पूरी तरह असमंजस में फंसी पंजाब सरकार

जालन्धर, 13 मई (मेजर सिंह): पंजाब कांग्रेस इस समय पूरी तरह असमंजस में फंसी हुई और समूची पार्टी कैप्टन सरकार में पैदा हुए संकट को बेहद लाचारी से देख रही है। गत दिनों राज्य की आबकारी नीति व शराब ठेकेदारों को रियायतें देने के मामले पर मंत्रिमंडल में फूटे लावे को हल करने के लिए किसी स्तर पर भी प्रयास सामने न आने का परिणाम है कि पूरी कांग्रेस लीडरशिप में संकट से किनारा किए बैठे नज़र आ रही है। 
पार्टी नेताओं का कहना है कि मौजूदा मुद्दा तो सबब ही बना है, वास्तव में यह लावा तो मुख्यमंत्री द्वारा सभी मंत्रियों-विधायकाें को दरकिनार कर अफसरशाही के सहारे शासन चलाए जाने की कार्यशैली के कारण लम्बे समय से उठता आ रहा था। 
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि जिस तरह मुख्यमंत्री ने पहले तीन वर्षों से कभी किसी राजनेता की कोई परवाह नहीं की वही व्यवहार उन्होंने पैदा हुए इस संकट के समय भी अपनाया हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इस समय पूरी तरह अलग-थलग किए हुए हैं। किसी भी अन्य सरकारी नेता या नेताओं को बुलाकर मुख्यमंत्री ने विश्वास में लेने या उनकी सलाह लेने का प्रयास नहीं किया। विभिन्न नेताओं के साथ बातचीत में यह प्रभाव बना कि मुख्यमंत्री को इस समय भी राजनीतिक पहलकदमी की कोई परवाह नहीं।

नेताओं में अविश्वास
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कार्यशैली को लेकर पार्टी में विशेषकर विधायक व मंत्रियों में भारी बेचैनी पाई जा रही है। गत वर्ष के मध्य में दबाव बनाने के लिए दर्जन के करीब मंत्रियों व विधायकों ने एक बैठक कर रणनीति बनाने का भी प्रयास किया है परंतु इस बैठक बारे पता लगने पर 6 उतावले हुए विधायक को जब सलाहकार बनाने की पेशकश हुई तो वह तुरंत विरोध छोड़ उनके पाले में जा बैठे। कांग्रेस विधायकों के ऐसे व्यवहार ने पार्टी में अविश्वास वाला माहौल पैदा कर दिया है। इस साल के शुरू में दोआबा के विधायक परगट सिंह ने मुख्यमंत्री को सख्त पत्र लिखा था परंतु ज्यादा समर्थन नहीं मिला। पार्टी के भीतर अधिकतर सभी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा ठेकेदारों  पर अफसरशाही को शराब नीति की घोषणा कर यह संकेत तो दे ही दिया है कि उन्हें किसी के विरोध की कोई परवाह नहीं।