सिंगापुर एयरलाइन्स विमान हादसे के नये सबक

अभी हाल ही में घटे एक वायुयान हादसे से यात्री सुरक्षा के नये सबक मिले हैं। वाकया लंदन से सिंगापुर जा रहे सिंगापुर एयरलाइंस के विमान का है। उड़ान के दौरान ही जब विमान हजारों फीट की ऊंचाई पर था उसमें सहसा भीषण उथल-पुथल (टर्बुलेंस) हुई। जिसके कारण 73 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हो गए। ताज्जुब यह कि न कोई आंधी तूफान दिखा था, न ही घने बादलों का घेरा और आकाशीय बिजली। कोई चेतावनी नहीं। सबकुछ साफ मगर फिर भी भयानक स्थिति उत्पन्न हो गई। 
उड़ान में इतनी गंभीर बाधा किस कारण से आई? अब इस पर एअरोडायनमिक्स से जुड़े विशेषज्ञों के बीच विचार विमर्श हो रहा है। अभी इसी सिलसिले में एक रिपोर्ट नेचर पत्रिका के समाचार विश्लेषण स्तंभ में 22 मई को आई है। क्या जलवायु परिवर्तन विमानों में टर्बुलेंस की ऐसी तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है? जिसमें यात्रियों की जान पर बन आये। 
विगत 20 मई को उड़ान भरने वाले इस विमान ने झटके से अचानक लगभग 1,800 मीटर से अधिक नीचे तेज़ी से गोता लगाया जिससे यात्री और उनके सामान केबिन की छत से जा टकराये। एयरलाइन की 24 वर्षों में ऐसी यह पहली घातक घटना थी। रीडिंग यूनिवर्सिटी, यूके में वायुमंडलीय शोधकर्ता पॉल विलियम्स के अनुसार यह गंभीर टर्बुलेंस की घटना थी जो विमान के यात्रियों एक प्रक्षेप्य (प्रोजेक्टाईल) में बदल देती है।
सीटबेल्ट न पहनने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह बिना किसी प्रतिबंध के रोलरकोस्टर पर बैठने जैसा भयावह अनुभव दे सकता है। हवाई जहाजों की उड़ान में छोटे-मोटे टर्बुलेंस आम घटना हैं। अधिकांश उड़ानों में कुछ हद तक टर्बुलेंस का अनुभव होता है। ज़मीन के पास, हवाई अड्डे के आस-पास तेज़ हवाएं विमानों के उड़ान भरने या उतरने के दौरान टर्बुलेंस पैदा कर सकती हैं। अधिक ऊँचाई पर तूफानी बादलों में हवा का ऊपर-नीचे का प्रवाह विमानों के उनके बीच से या उनके पास से गुज़रने पर हल्की से लेकर गंभीर टर्बुलेंस पैदा कर सकते हैं। इसलिए तूफानों की पूर्व सूचना पर उड़ाने तूफान समाप्त होने तक रोक दी जाती हैं।  पर्वत श्रृंखलाओं पर ऊपर की ओर बढ़ने वाली हवा की धाराएं भी टर्बुलेंस पैदा कर सकती हैं। विलियम्स का मानना है कि जब हवा पहाड़ के ऊपर से बहती हैए तो विमान ऊपर उठ जाता है और उसमें टर्बुलेंस हो सकता है। इसके अलावा ऐसी स्थिति अक्सर जेट धाराओं के किनारों पर होती हैंए जो कि दुनिया भर में घूमने वाली मज़बूत हवा की धाराएं हैं।
मगर बिना बादलों के भी घटित होने वाले टर्बुलेंस को ‘साफ हवा का टर्बुलेंस (क्लीयर एअर टर्बुलेंस)’ कहा जाता है। विलियम्स कहते हैं कि सिंगापुर एयरलाइंस की घटना के सटीक कारण का पता लगाने में कई सप्ताह लग सकते हैं। हो सकता है वह कोई तूफान रहा हो, लेकिन साथ ही साफ हवा की परिस्थितियां भी थीं। जांच चल रही है।
