पाकिस्तान को और भी अस्थिर करेगा ईरान के साथ टकराव
पहले ही रूस एवं यूक्रेन में विगत लम्बी अवधि से चल रहे युद्ध के बाद इज़रायल तथा गाज़ा पट्टी पर काबिज़ हमास के बीच रक्तिम युद्ध के बाद अब पाकिस्तान तथा ईरान के मध्य बढ़ रहे हथियारबंद टकराव एवं कटुता ने एक और सम्भावित युद्ध शुरू होने की चिन्ता पैदा कर दी है। ईरान की ओर से बलोचिस्तान में जैश-अल-अदल नामक आतंकवादी संगठन के ठिकानों पर मिज़ाइलों एवं रॉकेटों से हमले किये गये हैं। इस सुन्नी आतंकवाद समूह ने विगत अवधि में ईरान पर कड़ी कार्रवाइयां की हैं, जिसके कारण ईरान ने प्रतिक्रिया-स्वरूप पाकिस्तान के इस सूबे पर कार्रवाई करनी पड़ी। ईरान पश्चिम एशिया का महत्त्वपूर्ण देश है। इसकी सीमाएं तुर्की, अज़रबाइजान, आर्मीनियास तुर्कमेनिस्तान तथा अ़फगानिस्तान के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व की ओर पाकिस्तान के साथ भी लगती हैं। ईरान में बहुसंख्या शिया मुसलमानों की है, जबकि पाकिस्तान में भारी संख्या में सुन्नी मुसलमान रहते हैं। मुसमलानों के इन दोनों सम्प्रदायों में अक्सर गम्भीर तनाव बना रहता है। यहीं बस नहीं, इस हमले की प्रतिक्रिया-स्वरूप पाकिस्तान ने भी ईरान की सीमाओं के भीतर आधुनिक हथियारों से हमले किये हैं।
इसके साथ ही उसने ईरान के राजदूत जोकि इस समय अपने देश गये हुये थे, को भी वहीं रहने का आदेश देकर अपने राजदूत को भी ईरान से वापिस बुला लिया है। पाकिस्तान ने इस कार्रवाई को देश की प्रभुसत्ता पर हमला करार दिया है तथा यह भी कहा है कि आगामी समय में भी उसकी ओर से ईरान की किसी भी कार्रवाई का कड़ा जवाब दिया जाएगा। भारत ने भी पाकिस्तान की ज़मीन से आतंकवादी संगठनों द्वारा लगातार की जा रहीं कार्रवाइयों के चलते वर्ष 2019 में पाकिस्तान के क्षेत्र बालाकोट में सर्जीकल स्ट्राइक की थी, परन्तु उस समय पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी थी। अब ईरान के साथ टकराव बढ़ने के कारण पाकिस्तान चारों तरफ से घिरा दिखाई देता है। अपने पड़ोसी अ़फगानिस्तान जहां अब तालिबान का शासन है, जिसकी पाकिस्तान ने सहायता करके उसे पुन: सत्ता दिलाई थी, के साथ भी अगर आज सीमाओं पर पूरी तरह लड़ाई नहीं चल रही, तो भी फिर भी प्रतिदिन आपसी झड़पों के कारण दोनों देशों के मध्य संबंध बेहद खराब हो चुके हैं।
भारत के विरुद्ध तयशुदा नीति के तहत पाकिस्तान ने परोक्ष युद्ध छेड़ रखा है तथा वह अधिक से अधिक आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण एवं हथियार देकर भारत भेजता रहता है। इसी कारण दोनों देशों के संबंध आज बेहद निम्न स्तर के हो चुके हैं। दोनों का आपसी व्यापार भी नाममात्र ही रह गया है। अब ईरान के साथ उसका तीसरा फ्रंट खुल गया है। भारत के ईरान के साथ अच्छे संबंध बने रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से केन्द्रीय एशिया के देशों के साथ भारत के मेल-मिलाप के मार्ग में अवरोध पैदा करके भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह का विस्तार करने को प्राथमिकता दी है, ताकि उसे ईरान द्वारा केन्द्रीय एशिया के देशों के साथ व्यापार में कोई बंदिश न रहे। विगत दिवस भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ईरान का दौरा करके उसके साथ अपने संबंधों को और भी मज़बूत करने की वचनबद्धता व्यक्त की थी।
आज पाकिस्तान आर्थिक रूप से पूरी तरह त्रस्त है। यहां ज्यादातर लोगों का महंगाई के कारण जीवन बेहाल हो चुका है। अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों ने भी इसकी आर्थिक सहायता करने से तौबा कर ली है। इस देश की कंगाली के लिए इसकी नीतियां ही ज़िम्मेदार हैं, जिन्होंने यहां के करोड़ों लोगों को तबाही के किनारे ला खड़ा किया है। आज पाकिस्तान को सबसे अधिक ़खतरनाक देश माना जा रहा है, जिसमें विश्व भर के आतंकवादी संगठनों ने शरण ली हुई है। यही कारण है कि इन संगठनों की बंदूकों की दिशा भिन्न-भिन्न समय में अपने अलग-अलग पड़ोसियों की ओर हो जाती है, जिससे अन्त में इस देश का अपना ही विनाश होता है। राजनीतिक पक्ष से यह पूरी तरह बिखर चुका है। चाहे आगामी मास 8 फरवरी को इसमें चुनाव होने जा रहे हैं परन्तु उन पर भी अनिश्चितता की तलवार लटकती प्रतीत होती है। ईरान के साथ बढ़ता टकराव इसे और भी कमज़ोर करेगा। नि:संदेह भारत के लिए अपने इस विरोधी पड़ोसी देश में घटित होता घटनाक्रम कोई अच्छा सन्देश नहीं होगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द