नवाबी परम्परा और निज़ामों का शहर 

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)
एन.टी.आर. गार्डन 
एन.टी.आर. गार्डन आंध्र प्रदेश के महान नेता और अभिनेता स्वर्गीय एन.टी. रामाराव (नंदमुरी तारक रामा राव) के नाम पर बनाया गया है। फिल्मों में सफलता के बाद तेलगू देशम पार्टी द्वारा राजनीति में आकर तीन बार मुख्यमंत्री, पांच बार मंत्री रहे इस स्वर्गीय नेता की याद में सरकार की ओर से 40 करोड़ की लागत के साथ 55 एकड़ में यह ब़ाग बनाया है। हुसैन सागर झील के बिल्कुल सामने स्थित इस गार्डन में हरे-भरे लॉन, फूल-पौधे और अन्य सुन्दर पार्क बने हुये हैं। इसके बीच में चलती मोनो रेल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। इसमें लगे हुये फव्वारे  सीमेंट से बनाये हुये बड़े आकार के फलों के मॉडल और पेड़ भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसमें जाने के लिए 20 रुपये एंट्री फीस देकर जाना पड़ता है। बच्चों के खेलने के लिए जापानी पार्क भीतर ही है। इसमें बच्चे पैसे देकर अपने पसंदीदा गेम खेल सकते हैं। इस पार्क के बाईं और एन.टी. रामाराव की समाधि बनाई गई है। इसे पार्क के आम हिस्सों को दीवार के द्वारा अलग किया हुआ है। यहां जाने वाले पर्यटक अपने जूते उतार कर ही जा सकते हैं. कुल मिलाकर यह गार्डन एक देखने योग्य स्थान है। इसके बीच लगे हुये फूल-पौधे और फव्वारे आत्मा को तरोताज़ा करके शारीरिक थकान को दूर करते हैं।
लूम्बिनी पार्क
लूम्बिनी पार्क शहर के चर्चित और पर्यटकों के लोकप्रिय स्थान हुसैन सागर झील के दक्षिण किनारे पर स्थित है। यह पार्क नेपाल में स्थित महात्मा बुद्ध की जन्म भूमि ‘लूम्बिनी’ को समर्पित किया गया है। इसका नाम इसलिए लूम्बिनी पार्क रखा गया है। 7.5 एकड़ में बने इस पार्क में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मनोरंजन के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के स्थान हैं। इसमें लगे फव्वारे पार्क के बीच फूल-पौधे पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। झील में बोटिंग करने का नज़ारा भी यहां लिया जा सकता है। इसमें बना हुआ लेज़र शो आडिटोरियम 2000 की समर्था वाला है। इस आडिटोरियम में लेज़र शो द्वारा पर्यटकों को हैदराबाद के इतिहास से अवगत करवाया जाता है। 2.35 करोड़ की लागत से 1994 में स्थापित इस पार्क की देखभाल तेलंगाना सरकार की ओर से बनाई ‘बुद्ध पूर्णिमा प्रोजैक्ट अथारिटी’ करती है। शहर के प्रसिद्ध स्थान हुसैन सागर झील के किनारे पर होने के कारण यह पर्यटकों के लिए पंसदीदा स्थान बन गया है।
हुसैन सागर झील
हुसैन सागर झील शहर का सबसे आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करने वाला ऐसा स्थान है जिसे बिना देखे हैदराबाद से वापिस आना एक बड़ी भूल होगी। चाहे सभी स्थान अपने स्थान पर अच्छे हैं, लेकिन जो सुकून और नज़ारा इस स्थान पर मिलता है वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हुसैन सागर झील का निर्माण 1562 ई. में शहर के बीच मूसी नदी पर एक सूफी संत हुसैन सागर की ओर से किया गया बताया जाता है। उस समय यह झील हैदराबाद शहर के लोगों के लिए पीने वाले पानी और सिंचाई के पानी की ज़रूरत पूरी करने के लिए बनाई गई थी। सिकन्दराबाद और हैदराबाद दोनों शहरों को जोड़ती इस झील में पर्यटक बोटिंग का आनंद लेते हैं। इस झील के बिल्कुल बीच में स्थापित की गई 18 मीटर ऊंची महात्मा बुद्ध की बड़े आकार की प्रतिमा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। 350 टन भारी इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि यह एक बड़े पत्थर की चट्टान को काट कर बनाई गई है और इसे 200 मूर्तिकारों ने दो वर्ष में तराश कर बनाया बताया जाता है। इस प्रतिमा को देखने और उस स्थान का आनंद लेने का असली नज़ारा सायं के समय होता है। सायं को जब सूर्य अस्त हो रहा होता है तो फिर इस स्थान पर जाने का और इस टापूनुमा स्थान पर घूमने का दृश्य अलग ही होता है। कुछ पलों का नज़ारा पूरे दिन की थकान को दूर कर देता है। झील के पूर्व की ओर इन्दिरा गांधी पार्क, उत्तर में संजीवनी पार्क और पश्चिम में नैकल्स रोड है। यह स्थान भी पर्यटकों के लिए घूमने-फिरने के महत्त्व के लिए बनाया गया है। समुद्र तल से 1759 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस झील का क्षेत्रफल दो वर्ग मील है। इसकी गहराई 32 फुट है। सायं के समय इसके आस-पास जगमगाती लाइटें मनमोहक दृश्य पेश करती हैं। लेकिन बड़ी चिंताजनक बात यह है कि इस झील में पूरे शहर के सीवरेज का दूषित पानी फेंका जाता है, जोकि इस झील की दिखावट और इसके ऐतिहासिक महत्त्व को कम करता है। तेलंगाना सरकार को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए ताकि इस स्थान की पवित्रता को कायम रखा जा सके। इसी के साथ ही विरासती और ऐतिहासिक शहर हैदराबाद में घूमने-फिरने और देखने योग्य बहुत से स्थान हैं। घनी जनसंख्या वाला यह मैट्रो शहर उपरोक्त वस्तुओं के अलावा बेकरी और बरियानी के शहर के तौर पर भी जाना जाता है। यहां बेकरी और बरियानी बहुत ही प्रसिद्ध है।

(समाप्त)
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