कर्ज में डूबे पाकिस्तान से दाताओं ने भी मुंह मोड़ा

गले तक कर्ज में डूबे और सातवें आसमान पर पहुंच चुकी महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तान की मुसीबतें कम होते दिखाई नहीं दे रही हैं। अब उसे और कज़र् मिलने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं  क्योंकि पाकिस्तान की इकोनॉमी चरमरा चुकी है। देश कज़र् के कुचक्र में फंस चुका है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की जानकारी के अनुसार उसका कुल कज़र् और देनदारी दिसम्बर, 2023 तक 27.2 प्रतिशत बढ़कर 81.2 ट्रिलियन रुपये (131 अरब डॉलर) पहुंच गई है। पिछले एक साल में ही देश पर कज़र् में 17.4 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि हुई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 63.83 ट्रिलियन रुपये था। कज़र् का यह जंजाल अभी और गहरा हो गया जब पाकिस्तान ने आईएमएफ से एक और बेलआउट पैकेज मांगा। साथ ही देश में राजनीतिक स्थिरता का माहौल भी नहीं आ पा रहा। हाल ही में हुए आम चुनाव में देश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसे में पाकिस्तान इकोनॉमिक और पॉलिटिकल मोर्चे पर असफल होता दिखाई दे रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, यह स्थिति बनने की सबसे बड़ी वजह बाहरी कज़र् और ब्याज की पेमेंट हैं। 
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी कहा है कि पाकिस्तान को कज़र् चुकाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही वैश्विक वित्तीय निकाय ने नकदी की कमी से जूझ रहे देश की कज़र् चुकाने की क्षमता पर संदेह किया जा रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान की अर्थ-व्यवस्था के बारे में वाशिंगटन बेस्ड बैंक का आकलन ऐसे वक्त में आया है, जब आईएमएफ सहायता दल शुक्रवार को पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए पहुंचा है।
इस्लामाबाद ने विस्तारित फंड सुविधा के तहत नए राहत पैकेज का अनुरोध किया था। आईएमएफ का दल इस अनुरोध पर चर्चा के लिए आया है। जियो न्यूज ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान पर जारी अपनी स्टाफ रिपोर्ट में आईएमएफ के हवाले से कहा कि कज़र् चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता गंभीर जोखिमों के अधीन है और यह नीतियों को लागू करने तथा समय पर बाहरी फंडिंग पर निर्भर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से सुधारों को अपनाने में देरी, उच्च सार्वजनिक ऋण और सकल वित्त पोषण की ज़रूरतें और सामाजिक-राजनीतिक कारक-नीति कार्यान्वयन को खतरे में डाल सकते हैं।
आईएमएफ स्टाफ रिपोर्ट में कहा गया, ‘डाउनसाइड रिस्क असाधारण रूप से ऊंची बनी हुई है जबकि नई सरकार ने स्टैंडबाय अरेंजमेंट पॉलिसीज को जारी रखने के अपने इरादे का संकेत दिया है। वहां राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है। इसमें चेतावनी दी गई है कि यह अनिश्चितता पॉलिसी मेकिंग पर गहरा असर डाल सकती है, खासकर जीवनयापन की ऊंची लागत और अन्य राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए।
जियो न्यूज ने पाकिस्तान पर इस महीने की शुरुआत में जारी अपनी स्टाफ रिपोर्ट में वाशिंगटन स्थित ऋणदाता के हवाले से कहा है कि फंड चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता महत्वपूर्ण जोखिमों के अधीन है और नीति कार्यान्वयन और समय पर बाहरी वित्तपोषण पर गंभीर रूप से निर्भर है।
असाधारण रूप से उच्च जोखिम-विशेष रूप से सुधारों को अपनाने में देरी, उच्च सार्वजनिक ऋण और सकल वित्तपोषण की ज़रूरतें, कम सकल भंडार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की शुद्ध एफएक्स व्युत्पन्न स्थिति, प्रवाह में गिरावट और सामाजिक-राजनीतिक कारक-नीति कार्यान्वयन को खतरे में डाल सकते हैं और पुनर्भुगतान क्षमता और ऋण स्थिरता को नष्ट कर देता है। इसमें आगे कहा गया है कि पाकिस्तान की फंड चुकाने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए बाहरी व्यवहार्यता बहाल करना महत्वपूर्ण है और यह मज़बूत नीति कार्यान्वयन पर निर्भर करती है, जिसमें बाहरी संपत्ति संचय और विनिमय दर लचीलापन शामिल है लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।
इसमें यह भी कहा गया है कि भू-राजनीतिक अस्थिरता जोखिम का एक अतिरिक्त स्रोत है, भले ही पिछली समीक्षा के बाद से वैश्विक वित्तीय स्थितियों को लेकर अनिश्चितता में कुछ हद तक गिरावट आई है। वैश्विक ऋणदाता ने कहा कि देश को अगले पांच वर्षों के दौरान 123 बिलियन अमरीकी डॉलर के सकल वित्तपोषण की आवश्यकता है। मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वैश्विक ऋणदाता की एक सहायता टीम देश की वित्तीय टीम के साथ अगले दीर्घकालिक ऋण कार्यक्रम के पहले चरण पर चर्चा करेगी। सूत्रों ने कहा कि अग्रिम दल बातचीत के लिए पाकिस्तान पहुंच चुका है जबकि आईएमएफ मिशन 16 मई को पहुंचेगा।
टीम विभिन्न विभागों से डेटा प्राप्त करेगी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वित्तीय वर्ष 2025 के आगामी बजट पर चर्चा करेगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि टीम 10 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तान में रहेगी। पाकिस्तान ने जलवायु वित्तपोषण के माध्यम से वृद्धि की संभावना के साथ तीन वर्षों के लिए 6 और 8 बिलियन अमरीकी डॉलर के अगले बेलआउट पैकेज की मांग की थी।
आईएमएफ के एक बयान में पहले कहा गया था, ‘अब सुधारों में तेज़ी लाना कार्यक्रम के आकार से अधिक महत्वपूर्ण है, जो सुधार के पैकेज और भुगतान संतुलन की ज़रूरतों द्वारा निर्देशित होगा।’ इस बीच पाकिस्तान ने अपने बाहरी वित्तपोषण में 23 बिलियन अमरीकी डॉलर के भारी अंतर को पूरा करने के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में चीन जैसे प्रमुख सहयोगियों से लगभग 12 बिलियन अमरीकी डॉलर का ऋण लेने का फैसला किया है क्योंकि संघीय सरकार का लक्ष्य बजट लक्ष्यों को प्राप्त करना है। वित्त मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब से 5 अरब अमरीकी डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3 अरब अमरीकी डॉलर और चीन से 4 अरब अमरीकी डॉलर की मदद ली जाएगी। साथ ही कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष में चीन से और नए वित्तपोषण का अनुमान भी शामिल किया जाएगा।