वायु प्रदूषण की गम्भीर होती समस्या

देश में पर्यावरण प्रदूषण खास तौर पर वायु प्रदूषण की निरन्तर गम्भीर होती स्थिति ने समाज एवं देश के हित-चिन्तकों की चिन्ताओं को बढ़ाया है। इन चिन्ताओं में राष्ट्रीय धरातल की एक बड़ी संस्था ग्रीन पीस इंडिया द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट इज़ाफा करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण में बिगाड़ की वजह से देश की 99 प्रतिशत से भी अधिक आबादी दूषित हवा में सांस लेने को विवश है। रिपोर्ट के अनुसार इस कारण समाज में होने वाली मौतों की संख्या भी विगत अन्तराल में बढ़ती गई है। स्थिति यहां तक हो गई है कि देश के नौ प्रांत अथवा केन्द्र-शासित एवं राजधानी क्षेत्र विश्व के बीस सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार बताये गये हैं।  ़खतरे के दायरे में चिन्हित इन नौ शहरों में दिल्ली एवं एन.सी.आर.सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र हैं जहां वर्ष 2019 में प्रति एक लाख लोगों में से 106 लोग वायु प्रदूषण और सांस की समस्या के कारण उपजे रोगों से मरे दर्ज किये गये। दूसरे स्थान पर प. बंगाल की राजधानी कोलकाता को अंकित किया गया है जहां इस वर्ष प्रति एक लाख लोगों में से 99 लोग मृत्यु का शिकार हुए। इस रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुणा अधिक दर्ज किया गया। इसी रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार आबादी के हिसाब से भी दिल्ली सर्वाधिक आवासित क्षेत्र है जबकि इस दौरान कोलकाता की आबादी भी बेतहाशा तरीके से बढ़ी है। विश्व धरातल की बात करें, तो दिल्ली और कोलकाता के बाद नाईजीरिया के दो शहर कानो एवं लागोस, पेरू का लीमा, बंगला देश का ढाका, इंडोनेशिया का जकार्ता भी आते हैं। यहां तक कि पाकिस्तान का शहर कराची भी अत्यधिक प्रदूषित वायु वाला होने के बावजूद भारत के दिल्ली और कोलकाता से बेहतर है। 
भारत के अत्यधिक प्रदूषित होने और शहरी क्षेत्रों की आबादी बढ़ते जाने का एक बड़ा कारण ग्रामीण एवं वन्य-सम्बद्ध क्षेत्रों का अधिकाधिक शहरीकरण होना और वन-क्षेत्रों में कंक्रीट के मानव-निर्मित जंगलों का अनियोजित तरीके से विस्तार होना है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार आज भी देश की 62 प्रतिशत आबादी बेशक ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है, किन्तु आज जिस ढंग से ग्रामीण क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं, और वन्य धरातलों पर शहरीकरण का विस्तार हो रहा है, उसके दृष्टिगत सन 2050 तक देश के 68 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र का शहरीकरण हो चुका होगा। इस रिपोर्ट के अनुसार देश की 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इन महा-प्रदूषित क्षेत्रों में रहती हैं। इससे भावी संततियों पर स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों की भी बड़ी आशंका है। देश में पुराने वाहनों के अधिकाधिक देर तक प्रचलन में बने रहने, गैस-जनित ईंधन के अधिकाधिक उपयोग और औद्योगिक सुविधाओं का विस्तार भी वायु प्रदूषण को बढ़ाने के लिए उत्तरदायी माना जाता है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण एक ओर जहां मौसमों की चलन-प्रक्रिया विपरीत रूप से प्रभावित होती है, वहीं मौसमों संबंधी भविष्यवाणियों की सत्यता पर भी असर पड़ा है। इसका पता मौसम विभाग के महा-निदेशक द्वारा जारी आंकड़ों से भी चलता है। मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि मानसून के मौसम में कहीं सर्वाधिक और कहीं बहुत कम वर्षा होने के पीछे भी पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े कारण उत्तरदायी कहे जा सकते हैं। विभाग के अनुसार वर्ष 2025 तक मौसमों की भविष्यवाणी में कोई सुधार हो पाने की कोई सम्भावना दिखाई नहीं देती है। 
देश में पर्यावरण सुधार और खास तौर पर वायु गुणवत्ता वाले धरातल पर सुधार के लिए सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं एवं संगठनों द्वारा अक्सर कई-कई चरणों में यत्न किये जाते रहते हैं। राजधानी दिल्ली और आस-पास के कई क्षेत्रों में नये प्रयत्नों के तहत तय समय-सीमा पार चुके पुराने वाहनों पर अंकुश लगाने और पैट्रोल का विकल्प तलाश किये जाने जैसी योजनाएं भी बड़े धरातल पर तैयार की गई हैं। हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं पर अरावली पर्वत शृंखला को सुरक्षित एवं संरक्षित बनाये जाने की ज़रूरत पर भी बल दिया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से वन संरक्षण एवं वायु प्रदूषण को रोकने को लेकर बनाये गये नियमों एवं कानूनों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने जैसी दंड व्यवस्था का भी निर्धारण किया गया है, परन्तु स्थितियों में तत्काल सुधार होने की अभी कोई सम्भावना उपजते दिखाई नहीं दे रही है। हम समझते हैं कि इस मोर्चे पर जहां सरकारों की ओर से इच्छा-शक्ति का प्रदर्शन कर कठोर कार्रवाई किये जाने की बड़ी ज़रूरत है, वहीं जन-साधारण के धरातल पर जागरूकता एवं चेतना का सर्वतोमुखी प्रसार किया जाना भी उतना ही ज़रूरी है। सामाजिक संस्थाओं की ओर से वृक्षारोपण हेतु पूर्ण एवं सक्षम अभियान शुरू किया जाना चाहिए। हम समझते हैं कि भारत में सामूहिक तौर पर इस प्रकार के यत्न किये जाने से ही पर्यावरण और वायु प्रदूषण की समस्या पर पार पाया जा सकता है।