कला को नई परिभाषा प्रदान करती डिजिटल आर्ट गैलरीज

डिजिटल आर्ट गैलरी या डीएजी कलाओं के डिजिटली प्रदर्शन के लिए सुविधाओं और संसाधनों से सुसज्जित एक जगह होती है या दूसरे शब्दों में डीएजी आर्ट कलाकारों के लिए अपने काम को प्रदर्शित करने का मंच है। आर्ट गैलरियों को डिजिटल फार्म में बदलना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि इस दौर में करीब-करीब हर चीज डिजिटल रूप ले चुकी है। इसलिए डिजिटलीकरण की इस आंधी से भला कला विथिकाएं या आर्ट गैलरीज कैसे अछूती रह सकती थी। इनका सही मायनों में कलाकारों के लिए बहुत फायदा भी हुआ है, क्योंकि ये आभासी कला मंच एक तो दुनिया के किसी भी कोने से न सिर्फ देखे जाने के लिए उपलब्ध होते हैं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने से यहां प्रदर्शित आर्ट क्रिएशन की बिक्री भी बहुत आसानी से होती है। डिजिटल आर्ट्स गैलरी से जिस सहजता से पेंटिंग बिक जाती हैं, उतनी सहजता से इनके लिए ग्राहक पारंपरिक बाज़ार में खोजना मुश्किल होता है। 
वैसे डिजिटल आर्ट गैलरी किसी पारंपरिक कला दीर्घा का कोई भौतिक रूप नहीं है। ये वास्तव में कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली महज एक वेबसाइट भर होती हैं। और इन ऑनलाइन आर्ट गैलरीज को एक व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है जिसका मकसद कलाकृतियों को प्रदर्शित करना भर नहीं होता बल्कि संभावित खरीदारों तक इन कलाकृतियों की पहुंच भी बनानी होती है। दरअसल डिजिटल कला रचनात्मक सोच और आधुनिक कम्प्यूटर प्रौद्योगिक का मिश्रण है। डिजिटल कला में बहुत कुछ आता है। कम्प्यूटर जनरेटिव आइडियाज, रोबोटिक कलाकृति, आभासी वास्तविकता से लेकर संबंधित कला तक इसमें सबकुछ शामिल होता है। वैसे डिजिटल कला की दुनिया में कोई नया शब्द नहीं है। सच तो ये है कि हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली में इस शब्द के लोकप्रिय होने के बहुत पहले ही कला की दुनिया में डिजिटल आर्ट जैसे शब्द का इस्तेमाल शुरु हो गया था। 1980 के दशक में ही कम्प्यूटर इंजीनियरों के बीच यह शब्द तब चलन में आ गया था, जब पेंट नामक प्रोग्राम तैयार किया गया था और इसका इस्तेमाल अग्रिम डिजिटल कलाकार हैरोल्ड कोइंग ने किया था। बाद में इसे एरोन नाम से जाना जाने लगा, जोकि एक रोबोटिक मशीन ही है। यह एरोन फर्श पर रखी कागज की शीट पर प्रोग्राम्ड तरीके से बड़े चित्र बना देने में सक्षम थी। लेकिन सही मायनों में डिजिटल आर्ट में डिजिटल ड्राइंग, पेंटिंग, चित्रण, फोटो, वीडियो और मूर्तिकला जैसी तकनीकें 21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में इस्तेमाल होनी शुरु हुईं और कोविड-19 जहां कई क्षेत्रों के लिए अभिशाप बनकर आया वहीं कला की दुनिया के लिए यह एक अभिनव प्रयोग का मौका बनकर आया। कला की दुनिया में सबसे ज्यादा डिजिटल एक्सपेरिमेंट कोविड-19 के दौरान तब हुए, जब पूरी दुनिया घरों में कैद थी और महीनाें आर्ट गैलरीज के ताले तक नहीं खुले। 
इस आपदा के समय कला की दुनिया ने डिजिटल टेक्नोलॉजी को कला के क्षेत्र में एक अवसर की तरह पाया और महज पिछले तीन चार सालों में कला की दुनिया का बहुत बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण हो गया है। यह कला के कारोबार के लिए भी बहुत अच्छा साबित हुआ है। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में कला के डिजिटल मार्किटिंग में कला में सबसे ज्यादा सफलता हासिल की है। आज हर साल कई बिलियन डॉलर की कलाकृतियां ऑनलाइन बिकती हैं। वास्तव में कला के क्षेत्र में डिजिटल तकनीक ने कला संबंधी हमारी कल्पनाओं को कुंद नहीं किया बल्कि इन्हें वास्तविकता में एक बड़ी ऊंचाई तक पहुंचाया है। डिजिटल कला पिछले कुछ ही सालों में इतना महत्वपूर्ण अवधारणा बन चुकी है कि आज कला का कोई ऐसा स्कूल नहीं है, जहां इसे पाठ्यक्रम के रूप में न शामिल किया गया हो। कुछ लोगाें का आरोप है कि कलाकर्म का मशीनीकरण हुआ है, लेकिन यह आरोप पूरी तरह से इसलिए गैर ज़रूरी है कि अगर वास्तव में ऐसा हुआ तो कोई भी व्यक्ति आज डिजिटल तकनीकी के जरिये कलाकृतियों का निर्माण कर रहे होते, जो कि नहीं है। इसलिए डिजिटल कला को मशीनी कला कहना नासमझी है, इसी तरह से डिजिटल आर्ट गैलरी को महज एक कम्प्यूटर स्क्रीन कहना भी सही नहीं होगा।
आखिरकार यह कला का एक जीवंत संसार होती है, जो बस आभासी माध्यम से हम तक पहुंचती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कलाकृतियों के वास्तविक घर या स्टेशन अब गैर ज़रूरी हो गये। आखिरकार अब वहीं से ये डिजिटल आर्ट गैलरी अपना अभिव्यक्ति कर पाएंगे।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर