2025 तक ‘टीबी-मुक्त भारत’ बनाने की प्रतिबद्धता
सबसे बड़ी जानलेवा बीमारियों में से एक क्षयरोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है जो दुनिया के हर हिस्से में पाई जाती है। यह वैश्विक चिंता का एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बना हुआ है। भारत इस बीमारी का सर्वाधिक भार वहन करने वाले देशों में से एक है। केंद्र और राज्य सरकारें सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 के तहत वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही 2025 तक इसे समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रामक वायुजनित रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि लगभग 1.8 बिलियन लोग जो कि वैश्विक आबादी का लगभग 1/4 हिस्सा है, टीबी से संक्रमित हैं। हर साल लगभग 13 लाख बच्चे टीबी से बीमार पड़ते हैं। यह दुनिया भर में मौतों के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख संक्रामक कारणों में से एक है। पिछले साल टीबी को कोविड-19 के बाद दुनिया में किसी एक संक्रामक एजेंट से होने वाली मौतों के दूसरे प्रमुख कारण के रूप में दर्ज किया गया। यह एचआईवी/एड्स से लगभग दोगुनी मौतों का कारण रहा। 2022 में 1.06 करोड़ लोग टीबी से संक्रमित हुए और 14 लाख लोगों की मौत हुई। टीबी के कारण प्रतिदिन 3500 मौतें होती हैं। विश्व के 87 प्रतिशत टीबी मामलों का भार उच्च संक्रमण वाले 30 देशों पर है। इनमें से वैश्विक कुल बोझ का दो-तिहाई हिस्सा आठ देशों में पाया गया।
कुल वैश्विक मामलों में भारत की 27 प्रतिशत की बड़ी हिस्सेदारी है, जिसके बाद इंडोनेशिया (10 प्रतिशत), चीन (7.1 प्रतिशत), फिलीपींस (7.0 प्रतिशत), पाकिस्तान (5.7 प्रतिशत), नाइजीरिया (4.5 प्रतिशत), बांग्लादेश (3.6 प्रतिशत) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (3.0 प्रतिशत) का स्थान आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट-2023 ने भारत को क्षयरोग-मुक्त देश बनाने की दिशा में इसकी उल्लेखनीय गतिविधियों और हस्तक्षेपों के लिए श्रेय दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2015 से 2022 तक क्षयरोग की घटनाओं में 16 प्रतिशत और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी लाने में भारत की अत्यधिक महत्त्वपूर्ण प्रगति की सराहना की है।
भारत को अपनी तीव्र केस-डिटेक्शन रणनीतियों के लिए सराहना मिली है, जिनके कारण 2022 में अब तक के सबसे अधिक मामले अधिसूचित हुए, और 24.22 लाख से अधिक टीबी मामलों की ये अधिसूचनाएं पूर्व-कोविड स्तरों को पार कर गईं। 2023 में 25.5 लाख टीबी मामलों की अधिसूचना के साथ एक रिकॉर्ड अधिसूचना दर्ज की गई। इनमें से 17.1 लाख टीबी मामले सार्वजनिक क्षेत्र में अधिसूचित किए गए जबकि 8.4 लाख निजी क्षेत्र द्वारा अधिसूचित किए गए। कुल अधिसूचनाओं के 33 प्रतिशत पर यह अब तक का उच्चतम योगदान था। विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से निजी क्षेत्र के साथ केंद्रित और लक्षित जुड़ाव के परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र की अधिसूचना में पिछले नौ वर्षों में आठ गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त उपचार कवरेज अनुमानित टीबी मामलों के 80 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत की वृद्धि है।
एक उत्साहजनक अवलोकन में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट यह भी स्वीकार करती है कि भारत में गिरावट की गति वैश्विक टीबी घटनाओं में कमी की गति से लगभग दोगुनी है, जो कि 8.7 प्रतिशत है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी मृत्यु दर में अधोमुखी संशोधन है (2021 में 4.94 लाख से 2022 में 3.31 लाख तक)। 34 प्रतिशत से अधिक की कमी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से एकत्र किए गए 2014-2019 के मृत्यु-कारण आंकड़ों पर आधारित है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यद्यपि क्षयरोग बहुत संक्रामक है, परन्तु यदि इसका यथासमय पता चल जाए और पूरा उपचार हो जाए तो यह पूरी तरह से रोकथाम-योग्य और उपचार-योग्य रोग है।
टीबी के खिलाफ लड़ाई को मिशन मोड में लाने के लिए ‘प्रधानमंत्री टीबी-मुक्त भारत अभियान’ सितम्बर, 2022 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य 2025 तक टीबी के संबंध में एसडीजी लक्ष्य को पूरा करने के लिए गतिविधियों और हस्तक्षेपों को डिज़ाइन करना था। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर भागीदारी की आवश्यकता थी, जहां विभिन्न एजेंसियां, समुदाय और सरकारें एक साथ मिलकर काम कर रही हैं।
-लेखक भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक (मीडिया 7 संचार) हैं।