दुर्भाग्यपूर्ण है इज़रायल-हमास का युद्ध

इज़रायल और हमास के बीच युद्धकालीन स्थितियों ने बहुत कुछ सोचने पर विवश कर दिया है। इस विवाद को इतिहास का सबसे लम्बा अनसुलझा विवाद माना जा रहा है। क्या अब यह एक अंतहीन संघर्ष बन चुका है? जिसमें बर्बादी के सिवा कुछ भी न तो हासिल हुआ है न होने वाला है। (वर्तमान स्थिति को देखते हुए) गाज़ा में रह रहे बच्चे, जिनका भविष्य अभी संवरना है, बेहद आतंकित हैं। सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट के अनुसार गाजा में रह रहे 5 में से 4 बच्चे डिप्रेशन व एंग्जायरी का शिकार हैं। गाजा पर बात करते हुए उसे विश्व की सबसे बड़ी ‘ओपन एरिया प्रिजन’ कहा जा रहा है। 
गाजा पट्टी दो तरफ से इज़रायल से घिरा इलाका है जिसके एक तरफ भूमध्य सागर है और एक तरफ से इसका इलाका मिस्र से लगता है। बीस लाख के लगभग फिलिस्तीनियों का घर गाजा 1967 से ही सैन्य कब्ज़े में है। गाजा की आधी आबादी 18 साल से कम उम्र की है। डिफेंस फॉर चिल्ड्रन इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार गाजा में पिछले 18 साल से एक हज़ार से ज्यादा बच्चों ने जान गंवाई है। इतिहास को देखें तो वर्ष 1948 तक इज़रायल का नामो-निशान तक नहीं था। फिलिस्तीन क्षेत्र पर ब्रिटिश शासन था। विश्व भर के यहूदियों को बसाये जाने के सवाल पर अमरीका तथा पश्चिमी देशों ने एक योजना बनाई जिसके तहत ज्यादातर फिलिस्तीनियों को विस्थापन झेलना पड़ा। वे गाज़ा पट्टी, लेबनान तथा अन्य अरब देशों में शरणार्थियों की तरह रहने पर विवश रहे। 
इज़रायल के अस्तित्व में आने पर मिस्र, सीरिया और कुछ अन्य अरब देशों ने इस पर हमला कर दिया, लेकिन असफलता ही हाथ लगी। ज्यों-ज्यों समय गुज़रा इज़रायल खुद को मज़बूत करता रहा है। वहीं फिलिस्तीनी अभी तक अपना देश नहीं पा सके। पी.एल.ओ. और फिर उभरा हमास ऐसे संगठन हैं जो इज़रायल को चैन नहीं लेने देते। मिस्र और कुछ अन्य अरब देश इज़रायल के साथ समझौता कर चुके हैं। सऊदी अरब भी अब अमरीका के कारण इज़रायल के करीब आ चुका है। लेकिन ईरान तथा सऊदी अरब के मध्य इस क्षेत्र में पुरानी शत्रुता अभी कायम है। ईरान की मदद से लेबनान में हिज़बुल्ला संगठन भी खुद को मजबूत करता रहा है जो इज़रायल के विरोध में है। पिछले कुछ समय में इज़रायल ने स्वयं को हर सम्भावित ़खतरे का सामना करने के लिए मजबूत किया है वहीं विद्रोह की चुनौतियां कभी कम नहीं हुईं।
इस बार हमास ने जो हमला किया है वो अचानक भड़क कर हमला कर देने वाला नहीं हैबल्कि यह  एक योजनाबद्ध पूरी तैयारी के साथ किया गया हमला है। यह इज़रायल के लिए बड़ी चुनौती मानी जा सकती है। हमास ने पहले हमले में इज़रायल को काफी नुकसान पहुंचाया। बाद में हमले का प्रतिकार करते हुए इज़रायल ने गाजा पट्टी के चप्पे-चप्पे को तबाह करने में पूरी ताकत झोंक दी। दोनों तरफ से जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। फिलिस्तीनी उत्तरी गाज़ा से पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं। इज़रायल की सेना ने कम से कम दस लाख फिलिस्तीनियों को गाज़ा खाली करके सुदूर दक्षिण में जाने को कहा है। भारी संख्या में लोगों का पलायन शुरू हो गया है। 
इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमास के इस हमले से बेहद ख़फा हैं। उन्होंने अपने पड़ोसी गाजा से हमास को पूरी तरह तबाह कर देने की चुनौती दी है। इससे  यह युद्ध अभी जल्दी समाप्त होने वाला नहीं नज़र आता। आने वाले दिनों में यह और भी भयानक हो सकता है। यह युद्ध यदि भीषण रूप धारण करता है तो और भी दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। भारत भी इससे अप्रभावित नहीं रह सकता। तेल की कीमतों में इज़ाफा देखने में आ सकता है। उधर अमरीका तथा यूरोप के अनेक देश इज़रायल की सहायता के लिए साथ आए हैं। दूसरी तरफ भी ऐसी लामबंदी हुई तो परिणाम और भी भयानक हो सकते हैं।