नशा रोकने हेतु की सरकारों की कारगुज़ारी से असंतुष्ट हैं राज्य के लोग

फाज़िल्का, 28 जुलाई (दविन्द्र पाल सिंह): पंजाब में नशों के कारण हर रोज आधा दर्जन नौजवान मौत के मुंह जा रहे हैं। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लिया है। नशों पर लगाम कसने के मुद्दे पर पंजाब की दुखी जनता ने विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस पार्टी को बड़ा समर्थन दिया था। अब नशों को रोकने हेतु कभी एस.टी.एफ. प्रमुख का तबादला कभी अन्य पुलिस प्रमुखों के तबादलों की आम जैसी हरकत जारी है। नशों के व्यापारियों का नैटवर्क तोड़ने हेतु कोई भी सरकार सफल नहीं हो रही। यह नैटवर्क इसलिए नहीं टूट रहा, निचले स्तर पर पुलिस कर्मचारी 20-20 वर्ष से एक ही क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। जब भी सरकार नशा पकड़ने का नया अभियान चलाती है तो नशा तस्कर नशा बेचने के नए ढंग अपनाते हैं और नशे की कीमत महंगी हो जाती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह अब भले ही इस मुद्दे पर संजीदानजर आ रहे हैं, परन्तु उनके द्वारा अन्तर्राज्जीय रणनीति बनाकर संयुक्त लड़ाई लड़ने का संकल्प किया गया है परन्तु पंजाब के लोगों को इस रणनीति के बनने एवं इस पर कार्य करने पर विश्वास नहीं रहा। नशे के कारोबारियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रह है। नौजवान अब अपने तौर पर मार्किट में आम वाली दवाइयों से नशा बनाकर इसका सेवन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सबसे पहले नशे को खत्म करने हेतु विगत कई दशकों से नशे की गिरफ्त में शामिल पुलिस के अधिकारियों एवं जवानों की स्क्रीनिंग करनी पड़ेगी। यदि पंजाब सरकार द्वारा पेश किए जाते तथ्यों पर नजर दौड़ाएं तो 2014 में 186, 2015 में 144, 2016 में 138, 2017 में 111, 2018 में 144 एवं 2019 में अब तक 125 मौतें नशे की ज्यादा मात्रा के कारण हो चुकी हैं। नशा रोकने हेतु 27 हज़ार 706 मामले दर्ज किए गए हैं। 156 बड़े नशों के सौदागर पकड़े गए हैं। 4 हज़ार करोड़ से अधिक का नशा एक वर्ष में पकड़ा गया परन्तु पंजाब के लोग इस सब कार्य से संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे। पंजाब के हर गांव शहर से नशे के कहर की खबरें रोजाना आ रही हैं। हर गांव शहर से हज़ार नौजवानों के परिजन जमीनें बेचकर विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं परन्तु सरकारें अपनी नाकामियां कब तक छिपाती रहेंगी।