शीत ऋतु में बहुपयोगी है गर्म पानी का सेवन 

पानी प्रकृति में रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए कुदरत का अनुपम उपहार है। हमारे शरीर मंत 70 प्रतिशत पानी है तो हमारा मस्तिष्क 80 प्रतिशत पानी से निर्मित है। यह सेरेब्राल द्रव व सोरेब्राल स्पाइनल द्रव की अवस्था में माना जाता है।  मनुष्य के शरीर में पूरे वजन का लगभग दो तिहाई भाग पानी है। सामान्य अवस्था में हमारे शरीर मे से प्रतिदिन 2.6 लीटर पानी खर्च होता है। जिसमें गुर्दा से 1.5 लीटर, त्वचा से 650 मि.ली. और शौच इत्यादि से 130 मि.ली. पानी व्यय होता है। जिसकी आपूर्ति भोजन में रहने वाले जलांश से होती है। अत: हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने हेतु प्रतिदिन 4.5 लीटर पानी पीना ज़रूरी है।  पानी न तो बहुत ठंडा अच्छा है व न ही गर्म.. जल के रूप में सेवन करना। ठंडा पानी हमारी पाचन शक्ति को प्रभावित करता है। शीत ऋतु में भोजन के बाद हल्के गर्म पानी का सेवन आधे घंटे के बाद करना चाहिए। इससे आपको पाचन में लाभ होगा। ठंडा पानी तैलीय चीजों को ठोस बनाता है जो शीघ्र ही वसा में बदलता है। इससे कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए भोजन करने के बाद गर्म दूध या गर्मसूप अथवा गर्म पानी ही पीना चाहिए। 
पानी की एक निश्चित मात्रा शरीर के परिसंचरण तंत्र को प्रोत्साहित कर पोषण में सहायक होती है। पर्याप्त पानी के सेवन से से शरीर के विभिन्न अंगों में रसो का उत्पादन होता है। जिससे किडनी सुचारु रूप से काम करती है। जब भी प्यास लगे तो हमें पानी छोटे घूंटो में में लेना चाहिए। अधिक लाभ हेतु पानी का हर घूंट कुछ छण मुँह के भीतर रखना चाहिए ताकि वह लार के साथ मिल सके। शरीर में पानी की कमी से अनेकों रोग पनपते हैं। बीमार व्यक्ति को भी उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार पीना स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है। भोजन और घर से बाहर जाने से पूर्व तीन घूंट पानी अवश्य पीयें। सुबह नींद से उठते ही खाली पेट दो ग्लास हल्का गर्म पानी जरुर पीयें। सुबह गर्म पानी के सेवन से पेट की सारी गन्दिगियां मूत्र व शौच के जरिये बाहर निकल जायेगी। शरीर का पाचनतंत्र सुचारु रुप से कार्य करेगा। इसी तरह रात्रि को सोने से पूर्व तीन घूंट  हल्का गर्म पानी पीकर ही सोयें। दिन में ज्यादा पानी पीते रहें व शाम को इसकी मात्रा घटा देनी चाहिए। शरीर के तापमान के अनुरुप ही पानी पीयें। जहां तक हो सके  प्लास्टिक के गिलास या बोतल से यानी न पीयें। पानी ऊपर से सीधे मुंह में डालकर न पीयें इससे आहार नाल में वायुदोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसके कारण जी मिचलाने, जोड़ों व घुटनों में दर्द व खट्टी डकारों के अलावा भी कई रोग हो सकते हैं। ज्यादा पानी भी नुकसानदायक है, इससे शरीर में रक्त में सोडियम की मात्रा कुछ समय हेतु कम हो जाती है। 
वैसे तो पानी तभी पिएं जब आपको प्यास लग रही हो। भोजन के वक्त बीच में गुनगुना पानी शीतकाल में पीने से भोजन शीघ्र ही पच जाता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से हानिकारक एसिड नहीं बनेगा। यूं तो पानी पीने के कई फायदे हैं लेकिन फिर भी एक दिन में लगभग दो-तीन घंटे के अन्तराल में पानी अवश्य पीयें। शरीर में पानी की कमी व अधिकता दोनों ही सेहत की दृष्टि से नुकसानदायक है क्योंकि कम या ज्यादा पानी पीने से डीहाईड्रेशन व या ओवर हाईड्रेशन की शिकायत हो जाती है। बहुत ज्यादा पानी पीने से चक्कर भी आ सकते हैं। पानी पीने के कई लाभ भी है। पर्याप्त पानी पीने से वजन कम हो जाता है क्योंकि इसमें न तो क्लोरिस है व न ही फेट हैं। जब भी थकावट महसूस हो तो बैठकर एक ग्लास पानी ज़रूर पीयें। पानी पीने से त्वचा में निखार बना रहता है। पर्याप्त पानी पीने से आपके शरीर का महत्वपूर्ण अंग किडनी की कार्यक्षमता कभी भी प्रभावित नहीं होगी। किसी भी तरह का व्यायाम करने से पूर्व पानी अवश्य पीए ताकि आपकी मासपेशियों को भरपूर एनर्जी मिल सके। साइटिका से प्रभावित रोगी ठंडे पानी से सुबह-शाम स्नान करें आशातीत लाभ मिलेगा। 
कुल मिलाकर पानी प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार है। बल्कि यह प्रत्येक प्राणी का जीवनदाता है। एक व्यस्क पुरुष के शरीर में 65 प्रतिशत व स्त्री के शरीर में 52 प्रतिशत पानी उसके शारीरिक भार के अनुरूप होता है। मानव शरीर की हड्डियोंमें 22 प्रतिशत तक पानी होता है, तो हमारी त्वचा में 20 प्रतिशत, मस्तिष्क में 75 प्रतिशत व खून में 83 प्रतिशत पानी होता है तो 10 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है। दिन मे 8.10 गिलास पानी अवश्य पीयें। पानी पीने के सही तरीके व नियमों का पालन करने से ही हम शरीर के अनेक रोगों से मुक्त रह सकते हैं। 

#शीत ऋतु में बहुपयोगी है गर्म पानी का सेवन