कब बनी और कब तोड़ी गई बाबरी मस्जिद

नई दिल्ली (इंट) : भगवान राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व को उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का जन्म भी अयोध्या में हुआ था। तथ्य कहते हैं कि विदेशी आक्रांता बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया। कालांतर में बाबर के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा। जब मंदिर तोड़ा जा रहा था तब जन्मभूमि मंदिर पर सिद्ध महात्मा श्यामनंदजी महाराज का अधिकार था। उस समय भीटी के राजा महताब सिंह बद्रीनारायण ने मंदिर को बचाने के लिए बाबर की सेना से युद्ध लड़ा। कई दिनों तक युद्ध चला और अंत में हज़ारों वीर सैनिक शहीद हो गए। इतिहासकार कनिंघम के लखनऊ गजेटियर के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखा मिलता है कि 1,74,000 हिन्दुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात् मीर बकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान में सफल हुआ। मुगल शासक अकबर के काल में शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी अत: अकबर ने बीरबल और टोडरमल के कहने पर खस की टाट से उस चबूतरे पर 3 फीट का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। अकबर की इस कूटनीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त नहीं बहा। यही क्रम शाहजहां के समय भी चलता रहा। फिर औरंगजेब के काल में भयंकर दमनचक्र चलाकर उत्तर भारत से हिन्दुओं के सम्पूर्ण सफाए का संकल्प लिया गया। उसने लगभग 10 बार अयोध्या में मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाकर यहां के सभी प्रमुख मंदिरों और उनकी मूर्तियों को तोड़ डाला। औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्रीरामदासजी महाराज के शिष्य श्रीवैष्णवदासजी ने जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 30 बार आक्रमण किए।