दिसम्बर में 23210 श्रद्धालुओं ने किए गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन

बटाला, 1 जनवरी ( डा. काहलों ) : पौष माह की भीषण सर्दी की परवाह न करते हुए दिसम्बर माह में 23210 श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन किए। 9 नवम्बर को गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब को जाने के लिए गलियारा खोला गया था और उस महीने 11049 श्रद्धालु गुरुद्वारा साहिब माथा टेकने पहुंचे थे।  दोनों देशों द्वारा किए समझौते के तहत एक दिन में 5 हज़ार श्रद्धालु जा सकते हैं परंतु नवम्बर व दिसम्बर महीनों में भी यह आंकड़ा पार नहीं हो सका, परंतु देखने में आया है कि यह संख्या अब दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर महीने में गए 23210 श्रद्धालुओं से पाकिस्तान इमीगे्रशन द्वारा 464200 व दो महीनों में कुल 663140 डालर फीस वसूली गई।
लंगर के लिए रसद ले जाना हुई बंद
 गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब दुनिया का सबसे बड़ा गुरुघर बन चुका है, जहां पहुंचने के लिए सिख संगत में दिन-प्रतिदिन उत्सुकता बढ़ती जा रही है। सिख मर्यादा के अनुसार संगत गुरुघर के लंगर के लिए रसद देकर खुद को सौभाग्यशाली समझती है। इस प्रथा के अनुसार सिख संगत गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लिए रसद लेकर जाती है, जिन्हें पिछले तीन दिनों से बंद कर दिया गया है। टर्मिनल  के अंदर काम कर रहे सरकारी अधिकारियों के अनुसार यह रसद पहले पाकिस्तान से बंद हुई थी और उसके बाद भारत की ओर से बीएसएफ के अधिकारियों व इमीग्रेशन विभाग द्वारा बंद कर दी गई है। इस सूचना से अनजान श्रद्धालु रसद लेकर जाते हैं परंतु अधिकारियों द्वारा इन्हें टर्मिनल के अंदर ही रख लिया जाता है। उल्लेखनीय है कि कई दिन पहले गुरुद्वारा साहिब में पाकिस्तान के चित्रकारों द्वारा बनाई तस्वीरें, जो श्रद्धालुओं द्वारा खरीदकर लाई जाती थीं, वह भी बंद कर दी थीं। यात्री टर्मिनल डेरा बाबा नानक में ड्यूटी अधिकारियों का कहना था कि जो वस्तु स्कैन नहीं हो सकती, उस वस्तु को ले जाने की अनुमति वह नहीं देंगे।