चुनावों की पारदर्शिता

वर्ष 1951-52 से देश में शुरू हुए लोकसभा चुनावों ने अब हो रहे 18वीं लोकसभा के चुनावों तक अनेक ही चरण तय किये हैं। समय-समय पर इनके ढंग-तरीकों में बदलाव भी आते रहे हैं। इनमें अब तक अनेक सुधार भी किये गये हैं। मत-पेटियों से लेकर इलैक्ट्रोनिक मशीनों तक का यह सफर बहुत दिलचस्प भी रहा है और कई बार विवादों में भी घिरा रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ ऐसा यत्न भी रहा है कि इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाई जा सके। 
विश्व में लोकतंत्रिक चुनाव करवाने के पक्ष से भारत सबसे बड़ा देश है। एक समय तस्वीरों वाले वोटर कार्ड भी इसकी पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए तैयार किए गये थे। विगत दो दशकों से वोटों के लिए विद्युत मशीनों के बारे में लम्बी चर्चा होती रही है। समय-समय पर इस पर अनेक शक भी किये जाते रहे हैं और इनके स्थान पर दोबारा मत पर्चियों द्वारा डालने की मांग भी उठती रही है, लेकिन चुनाव आयोग इस पक्ष से हमेशा विद्युत मशीनों द्वारा वोट डालने के पक्ष में खड़ा रहा है। उसने इन मशीनों संबंधी किसी भी तरह की उंगली उठाए जाने का विरोध किया है और इसके साथ-साथ चुनाव पारदर्शी बनाने के लिए भी उसकी ओर से प्रबंध किये जाते रहे हैं, जिनमें बटन दबाने के बाद मतदाता द्वारा अपने प्रत्याशी को डाली गई वोट के साथ उस प्रत्याशी की तस्वीर भी दिखाई देती है। इसके बावजूद लगातार इन इलैक्ट्रोनिक मशीनों संबंधी अदालतों में पटीशनें डाली जाती रही हैं, जिनके संबंधी पिछले दिनों में देश की सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इन मशीनों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और इनकी विश्वसनीयता पर भी मोहर लगाई है, लेकिन इसके साथ-साथ अदालत ने ये भी आदेश दिये हैं कि इनके भीतर के डाटा को 45 दिनों तक सम्भाला जाए।
चुनाव प्रचार में लगी पार्टियों द्वारा इस समय के दौरान अपने-अपने ढंग से मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ऐसा प्रचार भी किया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक लोग प्रभावित हो सकें। उनकी ओर से कई ढंग-तरीकों से मतदाताओं को भावुक भी किया जा रहा है। कई बार ये नेता चुनाव आयोग के आदेशों की सीमा लांघ जाते हैं और कई बार आपत्तिजनक बयानों तथा गतिविधियों में भी शुमार हो जाते हैं। इस संबंधी भी चुनाव आयोग सक्रियता से कार्य करता दिखाई देता है। चुनाव शुरू होने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपने दो साथियों के साथ जो प्रैस कांफ्रैंस की थी, उसमें भी उन्होंने बार-बार इस बात को दोहराया था कि आयोग प्रत्येक ढंग-तरीके से इस बात पर पहरा देगा कि ये चुनाव निष्पक्ष तथा स्वतंत्र हो सकें। यह भी कि चुनाव आयोग ने प्रत्येक पक्ष से इस संबंधी पूरे प्रबंध कर लिये हैं। यह भी कि चुनाव प्रक्रिया में मिली शिकायतों की आयोग प्रत्येक ढंग-तरीके से निष्पक्ष जांच करेगा ताकि इन्हें हर हाल में दबाव रहित बनाया जा सके। इसके साथ-साथ मीडिया को, राजनीतिक दलों को तथा उनके एजैंटों को भी एक क्रम से चुनावों पर नज़र रखने की स्वतंत्रता होगी। इसी क्रम में ही चुनाव आयोग द्वारा भिन्न-भिन्न देशों से चुनाव सर्वेक्षकों को भी भारत आने का निमंत्रण दिया गया था ताकि वे स्वयं इस समूची प्रक्रिया पर दृष्टिपात कर सकें। चुनाव आयुक्त ने बताया है कि इस समूची प्रक्रिया को देखने के लिए 23 देशों से 75 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भारत पहुंचे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमने यह निमंत्रण अपनी निर्धारित नीति के अनुसार ही दिया था ताकि खुले रूप में ये प्रतिनिधि चुनावी गतिविधियों को देख सकें कि भारत में लोकतांत्रिक त्योहार कैसे मनाया जाता है। जिन देशों से पर्यवेक्षक आएं हैं, उन देशों में आस्ट्रेलिया, रूस, फिलीपीन्स, बंगलादेश तथा उज़्बेकिस्तान के अतिरिक्त अन्य देशों के मेहमान प्रतिनिधि भी शामिल हैं। ऐसी प्रक्रिया से इन चुनावों को और भी सार्थक बनाया जा सकेगा ताकि आगामी समय में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय तथा मज़बूत बनाया जा सके। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द