नई सुबह

‘आज कमली काम पर क्यों नहीं आयी? तू क्यों आयी है?’ अनुराधा कमली की बेटी रीना से बोली। 
‘मेम साब! मां की तबियत खराब है, इसलिए नहीं आयी। मैं आपका सारा काम कर दूंगी।’ रीना बोली। 
‘तेरी उम्र अभी काम करने की नहीं है। तेरी उम्र तो अभी पढ़ने-लिखने की है। पढ़ने स्कूल नहीं जाती क्या?’ अनुराधा ने प्रश्न किया। 
उसके प्रश्न सुनकर रीना निरूत्तपर हो मेम साहब को एकटक देखने लगी। तभी अनुराधा के पति अमित उसे पुचकारते हुए बोले- ‘तू चुप क्यों हो गयी? कुछ बोलती क्यों नहीं?’
‘बात दरअसल यह है कि अगर मैं स्कूल गयी तो घर का खर्चा कैसे चलेगा, साब?’ रीना उदास स्वर में बोली। 
‘क्या तेरा मन पढ़ने का नहीं करता?’ अनुराधा बोली। 
‘पढ़ने का मन करता है, लेकिन....।’ रीना के शब्द अधूरे रह गये। 
‘आने दो कमली को मैं उसे समझाऊंगी कि आज के जमाने में लड़कियों को पढ़ना कितना ज़रूरी है। तू घर जा, अनुराधा किचन का काम कर लेगी।’ अमित बोला। 
अनुराधा अमित की बात का समर्थन करते हुए बोली- ‘तू मेरी बेटी जैसी है। मैं तुझसे घर का काम नहीं करवाऊंगी। तू नहीं आना और न उसकी तनख्वाह कटेगी।’ 
रीना बिना कुछ बोले चली गयी। 
पांच दिन हो गये, लेकिन कमली का अता-पता नहीं था। अनुराधा अमित से बोली- ‘कमली की कही ज्यादा तबियत खराब नहीं हो गयी? आप एक बार उसके घर जाकर हाल-चाल क्यों नहीं जान लेते?’
‘मुझे फुर्सत कहां मिलती है कि किसी का हाल-चाल जान सकूं। मुझे भी कमली की चिंता हो रही हो। तुम दोपहर में जाकर उससे मिल लेना। पैसों की ज़रूरत हो तो उसकी मदद कर देना।’ अमित अपना बैग उठाकर ऑफिस जाते हुए बोला। 
कमली को लेकर अनुराधा के मन में तरह-तरह के विचार आ रहे थे। उसका मन कमली से मिलने को व्यग्र हो रहा था। उसने भी दोपहर में उसके घर की ओर चल पड़ी। मोहल्ले में लोगों से पूछते-पूछते उसके घर तक पहुंच ही गयी। 
टूटे-फूटे एक छोटे से घर के आगे कमली की बेटी रीना अपने भाई-बहन के साथ खेल रही थी। जैसे ही उसकी नज़र अनुराधा पर पड़ी वह दौड़ते हुए उसके करीब आकर बोली- ‘मेम साब! आप यहां।’
‘हां, तेरी मां का हाल-चाल जानने आयी हूं।’ उसके बालों पर हाथ फेरते हुए अनुराधा बोली। 
वह अनुराधा को साथ लिए घर के भीतर घुस गयी। एक छोटे से कमरे में चारपाई पर कमली बेसुध पड़ी थी। उसके सिर से खून बहने के कारण पपड़ी जमी हुई थी। मानो सिर फूटा हो और किसी ने उसकी मरहम-पट्टी भी नहीं करवायी हो। सारा कमरा अस्त-व्यस्त था। 
अनुराधा उसके करीब जाकर बोली- ‘कमली! कमली!’
लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दी । 
यह देखकर अनुराधा रीना की ओर देखते हुए बोली- ‘तुम कह रही थी कि तुम्हारी मां बीमार है लेकिन यहां तो मैं कुछ और ही देख रही हूं। इसका सिर कैसे फटा और इसे अस्पताल ले जाने के बजाये घर में पड़ी है। तुम्हारा पिता कहां है?’
रीना के पास उसके प्रश्नों का कोई जवाब नहीं था। 
‘तुम कुछ बोलती क्यों नहीं? मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूं। तुम्हारी मां के साथ यह सब किसने किया?’
‘मैं क्या बताती? घर में रोज बापू शराब पीकर मां के साथ झगड़ा करते हैं। उस दिन बापू ने कुछ ज्यादा पी ली थी। वह मां से पैसे मांग रहे थे। मां के पास पैसे नहीं थे। वह पैसे उनको कहां से देती? बस क्या था मां को जानवरों की तरह लाठी से पीटने लगे। मां का सिर फट गया। सिर से बहुत खून बहा था। मां को हाथ उठाने में भी परेशानी हो रही थी। बापू सारा दिन शराब, जुआ में डूबे रहते हैं।’ रीना बोली। 
‘तुम्हें सच बताना चाहिए था। बेचारी कमली!’ इतना कहकर वह एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल ले गयी। 
अस्पताल में डॉक्टर ने उसे देखते हुए कहा- ‘आप सही समय पर इसे ले आये, अन्यथा अनर्थ हो जाता।’ 
‘डॉक्टर! आप पैसों की चिंता मत कीजिए और फौरन इसका ईलाज शुरू कर दीजिए। इसे होश कब तक आ जाएगा?’ अनुराधा चिंतित स्वर में बोली। 
‘खून ज्यादा बह जाने के कारण बेहोश है। हाथ में भी चोट है। खून की व्यवस्था अस्पताल में जाएगा। कल सुबह तक इसे होश आ जाएगा। फिर आप यहां से ले जा सकती हैं।’ डॉक्टर दवा का पर्चा पकड़ाते हुए बोले। 
अनुराधा इस बात की सूचना अमित को दी। वह अनुराधा से बोला- ‘उसके इलाज में कोई कमी नहीं होने देना। मैं ऑफिस से सीधा अस्पताल आ रहा हूं।’
शाम को अमित अस्पताल में आते ही कमली के वार्ड में घुस गया। कमली बिस्तर पर बेहोश पड़ी थी और उसे खून चढ़ रहा था। अनुराधा पास ही बैठी थी। 
‘यह सब कैसे हुआ?’ अमित ने अनुराधा से पूछा। 
अनुराधा ने सारी कहानी सुना दी। फिर बोली- ‘यदि मैं समय पर अस्पताल लेकर नहीं आती तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता। कमली का पति इसे अस्पताल भी नहीं पहुंचाया बल्कि मरने के लिए घर पर छोड़ दिया। चार दिन से घर भी नहीं आया है।’
‘वह चांडाल! कहीं पीकर पड़ा होगा। आने दो उसे। उसे उसके किये कि सजा दिलवाकर रहूंगा। जेल में कुछ दिन रहेगा तो उसका सारा नाश उतर जाएगा।’ अमित क्रोधित स्वर में बोला। 
‘यहां इसकी देखभाल कौन करेगा?’ अनुराधा बोली।  (क्रमश:)

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