चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी

देश में 18वीं लोकसभा के चुनाव हेतु चुनावी गतिविधियां ज़ोर-शोर से जारी हैं। अब तक चुनावों के पांच चरण पूरे हो गये हैं। 6वें चरण के लिए 25 मई को तथा 7वें तथा अंतिम चरण के लिए एक जून को मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। 4 जून की सुबह से चुनावों के परिणाम सामने आना शुरू हो जाएंगे। इस दिन का देश के करोड़ों मतदाताओं को बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार रहेगा। नि:संदेह लोकतंत्र विश्व भर की शासन प्रणालियों में एक कम त्रुटियों वाली शासन प्रणाली है। उन देशों को आज के दौर में अधिक भाग्यशाली समझा जाता है, जिनमें लोकतंत्र प्रणाली निर्विघ्न ढंग से कार्य करती है तथा चुनावों की प्रक्रिया निरन्तर जारी रहती है। इस सन्दर्भ में भारत के लोकतंत्र को भी विश्व की बड़े लोकतांत्रिक  देशों में गिना जाता है। हमारे नेता इस पर गर्व भी करते हैं।
परन्तु लोकसभा एवं विधानसभाओं के पिछले कुछ चुनावों से यह रुझान सामने आ रहा है कि राजनीतिक पार्टियां धर्म तथा जाति के नाम पर लोगों की भावनाएं भड़का कर उनसे वोट हासिल करने का यत्न करती हैं, जिससे लोगों के भिन्न-भिन्न वर्गों में ऩफरत फैलती है तथा दूरियां बढ़ती हैं। राजनीतिक तथा धार्मिक नेताओं की ओर से पैदा की जाने वाली ऐसी ऩफरत के परिणामस्वरूप भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच हिंसक टकराव भी हो जाते हैं, जिससे देश की एकता, अखंडता तथा लोगों के भिन्न-भिन्न वर्गों में चले आ रहे सद्भावनापूर्ण संबंधों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह का सिलसिला ही लोकसभा के मौजूदा चुनावों के दौरान भी देखने को मिला है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के शहर बांसवाड़ा में, कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा-पत्र को आधार बना कर कांग्रेस पर तीव्र हमला करते हुए लोगों को कहा था कि यदि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आती है, तो उनकी मेहनत से कमाई हुई दौलत तथा सम्पत्ति मुसलमान घुसपैठियों, जो कि अधिक बच्चे पैदा करते हैं, में बांट देगी। बांसवाड़ा के बाद कई अन्य स्थानों पर भी प्रधानमंत्री ने रैलियों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने एक दशक पहले यह कहा था कि देश के साधनों पर पहला हक मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के संबंध में इस तरह की टिप्पणियां करके यह दर्शाने का यत्न किया है कि कांग्रेस पार्टी हिन्दू विरोधी तथा मुसलमानों के पक्ष में है। इसी तरह भाजपा के कुछ अन्य नेताओं पर भी वोटों का इसी तरह साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के आरोप लगते रहे हैं। इसके दृष्टिगत कांग्रेस ने देश के मुख्य चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के भाषणों के हवाले से शिकायत की थी कि भाजपा को वोटों के साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने से रोका जाये। इसी तरह भाजपा ने भी राहुल गांधी तथा कांग्रेस के अन्य नेताओं की चुनाव आयोग से शिकायतें की थीं कि वह अग्निवीर योजना के हवाले से अपने भाषणों के ज़रिये सेना का राजनीतिकरण करने का यत्न कर रहे हैं तथा सेना के भीतरी सामाजिक तथा सांस्कृतिक ढांचे संबंधी भी टिप्पणियां की जा रही हैं। इसके साथ ही भाजपा ने यह भी शिकायत की थी कि कांग्रेस इस तरह का प्रभाव देने का यत्न कर रही है कि भाजपा संविधान को खत्म कर देगी।
भाजपा तथा कांग्रेस की ओर से एक-दूसरे के विरुद्ध की गईं शिकायतों के दृष्टगत 25 अप्रैल को चुनाव आयोग ने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस संबंधी जवाब देने के लिए पत्र लिखे थे। दोनों पार्टी अध्यक्षों की ओर से जो इस संबंध में जवाब चुनाव आयोग को भेजे गये हैं, उन जवाबों से सन्तुष्ट न होते हुए चुनाव आयोग ने दोनों पार्टियों के स्टार प्रचारकों को पार्टी अध्यक्षों  द्वारा पत्र जारी करके ये निर्देश दिए हैं कि साम्प्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण न किया जाये तथा न ही भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच साम्प्रदायिक दरार डालने वाली बयानबाज़ी की जाये। इससे लोगों के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को विशेष तौर पर अपने स्टार प्रचारकों को ऐसा करने से रोकने के लिए चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं। इसी तरह चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी यह कहा है कि वह अपने स्टार प्रचारकों को सेना के भीतरी सामाजिक तथा सांस्कृतिक ढांचे संबंधी टिप्पणियां करके तथा अग्निवीर योजना का हवाला देकर सेना का राजनीतिककरण करने से रोकें तथा न ही संविधान संबंधी ऐसी टिप्पणियां करने दें जिससे यह प्रभाव जाये कि कोई राजनीतिक पक्ष संविधान को खत्म कर देगा। 
हम चुनाव आयोग की ओर से कांग्रेस तथा भाजपा दोनों को जारी किये गये उपरोक्त निर्देशों की प्रशंसा करते हैं परन्तु इसके साथ यह भी महसूस करते हैं कि चुनाव आयोग के पास कांग्रेस तथा भाजपा ने एक-दूसरे के विरुद्ध जो शिकायतें दी थीं, उनका समाधान उसने बहुत देर से किया है। इस दौरान चुनावों के कई और चरण पूरे हो गये हैं। चुनाव आयोग की कार्रवाई भी काफी सीमा तक नरम नज़र आ रही है। चुनाव आयोग को जाति तथा धर्म के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए शीघ्र तथा कड़े निर्देश जारी करने चाहिए थे। इसी तरह कांग्रेस के विरुद्ध आई शिकायतों का भी उसे तुरंत समाधान करना चाहिए था। चुनाव आयोग की इस तरह की ढीली तथा नरम कार्रवाई के दृष्टिगत ही सी.पी.आई.एम. के  महासचिव सीताराण येचुरी ने कहा है कि चुनाव आयोग बच्चों की तरह व्यवहार कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उनकी ओर से भाजपा के विरुद्ध की गई शिकायतों का कोई समाधान नहीं किया तथा न ही इस संबंध में उन्हें कोई जवाब दिया है। आशा करते हैं कि भविष्य में चुनाव आयोग इस संबंध में और अधिक ज़िम्मेदारी तथा गम्भीरता से कार्रवाई करेगा तथा चुनावों में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं के विरुद्ध प्रत्यक्ष रूप से कार्रवाई करके देश में साम्प्रदायिक सद्भावना को बनाये रखने के लिए प्रभावशाली ढंग से अपनी ज़िम्मेदारी निभायेगा।