तीसरा चरण

देश में चल रहे लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया के दौरान अब सात में से तीसरे चरण का मतदान हो चुका है। 543 सीटों वाले सदन में इस चरण तक लगभग आधी सीटों पर मतदान का कार्य पूर्ण हो चुका है। अब तक तीनों चरणों में 283 सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले दो चरणों में मत प्रतिशत उम्मीद से कम रहा था। वर्ष 2019 के चुनावों के पहले चरण में 69.4 प्रतिशत मतदान हुआ था परन्तु इस बार यह 66.14 प्रतिशत ही रहा। इसी तरह पिछली बार दूसरे चरण में 69.6 प्रतिशत मतदान हुआ था परन्तु इस बार यह मत प्रतिशत 66.71 प्रतिशत ही रह गया था। इस बार मतों का प्रतिशत कम होने के कई कारण गिनाये जा सकते हैं, जिनमें से भीषण गर्मी पड़ना भी एक कारण कहा जा सकता है। दूसरा कारण लोगों की उदासीनता को कहा जा सकता है।
तीसरे चरण की 93 सीटों पर इसलिए भी दिलचस्पी दिखाई जा रही थी कि इनमें केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा कई अन्य बड़ी शख्सियतों संबंधी भी फैसला होना था। पिछली बार शाह गुजरात के गांधी नगर से साढ़े पांच लाख मतों से जीते थे। उत्तर प्रदेश में मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव मैदान में है। विगत लम्बी अवधि से यह सीट उनके हिस्से ही आती रही है। इसी तरह महाराष्ट्र से नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) की ओर से सुप्रिया सुले जो शरद पवार की बेटी हैं, चुनाव लड़ रही हैं। इस चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से ज्यादातर भाजपा के प्रभाव वाली ही मानी जाती हैं। वर्ष 2019 में हुए चुनावों में अब की 93 सीटों में से भाजपा ने 71 सीटों पर जीत प्राप्त की थी। कांग्रेस इनमें से मात्र 4 सीटें, समाजवादी पार्टी 2 सीटें, नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) 3 सीटें तथा शिव सेना 4 सीटें ही  प्राप्त कर सकी थी। इस बार ये आंकड़े कितना बदलते हैं, इसका पता तो 4 जून को निकलने वाले परिणामों से ही चल सकेगा, परन्तु इस समय भी ये सीटें ज्यादा भाजपा के प्रभाव वाली ही मानी जा रही हैं। तीसरे चरण के चुनावों में भी 1352 उम्मीदवारों में से मात्र 9 प्रतिशत महिलाएं ही मैदान में हैं। नैशनल इलैक्शन वॉच एजेन्सी की ओर से पेश किये गये आंकड़ों के अनुसार इन चुनावों में 18 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवार खड़े हैं, जिनके विरुद्ध आपराधिक मामले चल रहे हैं। इन में हत्या से संबंधित तथा महिला विरोधी आपराधिक मामले भी जुड़े हुए हैं। अक्सर यह सोच कर अफसोस होता है कि बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां भी ऐसे तत्वों को प्रोत्साहित करने में कोई कमी नहीं छोड़तीं। इन चुनावों में प्रशासन चला रही भाजपा की ओर से विकास के मुद्दों के अतिरिक्त मुफ्त राशन देने की बात लगातार की जा रही है। इसके साथ ही इस बार राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा भी व्यापक स्तर पर उठाया जाता रहा है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने का श्रेय भी भाजपा सरकार अपने सिर पर बांध रही है। विपक्षी दलों की ओर से एक ‘इंडिया’ गठबंधन बना कर भाजपा के मुकाबले का यत्न ज़रूर किया जा रहा है परन्तु इसके साथ ही विपक्षी दलों ने अमीरों तथा ़गरीबों में बढ़ते अन्तर, बेरोज़गारी के साथ-साथ अपनी सोच के अनुसार जातियों पर आधारित जनगणना को भी मुद्दों में शामिल किया है।
इस बार इस चरण में सायं पांच बजे तक लगभग 60.19 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसे पिछले दो चरणों के आस-पास ही कहा जा सकता है। भीषण गर्मी के मौसम में चरणबद्ध चुनावों का यह सिलसिला एक जून तक खत्म होगा। अब तक हुये चुनावों के दौरान कोई बड़ी गड़बड़ सामने नहीं आई। जहां यह सन्तोषजनक बात है, वहीं आगामी समय में यह मत प्रणाली को और भी मज़बूत करने में सहायक होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द