बीमारों का ही नहीं, बाज़ार का भी चहेता है अनार का पेड़

‘एक अनार सौ बीमार’ ये मुहावरा हम सबने सुना है। इससे अनार की खूबी और खासियत का पता चलता है। अनार का फल न केवल अपनी पौष्टिकता के लिए जाना जाता है बल्कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। यही कारण है कि इसकी हमेशा सप्लायी से ज्यादा मांग रहती है। नतीजतन आमतौर पर अनार हमेशा महंगा मिलता है। इसलिए अनार का पेड़ किसानों की नकदी फसल के लिए सबसे उपयुक्त फलदार वृक्ष है। इस लेख में हम समझेंगे कि अनार की खेती करके कैसे किसान लाभ कमा सकते हैं। 
अनार का वैज्ञानिक नाम पुनिका गै्रनटम है और यह लिथरेसी परिवार का पेड़ है। हाल के सालों में अनार एक महत्वपूर्ण नकदी फसल के रूप में उभरकर सामने आया है। इसलिए इसकी फसल के बारे में जानने से पहले आइये इसका कुछ वानस्पतिक विवरण जान लें। अनार मध्यम आकार का झाड़ीनुमा वृक्ष है जो आमतौर पर 6 से 8 फुट ऊंचा होता है, लेकिन व्यवस्थित तरीके से देखरेख करने पर इसके पेड़ 10 से 15 फीट तक भी ऊंचे पाये जाते हैं। अनार के पेड़ का तना कठोर और कुछ हद तक कांटेदार होता है। इसकी पत्तियां चमकदार गहरे हरे रंग की गुम्छो में लगी होती है। इसका फूल नारंगी-लाल रंग का और बेलनाकार होता है। जबकि इसका फल गोलाकार, कठोर छिलके वाला और इस कठोर परत के नीचे लाल रंग के रसदार दानों के बीज से भरा होता है। अनार के बीज कठोर अथवा मुलायम हो सकते हैं, यह उसकी किस्म पर निर्भर है।
जहां तक भारत में अनार के पेड़ की मौजूदगी का सवाल है तो यह सदियों से यहां मौजूद है। अनार वास्तव में मूलत: ईरान और उत्तरी भारत का ही देशज पेड़ माना जाता है। चूंकि भारत में अनार प्राचीनकाल से मौजूद है, इसलिए हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में अनार के औषधीय गुणों का जबर्दस्त उल्लेख मिलता है। प्राचीनकाल में अनार राजा, महाराजाओं के लिए ही उपलब्ध था, यह उनके भोजन और फलाहार का हिस्सा था। जहां तक इसकी पैदाइश का सवाल है तो पहले यह आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों और दक्कन के पठार में ही पाया जाता था। मगर आजकल देश के ज्यादातर हिस्साें में इसकी अलग-अलग किस्में उगायी जाती हैं और इस तरह लगभग पूरे देश में ही अनार पैदा होता है।
जहां तक भारत में अनार की पायी जाने वाली किस्मों का सवाल है तो यहां की सबसे लोकप्रिय किस्म भगवा है। इस किस्म के फल बड़े और दाने चमकदार लाल रंग के होते हैं। निर्यात के लिए यह उपयुक्त किस्म मानी जाती है। भगवा के अलावा कंधारी, गणेश, अर्का मृदुला, अर्का रक्षक और ज्योति, रूबी तथा मृदुला नाम की किस्में पायी जाती है। हर किस्म की कुछ न कुछ खासियत है। मसलन कंधारी अनार अपनी मिठास और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। जबकि गणेश किस्म का अनार जल्दी पकता है और घरेलू उपयोग के लिए अत्यंत लोकप्रिय हैं। इसी तरह अर्का रक्षक और अर्का मृदुला आईसीएआर द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्में है, जबकि मृदुला, ज्योति, रूबी किस्में गुणवत्ता व उत्पादन के लिए जानी जाती है। 
भारत में अनार व्यवसायिक दृष्टि में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में पैदा होता है। देश के कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत अनार, सोलापुर, सांगली, नासिक ज़िले में पैदा होता है। महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक के बेलगाम, विजयपुर और रायचूर क्षेत्र में भी खूब उन्नत खेती होती है। इसके साथ ही गुजरात के कच्छ और साबर कांठा क्षेत्र में तथा आंध्र प्रदेश, तेलगांना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब में भी अनार की खेती की जाती है। लेकिन यह महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुकाबले काफी सीमित होती है।
अनार की खेती के लिए कम वर्षा, हल्की दोमट मिट्टी और 5.5 से 7.5 पीएच की भूमि सबसे उपयुक्त होती है। जहां तक अनार की बागवानी का सवाल है, तो एक एकड़ में करीब 400 से 500 पेड़ लग जाते हैं और हर पेड़ से कम से कम 10 से 12 किलो अनार का उत्पादन होता है। इस तरह प्रति एकड़ 4000 से 4500 किलोग्राम तक अनार हो जाता है और अगर इसका बाज़ार भाव 80 रुपये भी मिल गया, तो किसान को हर साल 3 से 4 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है, जबकि इसकी लागत कुल 60 हजार से 1 लाख रुपये के बीच होती है। इस तरह देखा जाए तो अनार की खेती अगर कुछ अनहोनी न हो जाए तो किसानों के लिए उपयुक्त होती है। 
जहां तक अनार के औषधीय गुणों का सवाल है तो यह खून बढ़़ाने वाला पाचन सुधारने वाला, त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। प्रोसेसिंग उद्योग में इसका जूस, सिरका आदि खूब मांग में रहते हैं। अनार दाना की भी बहुत मांग रहती है। भारत से अनार, मध्य पूर्व, यूरोप और अमरीका को निर्यात होते हैं। मगर अनार की बागवानी में कुछ चुनौतियां भी हैं। इसकी बागवानी करने के पहले ड्रिप सिंचाई, समय-समय पर छंटाई और फलों की दरार जैसी समस्याओं की जानकारी होनी ज़रूरी है। साथ ही यह भी जानना ज़रूरी है कि अनार के पेड़ों में बैक्टीरियल ब्लाइंड और फंगल रोग का खतरा बना रहता है। अत: इन सावधानियों के प्रति सजग हो जाएं तो अनार की खेती किसानों के लिए भरपूर लाभदायक है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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