गैर-कानूनी प्रवास का मामला
5 फरवरी को अमरीका की ओर से अपने सैन्य विमान द्वारा हाथों-पांवों में ज़ंजीरें डाल कर अमृतसर भेजे गए 104 गैर-कानूनी प्रवासी भारतीयों के घटनाक्रम ने पूरे देश में हलचल पैदा कर दी थी, परन्तु यह घटनाक्रम यहीं रुकने वाला नहीं था। 15 फरवरी को 116 गैर-कानूनी प्रवासी भारतीयों को लेकर एक और अमरीकी सैन्य विमान अमृतसर उतारा गया। देश की विपक्षी पार्टियों और लोगों के कड़े विरोध के दृष्टिगत उम्मीद जताई जा रही थी कि आगामी बार इन प्रवासी भारतीयों को कैदियों की तरह यहां नहीं भेजा जाएगा, परन्तु इन उम्मीदों के विपरीत शनिवार देर रात्रि अमृतसर पहुंचे विमान में भी इन प्रवासी भारतीयों को हथकड़ियां और पांवों में ज़ंजीरें डाल कर ही लाया गया और शीघ्र ही 157 गैर-कानूनी प्रवासियों को लेकर एक और विमान अमृतसर पहुंच रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति के रूप में पद सम्भालने के बाद तेज़ी से अमरीकी प्रशासन ने गैर-कानूनी प्रवासियों को अपने देश से निकालना शुरू कर दिया है।
इस मुद्दे को लेकर देश की राजनीतिक पार्टियां जमकर राजनीति कर रही हैं। विपक्षी पार्टियां इस पूरी स्थिति के लिए केन्द्र की सत्तारूढ़ भाजपा को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं और भाजपा के नेता इसके लिए विपक्षी पार्टियों या विपक्षी पार्टियों की राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। कोई नेता कहता है कि जिस तरह अमरीका ने गैर-कानूनी प्रवासियों को पहले विमान में हथकड़ियां पहना कर वापिस भेजा है, उसके विरुद्ध भारत सरकार को कड़ा रोष प्रकट करना चाहिए था, क्योंकि पहले कभी भी अमरीका की ओर से ऐसा नहीं किया गया। कोई और नेता यह कहता है कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अपनी भेंटवार्ता के दौरान यह मामला अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समक्ष उठाना चाहिए था। पंजाब के कई राजनीतिक नेता यह कह रहे हैं कि गैर-कानूनी प्रवासी भारतीयों की वापिसी के लिए अमृतसर के हवाई अड्डे को ही क्यों चुना गया? यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि केन्द्र के सत्तारूढ़ शासक पंजाब और पंजाबियों के अक्स को धूमिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
हमारा इस संबंध में स्पष्ट विचार यह है कि देश की केन्द्र सरकार, विपक्षी पार्टियों और विभिन्न राज्यों की प्रदेश सरकारों को इस पूरे घटनाक्रम के संबंध में गम्भीरता से विचार करना चाहिए। उन्हें सामाजिक स्थितियों का विश्लेषण करना चाहिए, जिनके कारण बेरोज़गार युवक भारी ऋण लेकर अपने जीवन को खतरे में डाल कर गैर-कानूनी प्रवास करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में युवाओं में व्यापक स्तर पर बेरोज़गारी पाई जा रही है। केन्द्र सरकार से लेकर ज्यादातर राज्य सरकारों ने इस मुद्दे को पूरी गम्भीरता से नहीं लिया। देश में ऐसी कार्पोरेट पक्षीय नीतियां लागू की जा रही हैं, जिनसे बेरोज़गार युवाओं की संख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही हैं। शिक्षा के निजीकरण ने भी ऐसी स्थितियों को जन्म दिया है। सरकारों ने सरकारी यूनिवर्सिटियों, कालेजों और स्कूलों से लगभग अपने हाथ पीछे खींच लिए है। सरकारी शैक्षणिकसंस्थानों में दशकों तक पूरे अध्यापक और अन्य स्टाफ नियुक्त न करना, सरकारी शिक्षक संस्थानों की इमारतों को बेहतर न बनाना और उन्हें स्तरीय शिक्षा देने के लिए आवश्यक अन्य उपकरण उपलब्ध न करवाने के दृष्टिगत सरकारी शैक्षणिक संस्थान यूनिवर्सिटियों से लेकर स्कूलों तक दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। इस कारण गरीब वर्ग के युवाओं की पहुंच से स्तरीय शिक्षा बाहर हो रही है, क्योंकि वे निजी शैक्षणिक संस्थानों से महंगी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। यदि गहन विश्लेषण किया जाए तो व्यापक स्तर पर यह बात सामने आ सकती है कि जो युवक गैर-कानूनी प्रवास कर रहे हैं, उनमें अधिक संख्या उन युवकों की है, जिनके पास स्तरीय शिक्षा नहीं है। वे आइलेट्स में आवश्यक बैंड लेकर या अन्य क्षेत्रों की स्तरीय शिक्षा प्राप्त करके अपना विदेश जाने का सपना पूरा नहीं कर सकते। ऐसे युवा ही गैर-कानूनी धंधे में लगे एजेंटों के झांसे में आते हैं और उन्हें लाखों रुपये देकर गैर-कानूनी ढंग से विदेश जाने का यत्न करते हैं।
इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि केन्द्र सरकार तथा प्रदेश सरकारें अपनी युवा पीढ़ी को देश में सस्ती एवं स्तरीय शिक्षा देने का व्यापक स्तर पर प्रबंध करें तथा देश में ऐसी आर्थिक नीतियां लागू की जाएं जिनसे कृषि, व्यापार, उद्योग आदि गैर-सरकारी क्षेत्रों में तथा इसके साथ-साथ सरकारी विभागों में भी युवाओं को रोज़गार के उचित अवसर मिल सकें। सरकारों को अपने देश के युवाओं के लिए रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने को अपनी मुख्य प्राथमिकता बनाना चाहिए। ऐसी कार्पोरेट पक्षीय नीतियां, जो कम से कम मानवीय शक्ति का उपयोग करके कार्पोरेटरों को अधिक से अधिक उत्पादन करके ज़्यादा लाभ कमाने की छूट देती हैं और इस प्रकार रोज़गारविहीन विकास का मार्ग खोलती हैं, पर रोक लगानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो ़गैर-कानूनी प्रवास को रोकना असंभव होगा। युवाओं में लगातार बढ़ रही बेरोज़गारी अमन-कानून के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकती है। बेरोज़गार युवाओं का बड़ा वर्ग अपराध की दुनिया में दाखिल होकर पूरे समाज के लिए भी ़खतरा बन सकता है। पंजाब में लगभग ऐसा होता दिखाई भी दे रहा है। इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि सरकारें ऐसी नीतियां बनाएं, जिनसे अपने ही देश में युवाओं को स्तरीय शिक्षा एवं सम्मानजनक रोज़गार मिल सके। यह मार्ग ही गैर-कानूनी प्रवास जैसी बड़ी समस्या का बड़ी सीमा तक समाधान कर सकता है।