यातायात बत्तियाें के संकेत

बच्चों, चौराहों पर तुमने लाल, हरी और पीली बत्तियां देखी होंगी। ये बत्तियां यातायात नियंत्रण के लिये होती हैं। ऐसा व्यस्त चौराहों पर ही होता है। लाल पीली और हरी बत्तियों के संकेत तो हम समझते हैं पर हमें यह मालूम नहीं कि इनकी शुरूआत कहां से हुई। 
अमरीका में रेलवे इंजीनियरों ने सबसे पहले बत्ती संकेतों का प्रयोग 19वीं सदी में किया था। रात के अंधेरे में रेल चालक संकेतों को समझ नहीं पाते थे। लाल रुकने के लिये प्रयोग किया गया परंतु चलने के लिये तैयार होना और चल पड़ने के लिए कौन सा रंग प्रयोग किया जाए, यह समझ नहीं आ रहा था।  सन् 1830 में सबसे पहले चलने के लिये तैयार हो जाओ के लिये हरा रंग और चमकीला हल्का पीला रंग चलो संकेत के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह प्रयोग भी कारगर साबित नहीं हुआ। कई बार रंग बदले गये प्रयोग दर प्रयोग के बाद वर्तमान रंगों का निर्धारण हुआ जिसमें पीला रंग हमारे लिये इस बात का इशारा होता है कि हम चलने को तैयार हो जाएं और हरा रंग यह संकेत देता है कि हम अब चल पड़े। लाल रंग रुक जाने का संकेत देता है।  अमरीका के क्लीवलैंड (ओहियो प्रांत) नामक नगर में विश्व में पहली बार 1914 में बिजली का प्रयोग बत्तियों में किया गया। इससे पहले यातायात संकेतों के लिये लालटेनों का प्रयोग होता था। क्लीवलैंड में 1914 में जब यातायात संकेतों के लिये बिजली की बत्तियों की शुरूआत की गई तो पीला रंग इसमें शामिल नहीं था। (उर्वशी)