श्रीलंकाई टीम पहली बार मज़बूत टीमों में शुमार नहीं


नई दिल्ली, 21 मई (भाषा) :  कप्तानी के संकट के अलावा टीम में गुटबाजी, खराब प्रदर्शन और प्रशासनिक अनियमितता से जूझ रही श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पहली बार विश्व कप में मजबूत टीमों में शुमार नहीं की जा रही और उसे अपना दमखम दिखाने के लिये किसी चमत्कार की जरूरत होगी। विश्व कप में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने वाली श्रीलंका ने एक बार खिताब जीता और दो बार उपविजेता रही जबकि एक बार सेमीफाइनल में पहुंची। इस बार वह सबसे कमजोर टीमों में से है। चयनकर्ताओं ने दिनेश चांदीमल और निरोशन डिकवेला जैसे बड़े खिलाड़ियों को बाहर कर दिया लिहाजा आखिरी बार 2015 में विश्व कप खेलने वाले दिमुथ करूणारत्ने के हाथ में टीम की बागडोर होगी। इस साल की शुरूआत तक अलग अलग प्रारूपों में चांदीमल और डिकवेला टीम के कप्तान थे लेकिन इसके बाद लसिथ मलिंगा को कमान सौंपी गई और तब से श्रीलंका लगातार 12 मैच हार गया है। पिछले दो साल में अलग अलग प्रारूप में श्रीलंका ने नौ कप्तान देखे जिससे पता चलता है कि संकट किस कदर गहरा है। इस पर एंजेलो मैथ्यूज और मुख्य कोच चंदिका हाथुरूसिंघा के मतभेदों ने समस्या बढा दी है। हथुरासिंघे ने चांदीमल को कप्तान के तौर पर पहली पसंद बताया था।
 उनकी टीम में करूणारत्ने के लिये जगह भी नहीं थी । अब देखना यह है कि ये कैसे मिलकर टीम को जीत की राह पर ला पाते हैं ।      सनत जयसूर्या जैसे शानदार खिलाड़ी समेत कई पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण श्रीलंकाई क्रिकेट गहरे संकट के दौर से जूझ रहा है ।       विश्व कप 2015 के बाद से 84 में से 55 वनडे हार चुकी श्रीलंकाई टीम मई 2016 के बाद से एक भी द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं जीती है । आखिरी वनडे उसने पिछले साल अक्तूबर में जीता था ।      यही नहीं 2017 में जिम्बाब्वे ने उसे 3 . 2 से हरा दिया । इस साल उसे सारे आठ वनडे में पराजय झेलनी पड़ी ।       ऐसे में टीम को मैथ्यूज और मलिंगा से प्रेरणा लेनी होगी । कप्तानी से हटाये गए मलिंगा ने हाल ही में आईपीएल फाइनल में शानदार आखिरी ओवर डालकर मुंबई इंडियंस को एक रन से जीत दिलाई । विश्व कप में दो बार हैट्रिक लगा चुके मलिंगा और पूर्व कप्तान मैथ्यूज अपने आखिरी विश्व कप को यादगार बनाना चाहेंगे ।       श्रीलंका को पहला मैच एक जून को न्यूजीलैंड से खेलना है ।      
श्रीलंका टीम :