छिपा खजाना
(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)
इस दृष्टि से हमने कभी हिसाब लगाया ही नहीं।
- अच्छा अब बताओ कि सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू, गुटखे आदि का सेवन कितने लोग करते हैं?
- अरे सर यह गुटखा तो बच्चों, महिलाओं में भी फैल रहा है। शराब का सेवन करने वाले यदि 1000-1500 की गिनती में है तो सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू, गुटखे आदि का सेवन करने वालों की तादाद 2500 के लगभग तो अवश्य ही होगी।
- औसतन एक व्यक्ति एक दिन में कितना खर्च करता होगा?
- 50 रुपए तो खर्च हो ही जाते होंगे।
- चलो 40 ही मानते हैं। इसका मतलब इस पर एक दिन में एक लाख रुपए गांव द्वारा खर्च कर बाहर भेज दिया जाता है।
- सच कह रहे हैं।
- यानि एक वर्ष में 365 लाख रुपए।
- सच है।
- अच्छा यह बताओ कि अन्य नशीले पदार्थों का चलन गांव में है?
- पहले तो बहुत कम था पर इन दिनों खतरनाक तेजी से बढ़ा है।
- इन तीनों तरह के नशे से स्वास्थ्य की क्षति होती है यह तो हम सभी जानते और मानते हैं।
- जी हां। बिल्कुल मानते हैं।
- वैसे चलते-चलते यह जानकारी भी दे दूं कि केवल शराब से 200 तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जुड़ी हैं। अब जब इन नशों का इतना सेवन हो रहा है तो उनके कारण होने वाली बीमारियों और दुर्घटनाओं पर भी इतने बड़े गांव में काफी खर्च होता होगा?
- होता है सर!
- अब यदि कम से कम एक करोड़ रुपए इसका भी लगा लिया जाए तो मुझे लगता है कि आप के गांव में अभी लगाए हिसाब के मुताबिक 1000 लाख यानि दस करोड़ रुपए से भी अधिक नशे के कारण खर्च होकर गांव से बाहर जा रहा है। अब यदि इसका आधा हिस्सा भी बचा लें तो आपके गांव में एक वर्ष में 500 लाख रुपए की बचत हो जाएगी। आप लोगों को प्रेरित करें कि वे इस पैसे का उपयोग परिवार में पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च करें पर इसका मात्र 10 प्रतिशत गांव की सामूहिक भलाई के कार्यों के लिए दान कर दें। इस तरह आपको 50 लाख रूपए गांव की सामूहिक भलाई के कार्यों के लिए हर वर्ष मिल सकते हैं। उसी से आप फूड बैंक बनाईए, नशा मुक्ति समिति बनाईए, लोक-कलाओं को जीवित रखिए, तरह-तरह के सार्थक कार्य करिए।
सुकुमार और सरोज मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे और कई विचार उनके मन में उमड़ रहे थे।
- अच्छा अब यह बताईए कि गांव में झगड़े होते हैं, फिर केस बनते हैं, इनसे बचने के लिए रिश्वत दी जाती है, कोर्ट-कचहरी के खर्च ऊपर से और अधिक होते हैं।
- यह सब तो है ही सर, और इसमें बढ़ोतरी भी हो रही है।
- वैसे शराब-मुक्ति से झगड़े, दुर्घटना, हिंसा व अपराध भी कम होंगे। पर इसके साथ आप अलग से प्रयास करो कि जिन परिवारों के मुकदमे कचहरी में चल रहे हैं, उन्हें आपसी सुलह से बंद करवाया जाए। इस तरह लोगों का फिजूलखर्च बचेगा, उन्हें कहो कि इसका 10 प्रतिशत वे गांव के सामूहिक कार्य के लिए दान करें।
- जी सर!
- तो मेरे बच्चों, यदि आपके अपने गांव से ही 50 लाख रुपए वार्षिक से अधिक गांव की सामूहिक भलाई के कार्यों के लिए उपलब्ध हो जाएं, तो फिर आपको संस्था की मनाही से परेशान होने की क्या ज़रूरत है। ध्यान रखो लोगों का विश्वास, लोगों की जागृति, उनकी एकता ही हमारे गांवों का सबसे बड़ा खजाना है, जो इस समय छिपा है, गढ़ा हुआ है, जिस समय गांववासी अपनी मेहनत और प्रयास से इसे प्राप्त कर लेंगे, तो उनकी अधिकांश समस्याएं भी दूर हो जाएंगी। (समाप्त)