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी में वायुमंडलीय शोधकर्ता जंग-हून किम का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण टर्बुलेंस की घटनायें अधिक, बार-बार और गंभीर होती जा रही हैं। पिछले वर्ष प्रकाशित एक अध्ययन में विलियम्स और उनके सहयोगियों ने 1979 और 2020 के बीच साफ हवा में घटे टर्बुलेंस में बड़ी वृद्धि पाई थी। उत्तरी अटलांटिक के ऊपर साफ हवा में भी यह टर्बुलेंस हुआ जो ताकत में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से भी अधिक शक्तिशाली था। उनका कहना है कि पूरी दुनिया में वायुमंडलीय टर्बुलेंस में इसी तरह की वृद्धि हुई है। विलियम्स का कहना है कि यह वृद्धि लगभग निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन का परिणाम है, जो टर्बुलेंस पैदा करने वाली जेट धाराओं को मज़बूत कर रहा है। 
एक अन्य अध्ययन में, विलियम्स और उनके सहयोगियों ने जलवायु मॉडल का उपयोग करके यह अनुमान लगाया कि जैसे-जैसे जलवायु गर्म होगी, साफ हवा में टर्बुलेंस की घटनायें और अधिक गंभीर और लगातार होती जाएगीं। किम और उनके सहयोगियों ने पाया कि पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन में, जलवायु परिवर्तन के साथ बादलों और पहाड़ों के आसपास की साफ हवा में भी उथल-पुथल अधिक बार होगी।
टर्बुलेंस में हो रहे संभावित वृद्धि के बावजूद, अधिकांश उड़ानें यथावत चलती रहेंगी। ‘ऐसा नहीं है कि हमें उड़ान भरना बंद करना होगा, या विमान आसमान से गिरने लगेंगे, मैं बस इतना कह रहा हूँ कि फिलहाल जो टर्बुलेंस 10 मिनट तक के हैं भविष्य में 20 या 30 मिनट के हो सकते हैं’।
पायलट उड़ान की योजना बनाने के साथ ही टर्बुलेंस के अनुमानों का सहारा लेते हैं। मौसम केन्द्रों के शोधकर्ता ग्राउंड-आधारित सेंसर और उपग्रहों से एकत्र किए गए डेटा के आधार पर टर्बुलेंस की भविष्यवाणी कर सकते हैं और पायलटों को पूर्वानुमान बता सकते हैं। विमान में, पायलट तूफानी बादलों की पहचान करने के लिए रडार का उपयोग करते हैं। यह विमान से भेजे जाने वाले रेडियो तरंगों पर निर्भर करता है, जो फिर सेंसर की ओर वापस परावर्तित होते हैं जो आसपास के क्षेत्र का नक्शा बनाते हैं।
लेकिन रडार बादल रहित साफ हवा के उथल-पुथल का पता नहीं लगा सकता। विलियम्स कहते हैं कि यहां एल.आई.डी.ए.आई. नामक एक अन्य तकनीक मदद कर सकती है जो रडार के विपरीत प्रकाश की एक अलग तरंग दैर्ध्य का उपयोग करता है। मगर अभी तो यह बहुत महंगा है और इसके लिए एक बड़े बॉक्स की आवश्यकता होती है लेकिन यह अदृश्य/साफ हवा के टर्बुलेंस को देख सकता है। यदि इसके बॉक्स को छोटा किया जा सके और लागत कम हो जाये तो इसका जल्द ही व्यापक उपयोग किया जा सकता है। कुछ प्रायोगिक उड़ानों में विमान से 20 मील आगे की साफ हवा के टर्बुलेंस को देखने में सफलता मिली है। इसलिए तब तक जब भी आप हवाई यात्रा करें, तो पूरी यात्रा के दौरान कृपया अपनी सीट बेल्ट बांधे रखें और खुद को सुरक्षित रखें। सिंगापुर एअरलाईन की उड़ान में तकरीबन सत्तर लोग सीट बेल्ट नहीं बांधे थे जो मिसाईल की तरह विमान की छत से जा टकराये।