कब खत्म होगा भगदड़ में मौतों का सिलसिला ?
हमारे देश में भीड़ में मची भगदड़ में आम आदमी का दब कुचलकर मरना अब एक नियती सी बन गयी है। कुंभ के मेले से लेकर खेल के मैदान, राजनेताओं की सभा, फिल्म सितारों के जश्न, कथावाचकों के पांडालों और धार्मिक आस्था के केंद्र मंदिरों तक बार-बार इन घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है। ऐसी घटनाओं में हर बार आम आदमी ही मारा जाता है। बार-बार हो रहे ऐसे हादसों से फिलहाल तो कोई सबक नहीं लिया गया है लेकिन अब समय आ गया है कि भीड़ नियंत्रण के लिए राष्ट्र व्यापी ठोस रणनीति बनायी जाए। अब ऐसा ही दुखद वाक्या आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को सामने आया है इसमें आठ महिलाओं और एक बच्चे समेत नौ की जान गयी है।
देश के किसी न किसी हिस्से से कुछ समय के अंतराल पर ऐसी खबरें आती ही रहती है। दु:खद पहलू यह है कि जब भी ऐसी कोई खबर आती है, तो दु:ख जताने के साथ जांच कमेटी बैठा दी जाती है। साथ ही मुआवजा देकर मरहम लगाकर लीपापोती कर दी जाती है लेकिन इससे सबक लेते हुए इसको रोकने के लिए कदम कम ही उठाये जाते हैं।
आपको याद रहे पिछले दिनों तमिलनाडु के करूर में टीवीके प्रमुख और अभिनेता विजय की रैली के दौरान मची भगदड़ में 40 से अधिक लोगों की जान गई। अभिनेता-राजनेता विजय की पार्टी टीवीके ने करूर में हुई रैली में हुई भगदड़ के पीछे डीएमके पर साजिश का आरोप लगाया था। इस साल 2025 में मंदिरों, रेलवे स्टेशन और महाकुंभ में भगदड़ में कई लोगों की जान गई है।
आपको बता दें देश में पिछले दो दशक में दो दर्जन बार भगदड़ में करीब 1500 लोगों की जानें गई हैं, जबकि हज़ारों लोग घायल हुए हैं।
2025 को भगदड़ दुर्घटनाओं का साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। साल की शुरुआत 8 जनवरी, 2025
तिरुमाला हिल्स में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए टिकट लेने के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच हुई धक्का-मुक्की में छह श्रद्धालुओं की जान चली गई। दर्जनों लोग घायल हो गए।
महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को संगम क्षेत्र में भगदड़ मच गई। मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों तीर्थयात्री स्नान के लिए जगह पाने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे। भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई, 60 लोग घायल हो गए।
आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत के जश्न में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हादसा हो गया। विक्ट्री परेड शुरू होने से पहले अचानक भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मची। इस हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और कम से कम 50 लोग घायल हुए।
15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर भगदड़ मच गई। भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई, 15 घायल हो गए।
तीन मई को गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान मची भगदड़ में 6 लोगों की मौत और करीब 100 लोग घायल हो गए।
इससे पहले 4 दिसम्बर 2024 को हैदराबाद में अल्लू अर्जुन की ब्लॉकबस्टर ‘पुष्पा 2’ की स्क्रीनिंग के दौरान मची भगदड़ में 35 वर्षीय महिला की मौत हो गई।
तीन जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू बाबा भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि द्वारा आयोजित ‘सत्संग’ (प्रार्थना सभा) में भगदड़ से 121 लोगों की मौत हो गई।
मध्य प्रदेश के इंदौर में एक मंदिर में 31 मार्च 2023 को रामनवमी के अवसर पर आयोजित ‘हवन’ समारोह के दौरान ‘बावड़ी’ या कुएं के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से 36 लोगों की जान चली गई।
2022 के पहले दिन जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई।
29 सितम्बर 2017 को मुंबई में पश्चिमी रेलवे के एलफिंस्टन रोड स्टेशन को मध्य रेलवे के परेल स्टेशन से जोड़ने वाले पुल पर मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई।
गोदावरी नदी के तट पर 14 जुलाई 2015 को हुई भगदड़ में 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई, 20 घायल हो गए। दशहरा समारोह 3 अक्तूबर 2014 को मेला समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले 13 अक्तूबर 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ में 115 लोगों की जान चली गई और 100 से अधिक घायल हो गए।
19 नवम्बर 2012 को पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में 20 लोग मारे गए। 8 नवम्बर, 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे घाट पर भगदड़ मचने से 20 लोग मारे गए थे।
14 जनवरी, 2011 केरल के इडुक्की ज़िले के पुलमेडु में जीप के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से मची भगदड़ में 104 श्रद्धालु मारे गए, 40 से अधिक घायल हो गए।
4 मार्च, 2010 उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में लगभग 63 लोग मारे गए। 30 सितम्बर 2008 राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाहों के कारण मची भगदड़ में 250 श्रद्धालु मारे गए, 60 से अधिक घायल हो गए। 3 अगस्त, 2008 हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाह उड़ी, जिसमें 162 लोग मारे गए। 25 जनवरी, 2005 महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में मंधारदेवी मंदिर मेंथा मे थे वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालु कुचलकर मारे गए। 27 अगस्त, 2003 महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में कुंभ मेले में स्नान के दौरान भगदड़ में 39 लोग मारे गए।
वास्तविकता यही है कि अपने देश में भीड़ नियंत्रण को लेकर ठोस रणनीति नहीं है और यही कारण है कि ऐसे हादसे होते ही रहते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि भगदड़ जैसी होने वाले त्रासदी को रोकने के लिए नई रणनीति के तहत काम किया जाए। विशेष कर मंदिरों मेलों धार्मिक आयोजनों में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकासी के सही इंतजाम इन घटनाओं को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। इसके साथ ही भीड़ एकत्र करने वाले आयोजन कर्ताओं की भी साफ एवं स्पष्ट जबावदेही तय की जाए। प्रशासन जुटने वाले लोगों का सही अंदाजा लगा कर व्यवस्था व अनुमति प्रदान करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।



