एक चपल प्राणी तेंदुआ
अगर वनों में पाए जाने वाले अनेक प्रकार के वन्य प्राणियों में शेर को जंगल का बादशाह कहा जाता है, तो बिल्ली प्रजाति के सबसे चपल और चालाक प्राणी तेंदुआ को जंगल के राजकुमार की संज्ञा दी जाती है। जो प्राय: भारत में कहीं भी पाया जाता है। इसके मिलने का कोई निश्चित वन क्षेत्र नहीं है। चूंकि ये देखने में चीते के समान होता है। इस कारण कई बार लोग चीते को भी तेंदुआ कहने लगते हैं। किन्तु व्यवहार में चीते से ज्यादा खतरनाक होता है। पूर्णत: मांसाहारी प्राणी तेंदुए की लम्बाई सात से आठ फुट और मादा की लम्बाई पांच से छ: फुट होती है। दोनों का वजन सामान्यत: 35 से 60 किलो के मध्य होता है। जिसके शरीर पर चमकदार रंग के काले, पीले व भूरे रंग की पट्टियां होती हैं, पर देखने में ये चीते से दुबला व लम्बा होता है।
जो ज्यादातर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से लगे जंगलों में रहना पसंद करता है। घात लगाकर अपने शिकार करने में माहिर तेंदुए की मादा ढाई से चार वर्ष के मध्य पहली बार गर्भधारण करती है, और ये काल 84 से 94 दिनों का होता है। जिसके बाद वह एक बार में दो बच्चों और ज्यादा से ज्यादा चार बच्चों को जन्म देती है। ये बच्चे सामान्यत: चार से आठ दिन के बाद आंख खोल लेते हैं। तेंदुआ का मुख्य आहार चीतल, सूअर, गाय, मोर, कुत्ते हैं। ये घरों के अंदर से पालतू पशुओं को उठाकर ले जाने में तो माहिर हैं, साथ ही उछल कूद में तो इसका कोई जवाब ही नहीं होता है।
वैसे तो भारत में चार प्रकार के तेंदुए पाए जाते हैं। इसे अमरीका में अगुआर और दक्षिण अफ्रीका में हैटिंग लैपर्ट कहा जाता है। भारत के मध्य प्रदेश, बिहार में काला तेंदुआ भी पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी अन्य देशों में इसकी विभिन्न प्रजातियां भी पायी जाती हैं। किन्तु अब ये भी धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं। शायद इसी कारण सरकार ने इन्हें दुर्लभ प्राणी घोषित कर दिया है। हालांकि ये आदमखोर नहीं होता, किन्तु अगर एक बार इसके मुंह में खून लग जाए तो ये बहुत ज्यादा आतंक मचाता है। इस चक्कर में ये कभी-कभी पकड़ा जाता है, तो कभी मार दिया जाता है। जिसे कानून की दृष्टि में अपराध घोषित किया गया है। (सुमन सागर)