाखों ही विद्यार्थी कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं तथा समय पूरा होने के बाद उनमें से ज्यादातर का यह यत्न होता है कि वे वहीं पर ही काम करते रहें।
पिछले दशकों में तो भारतीय लोगों की कनाडा में अधिक संख्या हो गई है। इनमें अधिकतर पंजाबी हैं, जिनका कनाडा की राजनीति पर भी व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। अब तक स्टडी वीज़ा ले कर वहां पढ़ाई करने गये विद्यार्थियों की फीसों से ही कनाडा को अरबों रुपये की आय हो चुकी है, परन्तु इसके साथ ही पंजाबी मूल के वहां के ज्यादातर परिवारों का यह यत्न होता है कि वे प्रत्येक ढंग-तरीके से अपनी धरती से जुड़े रहें। इस कारण प्रत्येक वर्ष हज़ारों ही लोग पंजाब आते हैं। वे अपने अधिकतर सामाजिक समारोह पंजाब में ही करते हैं तथा हर तरह से पंजाब की आर्थिकता में अहम योगदान डालते हैं, परन्तु दोनों देशों के संबंध बिगड़ने से कनाडा में रहते पंजाबियों तथा पंजाब में रहते उनके रिश्तेदारों में बड़ी चिन्ता पाई जा रही है। इस समस्या के सन्दर्भ में भारत का पक्ष यह है कि विगत कई दशकों से भारत की सरकारें कनाडा की तत्कालीन सरकारों को उसकी धरती पर भारत के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाइयों संबंधी अवगत करवाती रही है तथा यह भी कहती रही हैं कि कनाडा में भारत-विरोधी तत्वों की कार्रवाइयों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए, क्योंकि पंजाब में यदि अधिक हिंसक घटनाएं होती हैं तो इनके तार भी पाकिस्तान तथा कनाडा के साथ जुड़े होते हैं, परन्तु जस्टिन ट्रूडो ने भारत की ओर से रखे जाते पक्ष की अपने ही कारणों के दृष्टिगत कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया जिसे भारत अपनी प्रभुसत्ता पर हमला समझता आया है।
इसलिए ही ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाये आरोपों तथा उसके बाद की गई कार्रवाई के विरुद्ध भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट की है। अब भारत द्वारा लिये गये नये फैसले जिसमें 41 राजनयिक अधिकारियों को वापिस जाने का निर्देश दिया गया है, साथ ही दिल्ली के कनाडियन दूतावास से भारतीय नागरिकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया के प्रभावित होने की भारी सम्भावना बन गई है। हम तो महसूस करते हैं कि इस कशमकश को और आगे बढ़ाने के स्थान पर दोनों देशों को आपसी बातचीत के ज़रिये द्विपक्षीय रूप से इसे सुलझाना चाहिए, ताकि एक-दूसरे के विचारों तथा भावनाओं को समझा जा सके तथा भविष्य के लिए इसका कोई उचित समाधान निकल सके। दोनों देशों में बढ़ती दरार से लाखों ही परिवारों के बड़ी सीमा तक प्रभावित होने की सम्भावना बन गई है। लोगों के हितों के इस टकराव को शीघ्र रोका जाना बेहद ज़रूरी है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द