पंजाब में कैंसर का बढ़ता प्रकोप

पंजाब में नशे के प्रसार और आपराधिक घटनाओं के बाद अब कैंसर जैसी नामुराद बीमारी ने प्रदेश को अपने शिकंजे में ले लिया है। इस संबंध में दो भिन्न और बड़ी रिपोर्टों ने प्रदेश के जन-साधारण का हित-चिन्तन करने वाले लोगों को न केवल चिन्तित किया है, अपितु भविष्य की तस्वीर भी काफी बदरंग हुई दिखाई देती है। इनमें से एक रिपोर्ट तो स्वयं प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई है। इस सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में प्रतिदिन 65 व्यक्ति इस नामुराद रोग का शिकार होकर काल के मुंह में चले जाते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक वर्ष में 23 हज़ार से अधिक लोग इस रोग के कारण मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं, और कि यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में अधिक थी। इस समस्या का एक त्रासद पक्ष यह भी है कि इस रोग का शिकार होने वाले लोगों की संख्या में प्रत्येक वर्ष, उसके पिछले वर्ष की तुलना में और वृद्धि होती जाती है। यह चक्र पिछले दस वर्ष से इसी प्रकार चलता आ रहा है। पंजाब में प्रत्येक एक लाख लोगों में 90 लोग इस रोग का शिकार होते हैं जबकि राष्ट्रीय धरातल पर यह आंकड़ा 80 प्रति एक लाख रहता है। महिलाएं कैंसर का बड़ा सहज शिकार होती हैं जबकि आजकल बच्चे और बूढ़े भी इस रोग से प्रभावित होने लगे हैं।  यह भी एक चिन्ताजनक पक्ष है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के अपने मालवा क्षेत्र में यह बीमारी इतना भीषण रूप धारण कर चुकी है कि क्षेत्र का कोई ही गांव ऐसा होगा जहां इस रोग के गम्भीर लक्ष्ण नहीं दिखे हों। मालवा के क्षेत्रों में कैंसर की इस व्यापकता ने केवल देश के ही नहीं, विदेशों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को भी चौंकाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार विगत दो-तीन वर्षों में इस रोग ने पंजाब की धरती को कई पक्षों से अपने घेरे में लिया है। मालवा के ज़िला बठिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, फिरोज़पुर और मानसा इस सूचि में अग्रणी माने जाते हैं। पंजाब में इस मामले में स्थिति हिमाचल और हरियाणा से भी अधिक गम्भीर है।
एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार देश भर में अगले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में निरन्तर वृद्धि होते जाने की प्रबल आशंका है। खास तौर पर पुरुषों में इस गम्भीर किस्म के कैंसर के मामले बेतहाशा बढ़ते जाने का बड़ा खतरा व्याप्त है। इस रोग संबंधी एक संस्था लैंसेट के अनुसार इस रोग से मरने वालों की संख्या में भी भविष्य में निरन्तर वृद्धि होती जाएगी। इस संदर्भ में 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह खतरा अधिक तेज़ी से उभरेगा, और वृद्ध जनों की ज़िन्दगी दूभर हो जाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार इस रोग में इस ़खतरनाक वृद्धि के पीछे मौजूदा मनुष्य की अनिश्चित जीवन प्रणाली और उसके खान-पान की रुचि उत्तरदायी हो सकती है। यह रिपोर्ट हालांकि पूरे देश से संबंधित है, किन्तु विगत कुछ वर्षों में पंजाब इस रोग का बहुत सहज शिकार हो रहा है। विगत कुछ वर्षों से प्रदेश के जन-साधारण की जीवन-प्रणाली में ऐसे बड़े बदलाव देखने को मिले हैं जिन्होंने कैंसर जैसे रोग को अपनी जड़ें जमाने का बड़ा अवसर प्रदान किया है। इस रिपोर्ट में यह आशंका भी व्यक्त की गई है कि कैंसर रोग संबंधी जो आंकड़े सरकारी तौर पर प्रदर्शित किये गये हैं, वास्तविक संख्या उससे कहीं अधिक होती है, तथा एक बड़ी जन-संख्या में इस रोग के चिन्हों को देखा जा सकता है। मौजूदा आदमी की जीवन शैली और अव्यवस्थित खान-पान प्रणाली इस रोग के लिए बड़ी उर्वरा धरा बनती जा रही है।
नि:संदेह यह स्थिति चिन्ताजनक है, किन्तु पंजाब का कोई भी वाली-वारिस इस मामले में इसकी बांह थामने के लिए तैयार नहीं है। प्रदेश की मौजूदा सरकार की इस मामले को लेकर अति निष्क्रियता भी चौंकाती है। 
पंजाब की भगवंत मान सरकार के विगत दो वर्ष के शासन काल के दौरान कभी भी किसी ऐसी नीति की चर्चा नहीं की गई जिसके तहत प्रदेश में इस बीमारी की रोकथाम हेतु किसी नीतिगत योजना का पता चलता हो। लगभग एक दशक पहले पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल की सरकार के काल में मोहाली में 300 बिस्तर वाला एक अस्पताल अस्तित्व में आया था, किन्तु आज भी इस रोग के उपचार हेतु पंजाब से राजस्थान की ओर कैंसर गाड़ियां चलती हैं। हम समझते हैं, प्रदेश में इस रोग के सफल उपचार हेतु भरसक प्रयास किये जाने की बड़ी आवश्यकता है। प्रदेश में जिस प्रकार इस रोग की जड़ें गहरी होती जा रही हैं, उसके दृष्टिगत प्रदेश में टाटा मैमोरियल सैंटर जैसी इकाई की महती आवश्यकता है। प्रदेश के पर्यावरण और वातावरण में सुधार किये जाने की भी उतनी ही बड़ी ज़रूरत प्रतीत होती है। पंजाब के लोगों को यदि इस अकारण की मृत्यु-पीड़ा से बचाना है, तो कैंसर जैसी नामुराद बीमारी की समुचित रोकथाम और इसके उपचार की पर्याप्त व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए।